Advertisement

Russia Ukraine conflict: 3 साल की जंग का हिसाब-किताब... 18% सिकुड़ गया यूक्रेन, रूस की आन-बान-शान पर भी लगा बट्टा!

24 फरवरी 2022 को जब रूसी टैंकों का मुंह यूक्रेन की ओर खुला तो विध्वंस, तबाही और बर्बरता का सिलसिला शुरू हो गया. सवाल यह नहीं है कि इस जंग में कौन सही है कौन गलत? सवाल यह है कि इस युद्ध में अबतक हजारों लाखों लोग मारे गए हैं. बोरी भर भरकर डॉलर झोंका जा रहा है और जंग की आग को ईंधन दिया जा रहा है.

रूस-यूक्रेन जंग के तीन साल पूरे. (फोटो डिजाइन- आजतक) रूस-यूक्रेन जंग के तीन साल पूरे. (फोटो डिजाइन- आजतक)
पन्ना लाल
  • नई दिल्ली,
  • 24 फरवरी 2025,
  • अपडेटेड 11:02 AM IST

यूक्रेन के ओडेशा शहर में वाल्डा और कोस्टिन्टयन लिवारोव शादी और पोर्ट्रेट फ़ोटोग्राफ़र के रूप में काम करते थे. ये जंग से पहले की बात है. लेकिन 24 फरवरी 2022 को इस युगल की किस्मत बदल गई. यूक्रेन के युवाओं की प्रेम कहानियों को अपने कैमरे में कैद करने वाला ये फोटोग्राफर जोड़ा अब विध्वंस, मृत्यु  और रुदन को अपने लेंस से दुनिया के सामने प्रस्तुत करते हैं.  

Advertisement

बीबीसी के अनुसार वाल्डा को अपने नए काम के खतरे का एहसास था. लेकिन वो रूस की 'कारगुजारियों' को दुनिया के सामने पेश करना चाहती थी. 2023 में डोनेट्स्क क्षेत्र में एक फोटोग्राफी के दौरान एक ब्लास्ट हुआ और उसके छर्रे वाल्डा के शरीर में धंस गए.

डॉक्टरों ने कहा कि अब इसे हटाया नहीं जा सकता है. वाल्डा इस रूसी 'यादगार' को अपने जिस्म में समेटे रहती हैं और जंग से छलनी मानवता की तस्वीरें उतारती रहती हैं.

आगे बढ़ते हैं.रूस और यूक्रेन जंग की कई कहानियां  मानवता, संस्कृति और भविष्य के लिए एक गहरा घाव हैं.

बाल अधिकारों पर काम करने वाली संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी UNICEF की यूक्रेनी कर्मचारी नतालिया दातचेंको कहती हैं, "मैं रोने की कोशिश कर रही हूं, लेकिन मैं खुद को रोक नहीं पा रही हूं. मुझे खुशी है कि मेरे पास टिश्यू पेपर हैं." वे तीन साल पहले हुए उन विस्फोटों को याद करते हुए अपने अपने आंसू नहीं रोक पा रही हैं, जिसे सुनकर कई यूक्रेनी नींद से जागे थे. जिन धमाकों ने रूसी हमले का ऐलान कर दिया था. 

Advertisement

24 फरवरी 2022 से 24 फरवरी 2025. आज रूस-यूक्रेन युद्ध को तीन साल पूरे हो गए. लगभग 1000 दिनों के इस जंग ने मानवता को गहरे जख्म, न भरने वाले घाव और कड़वी यादें दी हैं. 

आंकड़े निष्ठुर सत्य कहते हैं. अगर रूस-यूक्रेन युद्ध को आंकड़ों में देखें तो यह मानवता, संस्कृति और भविष्य के लिए एक गहरे घाव सा दिखता है. इसकी भरपाई संभव नहीं दिखती है. 

18 फीसदी सिकुड़ गया यूक्रेन

CNN की एक रिपोर्ट के अनुसार 24 फरवरी 2022 को जंग की शुरुआत के बाद यूक्रेन की 11 फीसदी जमीन पर रूस ने कब्जा कर लिया है. लेकिन अगर साल 2014 से तुलना करें तो रूस यूक्रेन के 18 फीसदी भूभाग पर कब्जा कर चुका है. 

2014 में रूस ने यूक्रेन के क्रीमिया पर कब्जा कर लिया. 2014 में ही डोनबास यूक्रेन का ऐसा शहर था जिस पर रूस समर्थित अलगाववादियों का कब्जा था. 

यूक्रेन में वॉर जोन में एक मासूम (फोटो- एपी)

अगर डोनेट्स्क क्षेत्र (Donetsk Oblast) की बात करें तो रूस समर्थित अलगाववादियों और रूसी सेना ने इस क्षेत्र के बड़े हिस्से पर कब्जा कर रखा है.  इनमें प्रमुख शहर डोनेट्स्क, मारीउपोल,बखमुत, अव्दीव्का और मारींका हैं. 

लुहान्स्क क्षेत्र (Luhansk Oblast) का लगभग पूरा हिस्सा रूस और रूस समर्थित "लुहान्स्क पीपुल्स रिपब्लिक" (LPR) के नियंत्रण में है. इनमें प्रमुख शहर लुहान्स्क, लिसिचांस्क और सेवेरोदोनेत्स्क है. 

Advertisement

यह भी पढ़ें: Ukraine Russia Crisis: पुतिन के मन की वो बात जो पलटना चाहती है दुनिया का इतिहास!

इसके अलावा खार्किव, ज़ापोरिझ्झिया, खेरसॉन ऐसे शहर हैं जहां रूस का कब्जा है. हालांकि कुछ ऐसे क्षेत्रों पर स्थिति लगातार बदलती रहती है. 

किस देश के कितने सैनिक मरे

तीन साल के इस जंग में किस देश के कितने सैनिक मरे ये एक बेहद विवादास्पद विषय है. कोई भी देश अपने वास्तविक नुकसान को बताना नहीं चाहता है. क्योंकि इसका इस्तेमाल प्रोपगेंडा के लिए किया जा सकता है.

रूस के सैनिकों की मौत का आंकड़ा क्या है

इस जंग से सुपर पावर के रूप में बनी रूस की प्रतिष्ठा को काफी धक्का पहुंचा. जंग में हजारों रूसी सैनिक मारे गए हैं. रूस की इकोनॉमी बुरी हालत में है. रूस में युवा जंग लड़ना चाहते हं. रूस को जबरन भर्तियां करनी पड़ रही है और भाड़े के सैनिकों का सहारा लेना पड़ा रहा है. 

हाल ही में रिपोर्ट आई थी कि नौकरी करने के लिए रूस गए भारतीयों को ठगी के जरिये जंग लड़ने के लिए भेजा जा रहा है.

अल जजीरा के अनुसार यूक्रेन के कमांडर-इन-चीफ कर्नल जनरल ओलेक्सेंडर सिरस्की का दावा है कि 30 दिसंबर, 2024 तक 2024 में युद्ध में 4,27,000 रूसी सैनिक मारे गए या घायल हुए. 

Advertisement

2 जनवरी को प्रकाशित एक विज्ञप्ति में, यूक्रेन के रक्षा मंत्रालय ने पिछले साल रूस के 430,790 सैनिकों के नुकसान का अनुमान लगाया. 

स्वतंत्र रूसी वेबसाइट मीडियाज़ोना के अनुसार, 1 जनवरी 2024 से 17 दिसंबर 2024 के बीच कम से कम 31,481 रूसी सैनिकों की मृत्यु की पुष्टि हुई है. 

बीबीसी द्वारा एनालिसिस किए गए आंकड़ों के अनुसार यूक्रेन में युद्ध के चौथे वर्ष में प्रवेश करने के साथ ही रूस की सेना के लिए लड़ने वाले 95,000 से अधिक लोग मारे गए हैं.

यूक्रेन का तबाह एक शहर (फोटो-एपी)

इस आंकड़े में वे लोग शामिल नहीं हैं जो स्वघोषित डोनबास गणराज्यों के मिलिशिया में लड़ते हुए मारे गए, बीबीसी का अनुमान है कि उनकी संख्या 21,000 से 23,500 के बीच है.

यूक्रेन के सैनिकों की मौत का आंकड़ा क्या है

अल जजीरा के अनुसार 8 दिसंबर को, यूक्रेनी राष्ट्रपति  ज़ेलेंस्की ने एक टेलीग्राम पोस्ट में घोषणा की कि फरवरी 2022 में युद्ध की शुरुआत के बाद से युद्ध के मैदान में 46,000 यूक्रेनी सैनिक मारे गए हैं.

पिछली बार उन्होंने फरवरी 2024 में यूक्रेनी सैनिकों की मृत्यु की घोषणा की थी, जब उन्होंने कहा था कि 31,000 यूक्रेनी सैनिक मारे गए थे. इसका मतलब यह होगा कि 2024 में लगभग 10 महीनों में युद्ध के मैदान में 12,000 यूक्रेनी सैनिक मारे गए.

Advertisement

12 हजार नागरिकों की मौतें, 30 हजार लोग जख्मी

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार निगरानी मिशन (HRMMU) के अनुसार 24 फरवरी 2022 को रूस द्वारा यूक्रेन पर फुल स्केल वॉर के बाद से  इस जंग में 12,654 से अधिक  पुरुषों, महिलाओं, लड़कियों और लड़कों की हत्या हो चुकी है. जबकि लगभग 30,000 लोग घायल हुए हैं.  84 प्रतिशत मौतें यूक्रेनी सरकार के नियंत्रण वाले क्षेत्र में और 16 प्रतिशत मौतें रूस के कब्जे वाले क्षेत्र में हुए हैं. 

जंग में तबाह यूक्रेन का एक शहर (फोटो- एएफपी)

इस तरह से इस जंग से 42 हजार लोग प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हुए हैं. इनमें से मरने वालों की संख्या 12 हजार और घायलों की संख्या 30 हजार है. 

UNICEF की रिपोर्ट कहती है कि इस जंग के शुरू होने के बाद 2520 बच्चे या तो मारे गए हैं या फिर घायल हुए हैं.

20 लाख लोग बेघर

संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों के अनुसार यूक्रेन में अभी 20 लाख लोग बिना घर के रह रहे हैं. 

रूस द्वारा भूमि पर कब्ज़ा करने और आक्रमण के बाद के वर्षों में लाखों यूक्रेनियन अपने घरों से भागकर यूक्रेन के अन्य भागों या अन्य देशों में चले गए हैं.

संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी के 2024 के अंत तक के आंकड़ों के अनुसार, यूरोप में 6.3 मिलियन से अधिक यूक्रेनी शरणार्थी रह रहे हैं, जिनमें जर्मनी में लगभग 1.2 मिलियन, पोलैंड में लगभग 1 मिलियन और चेक गणराज्य में 390,000 शामिल हैं.

Advertisement

जून 2024 तक संयुक्त राष्ट्र के नवीनतम अनुमान के अनुसार, रूसी फेडरेशन में 1.2 मिलियन यूक्रेनी शरणार्थी रह रहे थे.

एक करोड़ लोग विस्थापित

अनुमान है कि 10 मिलियन से ज़्यादा यूक्रेनियन अभी भी विस्थापित हैं. 2024 के अंत तक यूक्रेन में लगभग 3.7 मिलियन आंतरिक रूप से विस्थापित थे और 6.9 मिलियन यूक्रेनियन देश के बाहर शरण की तलाश कर रहे थे.

 युद्ध की शुरुआत के बाद से आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों की संख्या में लगभग 40% की कमी आई है, जबकि अन्य जगहों पर शरण लेने वालों की संख्या में लगभग 19% की वृद्धि हुई है. 

अरबों-खरबों डॉलर का नुकसान

रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे जंग की वजह से हुए आर्थिक नुकसान अरबों-खरबों में है. विश्व बैंक और यूक्रेन सरकार के अनुमान के अनुसार 2023 तक, यूक्रेन की अर्थव्यवस्था को लगभग 150 अरब डॉलर (लगभग 12.5 लाख करोड़ रुपये) का नुकसान होने का अनुमान था. 2024 के अंत तक यह आंकड़ा और बढ़ गया है, कुछ विशेषज्ञ इसे 400-500 अरब डॉलर तक आंकते हैं, जिसमें पुनर्निर्माण लागत शामिल है. 

2022 में यूक्रेन की जीडीपी 35-40% तक सिकुड़ गई थी, और 2023-2024 में इसमें मामूली सुधार हुआ, लेकिन यह अभी भी युद्ध-पूर्व स्तर से बहुत नीचे है. 

Advertisement

रूसी बमबारी में ध्वस्त सड़कें, पुल, स्कूल, अस्पताल,और नष्ट बिजली प्लांट के पुनर्निर्माण के लिए अरबों डॉलर चाहिए. 

रूस को भी इस युद्ध से भारी आर्थिक कीमत चुकानी पड़ी है, हालांकि उसका नुकसान यूक्रेन जितना प्रत्यक्ष नहीं है. 

अमेरिकी रक्षा मंत्रालय (पेंटागन) के 2023 के एक अनुमान के अनुसार, रूस ने युद्ध में सेना, हथियार, और लॉजिस्टिक्स पर 211 अरब डॉलर (लगभग 18 लाख करोड़ रुपये) खर्च किए थे.  2025 तक यह राशि 300 अरब डॉलर से ज़्यादा हो सकती है. पश्चिमी देशों के आर्थिक प्रतिबंधों से रूस की अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगा. 2022 में उसकी जीडीपी 2-3% घट गई. 

अगर सभी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष नुकसानों को जोड़ा जाए, तो रूस-यूक्रेन युद्ध से अब तक 1-1.5 खरब डॉलर (लगभग 80-125 लाख करोड़ रुपये) का नुकसान हो चुका है. इसमें यूक्रेन का बुनियादी ढांचा, रूस की युद्ध लागत, और वैश्विक प्रभाव शामिल हैं. 
 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement