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तिब्बत vs अरुणाचल, जानें कब कैसे बदलते गए चीन के सुर

भारत ने बार-बार कहा है कि दलाई लामा की यात्रा एक धार्मिक यात्रा थी और इस मामले को चीन को तूल नहीं देना चाहिए. देखते हैं कैसे तिब्बत और अरुणाचल को लेकर चीन के बयान बदलते गए और एशिया के इन दो महाशक्तियों के बीच रिश्ते तल्ख होते गए.

भारत चीन के बीच बढ़ी तल्खी भारत चीन के बीच बढ़ी तल्खी
संदीप कुमार सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 13 अप्रैल 2017,
  • अपडेटेड 1:29 PM IST

तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा की एक हफ्ते की अरुणाचल यात्रा से भन्नाया हुआ चीन भारत के खिलाफ भड़काऊ बयान दे रहा है. बुधवार को चीन ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश भारत में ही नहीं है बल्कि विवादित बॉर्डर का एक इलाका है. इससे पहले चीन ने ये भी कहा कि अरुणाचल के लोग भारत के गलत कानूनों से परेशान हैं और बीजिंग आना चाहते हैं. जबकि भारत ने बार-बार कहा है कि दलाई लामा की यात्रा एक धार्मिक यात्रा थी और इस मामले को चीन को तूल नहीं देना चाहिए. देखते हैं कैसे तिब्बत और अरुणाचल को लेकर चीन के बयान बदलते गए और एशिया के इन दो महाशक्तियों के बीच रिश्ते तल्ख होते गए.

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क्या है विवाद?
भारत और चीन के बीच विवाद 4 हजार किमी की सीमा को लेकर है जो कि निर्धारित नहीं है. इसे LAC कहते हैं. भारत और चीन के सैनिकों का जहां तक कब्जा है वही नियंत्रण रेखा है. जो कि 1914 में मैकमोहन ने तय की थी, लेकिन इसे चीन नहीं मानता और इसलिए अक्सर वो घुसपैठ की कोशिश करता रहता है. अरुणाचल को चीन अपना हिस्सा बताता है जबकि वह भारत का हिस्सा है. भारत इसमें चीन के दखल का विरोध करता रहा है. इसे लेकर दोनों देशों में दशकों से तनाव है और 1962 में जंग भी हो चुकी है. हालांकि, उसके बाद भारत-चीन सीमा पर एक भी गोली नहीं चली है.

चीन के विवादित बयान-
-चीन अरुणाचल पर अपना दावा जताता है और इसीलिए अरुणाचल को विवादित बताने के लिए ही चीन वहां के निवासियों को स्टेपल वीजा देता है जिसका भारत विरोध करता है.
-तवांग में स्थित बुमला दर्रा 2006 में 44 वर्षों के बाद व्यापार के लिए खोला गया. दोनों तरफ के व्यापारियों को एक दूसरे के क्षेत्र में प्रवेश करने की अनुमति दी गई.
-जनवरी 2011 में चीन ने कहा कि अरुणाचल तिब्बत का हिस्सा है. इसके बाद उसने अरुणाचल प्रदेश के दो खिलाड़ियों को चीन ने भारतीय पासपोर्ट पर वीजा नहीं दिया. खिलाड़ियों को नत्थी वीजा दिया गया, जिसमें अरुणाचल को दक्षिणी तिब्बत कहा गया.

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14 बार हो चुकी है बात
सीमा विवाद को सुलझाने के लिए नई दिल्ली और बीजिंग के बीच अब तक 14 बार वार्ता भी हो चुकी है. लेकिन ये बेनतीजा ही साबित हुई हैं. 2009 में लोकसभा चुनाव के वक्त प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह प्रचार के लिए अरुणाचल प्रदेश गए थे. चीन ने मनमोहन के दौरे की खुले तौर पर आलोचना की थी.

भारत का दो टूक जवाब
हाल में दलाई लामा की अरुणाचल यात्रा को लेकर जब चीन ने फिर हंगामा किया तो भारत ने दो टूक जवाब दिया और कहा कि अरुणाचल भारत का अंदरूनी मामला है और बेवजह विवाद खड़ा न करे चीन.

चीनी मीडिया का मोदी पर निशाना
चीन के प्रमुख अखबार ग्लोबल टाइम्स ने लिखा कि पूर्व के प्रधानमंत्रियों से इतर नरेंद्र मोदी का दलाई लामा के प्रति अलग ही रुख है. वह चीन के लिए चुनौती पेश कर रहे हैं. अखबार यह मानता है कि भारत परमाणु आपूर्ति समूह (एन.एस.जी.) की सदस्यता और पाक आतंकी मसूद अजहर के मुद्दे पर चीन से निराश है. इसलिए वह तिब्बत कार्ड खेल रहा है.

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