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टाइटन हादसे के दो महीने बाद टाइटैनिक का मलबा निकालने की तैयारी, अमेरिका क्यों कर रहा है विरोध?

साल 1912 में अटलांटिक महासागर में डूबा टाइटैनिक जहाज एक बार फिर चर्चा में है. चर्चा का मुख्य कारण टाइटैनिक का मलबा निकालने का प्लान है. अमेरिका इसका कड़ा विरोध रहा है. टाइटैनिक हादसे को अब तक का सबसे बड़ा समुद्री हादसा माना जाता है. इस हादसे में करीब 1500 लोगों की जान चली गई थी.

टाइटैनिक जहाज का मलबा (फाइल फोटो- NOAA) टाइटैनिक जहाज का मलबा (फाइल फोटो- NOAA)
aajtak.in
  • नई दिल्ली ,
  • 02 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 8:29 AM IST

जॉर्जिया स्थित आरएमएस टाइटैनिक इंक (आरएमएसटी)  कंपनी अगले साल टाइटैनिक का मलबा निकालने की तैयारी कर रही है. अमेरिकी सरकार आरएमएसटी के इस अभियान का कड़ा विरोध कर रही है और इसे रोकने के लिए निर्णायक रूप से हस्तक्षेप कर रही है. 

अमेरिका की ओर से यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब दो महीना पहले ही हुए टाइटन पनडुब्बी हादसे के बाद यह सवाल उठाया जाने लगा था कि यह कौन नियंत्रित करता है कि टाइटैनिक के अवशेष तक कौन जा सकता है. टाइटन पनडुब्बी हादसे में पनडुब्बी पर सवार सभी 5 लोगों की मौत हो गई थी.

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अमेरिकी न्यूज वेबसाइट 'न्यूयार्क टाइम्स' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, संघीय कानून और अंतरराष्ट्रीय समझौते का हवाला देते हुए अमेरिका, आरएमएसटी के इस अभियान का कड़ा विरोध कर रहा है. संघीय कानून और अंतरराष्ट्रीय समझौता जहाज के मलबे को कब्रगाह के रूप में मान्यता देता है.

वर्तमान में जॉर्जियाई कंपनी आरएमएस टाइटैनिक इंक के पास ही टाइटैनिक जहाज के मलबे को बचाने का अधिकार है. यह कंपनी टाइटैनिक जहाज के मलबे को निकाल कर प्रदर्शित करती है, जिसमें चांदी के बर्तन से लेकर टाइटैनिक के सेगमेंट तक की वस्तुएं शामिल हैं.

आरएमएसटी के अभियान का विरोध

रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी सरकार टाइटैनिक जहाज के मलबे को लेकर कानूनी कार्रवाई कर रही है कि कौन जहाज से कलाकृतियों को रिकवर कर सकता है. साथ ही यह संभावना है कि अमेरिका आरएमएसटी के अभियान पर रोक लगा सकता है.

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अमेरिका की ओर से की जा रही कानूनी कार्रवाई इसलिए भी अहम हो जाती है क्योंकि यह सरकार की विधायी और कार्यकारी नियमों के विरुद्ध है. टाइटैनिक जहाज का मलबा पहली बार सितंबर 1985 में मिला था. यह समुद्रतल से 12,500 फीट नीचे मौजूद है.

किसी भी आपत्तिजनक अभियान को रोकना मकसद

रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी सरकार टाइटैनिक हादसे के मामले में एक पक्ष बनना चाहती है और किसी भी आपत्तिजनक अभियान को रोकना चाहती है. अमेरिकी वाणिज्य सचिव और इसकी समुद्री इकाई नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (NOAA) का कहना है कि यह अधिकार उसके पास है कि वह किसी को टाइटैनिक तक पहुंचने की अनुमति देता है या नहीं. 

जहाज के मलबे के संरक्षण में विशेषज्ञता रखने वाले एनओएए के सेवानिवृत्त वकील ओले वर्मर का कहना है कि अमेरिका के इस कदम को आने में काफी समय लग गया है. सरकार को इस मामले में एक पार्टी के रूप में हस्तक्षेप करने और अदालत से इन कानूनों को लागू करवाने के लिए मजबूर किया गया है. 

टाइटैनिक जहाज का मलबा पहली बार सितंबर 1985 में मिला था. इसके बाद अमेरिकी अधिकारियों ने टाइटैनिक जहाज के मलबे तक पहुंच और उसे विनियमित करने के लिए कानूनी अधिकार की मांग शुरू कर दी थी. उस वक्त की तत्कालीन सरकार ने एक वैश्विक समझौते का आह्वान किया था. 1994 में जॉर्जिया स्थित कंपनी जॉर्जिया स्थित कंपनी आरएमएस टाइटैनिक इंक (आरएमएसटी)  को यह अधिकार दिया गया. सरकार ने घोषणा की थी कि किसी भी व्यक्ति को जहाज के मलबे में गड़बड़ी नहीं करनी चाहिए. 

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हालांकि, पिछले कुछ सालों में, जहाज के हजारों अवशेषों को समुद्र से रिकवर किया गया है, जिसमें टॉप हट, इत्र की शीशियाँ और डेक की घंटी शामिल हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, डेक की घंटी को हिमखंड के बारे में चेतावनी देने के लिए तीन बार बजाया गया था. 

टाइटन पनडुब्बी हादसे के बाद उठने लगे थे सवाल

18 जून को OceanGate कंपनी की पनडुब्बी टाइटन में सवार होकर टाइटैनिक जहाज का मलबा देखने गए सभी 5 लोगों की मौत हो गई थी. इस हादसे में OceanGate के सीईओ स्टॉकटन रश, पाकिस्तानी रईस शहजादा दाऊद और उनके बेटे सुलेमान दाऊद, हामिश हार्डिंग और पॉल-हेनरी नाजियोलेट की मौत हो गई थी. 

12,500 फीट की गहराई में है टाइटैनिक का मलबा

टाइटैनिक का मलबा समुद्र की सतह से 12,500 फीट की गहराई में है. इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि टाइटैनिक का मलबा दुनिया की सबसे ऊंची इमारत बुर्ज खलीफा की ऊंचाई से भी साढ़े चार गुना ज्यादा गहराई में है. 

टाइटैनिक हादसे को अब तक का सबसे बड़ा समुद्री हादसा माना जाता है. 14 अप्रैल 1912 की आधी रात को एक विशाल हिमखंड से टकराकर यह विशाल जहाज उत्तरी अटलांटिक महासागर में डूब गया था.

भयानक हादसे के वक्त टाइटैनिक 41 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से न्यूयॉर्क की तरफ बढ़ रहा था. इसका यह पहला ही सफर था और जहाज में 1300 यात्री और 900 चालक दल को मिलाकर 2200 लोग सवार थे. हादसे में करीब 1500 लोगों ने अपनी जान गंवा दी थी.

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