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भारत-बांग्लादेश बॉर्डर पर पशुओं की तस्करी रोकना बड़ी चुनौती

भारत-बांग्लादेश के बॉर्डर इलाकों के मामले सुलझाने के लिए हुई 42वीं कॉन्फ्रेन्स में भी पशुओं की तस्करी पूरी तरह से रोकने का कोई मैकेनिज्म नहीं मिल पाया.

गौ-तस्करी का मुद्दा अक्सर उठते रहता है गौ-तस्करी का मुद्दा अक्सर उठते रहता है
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 05 अक्टूबर 2016,
  • अपडेटेड 7:47 PM IST

भारत-बांग्लादेश के बॉर्डर इलाकों के मामले सुलझाने के लिए हुई 42वीं कॉन्फ्रेन्स में भी पशुओं की तस्करी पूरी तरह से रोकने का कोई मैकेनिज्म नहीं मिल पाया. चर्चा के दौरान ये बात सामने आई कि इसे पूरी तरह से रोकना असम्भव तो नहीं लेकिन मुश्किल है. क्योंकि बीएसएफ के पास जांच का पावर नहीं है इसके लिए पुलिस पर निर्भरता है.

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दोनों देशों के सीमा सुरक्षा बलों के DG ने बातचीत के दौरान बताया कि सरहद पर 148 गांव तो सीमा से सटे हैं जबकि 137 गांव सरहद के आरपार हैं. उनको लेकर भी निर्णायक बातचीत हुई है ताकि बाड़बंदी का काम पूरा हो.

बीएसएफ के डीजी केके शर्मा ने कहा कि ड्रग्स, आशु, नकली नोट और हथियारों की स्मगलिंग रोकने के लिए साझा पेट्रोलिंग और साझा सीमा प्रबंधन और खुफिया सूचना के आदान प्रदान से काफी मदद मिल रही है. हम इसे और व्यवस्थित कर रहे हैं. यही वजह है कि दोनों फोर्सेज के रिश्ते दुनिया में सौहार्द की मिसाल हैं.

इस मौके पर फैसला हुआ कि भारत देश के इंस्टिट्यूशन में BGB के सिपाहियों और ऑफिसरों के 120 बच्चों के लिए BSF स्कॉलरशिप देगा.

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