
बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) ने पाकिस्तान में क्वेटा से पेशावर जा रही जाफर एक्सप्रेस पर हमला कर हड़कंप मचा दिया है. पाकिस्तानी सेना का रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है. इस ट्रेन में लगभग 500 यात्री सवार थे जिनमें एक बड़ी संख्या सैन्यकर्मियों की है. लेकिन इन सबके बीच सवाल खड़ा हो गया है कि बीएलए के विद्रोहियों ने जाफर एक्सप्रेस को ही निशाना क्यों बनाया?
बीएलए की मजीद ब्रिगेड ने खुफिया तरीके से इस हमले को अंजाम दिया. जाफर एक्सप्रेस पाकिस्तान के बलूचिस्तान के क्वेटा से पेशावर के बीच चलने वाली सबसे अहम ट्रेन है. इस रूट से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को भी बड़ा सहारा मिलता है.
जाफर एक्सप्रेस बलूचिस्तान के बेहद महत्वपूर्ण रूट से होकर गुजरती है. इस इस ट्रेन से अक्सर सैनिक, सरकारी कर्मचारी और सरकारी अधिकारी यात्रा करते हैं. ऐसे में बीएलए ने काफी सोच-विचारकर इस ट्रेन को निशाना बनाया ताकि सरकार पर आसानी से दबाव बनाया जा सके.
यह पहली बार नहीं है, जब जाफर एक्सप्रेस को BLA ने निशाना बनाया है. विद्रोही गुट अक्सर पाकिस्तान सरकार पर दबाव बनाने के लिए इस ट्रेन को निशाना बनाता है. पिछले लगभग एक दशक में इस ट्रेन से दो से तीन बार हमले हो चुके हैं.
BLA ने कैसे दिया हमले को अंजाम?
पाकिस्तान के क्वेटा से जाफर एक्सप्रेस मंगलवार सुबह लगभग 9 बजे पेशावर के लिए रवाना हुई थी. इस ट्रेन को दोपहर 1.30 बजे सिब्बी पहुंचना था. लेकिन बोलान के माशफाक टनल में हमला हुआ. ट्रेन जहां से गुजर रही थी, वह पहाड़ी इलाका है. यहां 17 सुरंगें हैं, जिस कारण ट्रेन की रफ्तार धीमी करना पड़ी, जिसका फायदा उठाकर बीएलए ने माशफाक में टनल नंबर-8 को उड़ा दिया. इससे ट्रेन बेपटरी हो गई और ट्रेन को हाईजैक कर लिया गया.
इस हमले को BLA ने पूरी प्लानिंग के साथ अंजाम दिया. BLA के लड़ाके पहले से ही घात लगाकर बैठे थे. हमले के लिए BLA ने अपने सबसे घातक लड़ाके मजीद ब्रिगेड और फतेह को तैयार किया था.
सुरक्षा सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तानी सेना के ऑपरेशन की वजह से आतंकी दो समूहों में बंटे हुए हैं. बीएलए के विद्रोहियों ने जाफर एक्सप्रेस ट्रेन को मशकाफ टनल (Mashkaf Tunnel) में हाईजैक किया. यह टनल क्वेटा से 157 किलोमीटर की दूरी पर है. यह टनल जिस इलाके में है, वह बेहद दुर्गम पहाड़ी इलाका है, जिसका सबसे नजदीकी स्टेशन पहरो कुनरी है.
हाईजैक हुई ट्रेन इस समय बोलन दर्रे में खड़ी है. यह पूरा इलाका पहाड़ियों और सुरंगों से घिरा हुआ है, जिस वजह से मोबाइल नेटवर्क भी नहीं है. इस वजह से रेस्क्यू ऑपरेशन में दिक्कतें भी हैं. इस बीच पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा कि इन सब चुनौतियों के बावजूद सेना का मनोबल बना हुआ है.
बता दें कि अब तक के अपडेट के मुताबिक, पाकिस्तानी सेना ने 155 बंधकों को बीएलए की गिरफ्त से छुड़ाने का दावा किया है. कहा जा रहा है कि अभी भी 100 के आसपास बंधक फंसे हुए हैं.
बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे अशांत प्रांत है. यहां 1948 से ही बलूचों और पाकिस्तानी सेना के बीच टकराव होता रहा है. बलूचिस्तान के लोग पाकिस्तान से अलग होने की मांग समय से कर रहे हैं. बीते कुछ समय में चीन का इस इलाके में दखल बढ़ा है. चीन इस इलाके में कई परियोजनाओं पर काम कर रहा है, जिस वजह से उन पर लगातार हमले भी हो रहे हैं.