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300 अरब डॉलर के बदले यूक्रेन से ये चीज मांग रहे ट्रंप! जानें- ग्रीनलैंड पर क्यों गड़ा रखी है नजर

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि अगर यूक्रेन रूस के खिलाफ युद्ध में अमेरिकी पैसा चाहता है तो उसे अमेरिका को दुर्लभ मृदा खनिज देने होंगे. ट्रंप इन्हीं खनिजों की वजह से ग्रीनलैंड को भी खरीदना चाहते हैं. अमेरिका इन खनिजों को चीन से आयात करता है लेकिन चीन ने अमेरिका को इनके आयात पर कड़े प्रतिबंध लगा रखे हैं.

डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि आर्थिक मदद के बदले में यूक्रेन उन्हें दुर्लभ मृदा खनिज दे (Photo- Reuters) डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि आर्थिक मदद के बदले में यूक्रेन उन्हें दुर्लभ मृदा खनिज दे (Photo- Reuters)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 04 फरवरी 2025,
  • अपडेटेड 4:56 PM IST

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को साफ कह दिया कि अगर यूक्रेन रूस के खिलाफ युद्ध में अमेरिकी मदद चाहता है तो बदले में उसे दुर्लभ मृदा खनिज (Rare Earth Materials) उपलब्ध कराए. व्हाइट हाउस में मीडिया से बात करते हुए ट्रंप ने कहा कि अमेरिका के लगभग 300 अरब डॉलर की मदद के बदले में यूक्रेन से बराबरी की मदद चाहता है.

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ट्रंप ने कहा, 'हम यूक्रेन को बता रहे हैं कि उनके पास बहुत कीमती दुर्लभ खनिज हैं. हम यूक्रेन के साथ एक ऐसा समझौता करना चाहते हैं, जिसमें हमारी मदद के बदले वो हमें अपनी दुर्लभ खनिज और बाकी चीजें दे.'

हालांकि, यह साफ नहीं हो पाया कि ट्रंप रेयर अर्थ का इस्तेमाल सभी प्रकार के महत्वपूर्ण खनिजों के लिए कर रहे थे या सिफ रेयर अर्थ के लिए.

रणनीतिक रूप से बेहद अहम हैं दुर्लभ मृदा खनिज

दुर्लभ मृदा 17 धातुओं का एक समूह है जिसका इस्तेमाल चुंबक बनाने के लिए किया जाता है. इनसे बना चुंबक बिजली से चलने वाली गाड़ियों, सेलफोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए बिजली को गति में बदल देते हैं.

अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने 50 खनिजों को महत्वपूर्ण माना है, जो देश की अर्थव्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी हैं. इनमें कई प्रकार के दुर्लभ मृदा, निकेल और लिथियम शामिल हैं.

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यूक्रेन में यूरेनियम, लिथियम और टाइटेनियम के विशाल भंडार हैं. अमेरिका के पास केवल एक ही दुर्लभ मृदा खदान है. यह काम तो करता है लेकिन इसकी प्रसंस्करण क्षमता बहुत कम है.

चीन दुनिया का सबसे बड़ा दुर्लभ मृदा और कई अन्य महत्वपूर्ण खनिजों का उत्पादक है. अमेरिका अपनी दुर्लभ मृदा खनिज की जरूरतों के लिए चीन पर ही निर्भर है. लेकिन चीन से बढ़ती प्रतिस्पर्धा के बीच अमेरिका चीन से अपनी निर्भरता घटाना चाहता है. चीन ने अमेरिका को इन खनिजों के निर्यात पर कई प्रतिबंध भी लगा रखे हैं. इसे देखते हुए अमेरिका रेयर अर्थ मैटेरियल्स के नए स्रोत ढूंढ रहा है.

ग्रीनलैंड खरीदने का ट्रंप का सपना और दुर्लभ मृदा खनिजों में क्या है संबंध?

अमेरिका के लिए ग्रीनलैंड रणनीतिक रूप से बेहद अहम है और इसलिए ट्रंप ने दोबारा सत्ता में आते ही इसे खरीदकर अमेरिका में मिलाने का प्रस्ताव दिया था. डेनमार्क का स्वायत्त क्षेत्र ग्रीनलैंड कई दुर्लभ मृदा खनिजों का घर है.

यहां Neodymium, Dysprosium, scandium और Yttrium जैसे दुर्लभ मृदा खनिज मिलते हैं. माना जाता है कि ग्रीनलैंड में इन चारों खनिजों का विशाल भंडार है. इन खनिजों का इस्तेमाल मोबाइल फोन, इलेक्ट्रॉनिक गाड़ियों और अन्य इलेक्ट्रॉनिक सामानों में किया जाता है. बम, हथियारों, मिलिट्री जेट इंजन, सैटेलाइट और लेजर में भी इनका इस्तेमाल होता है. 

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ग्रीनलैंड को खरीदने के ट्रंप के प्रस्ताव के पीछे ये एक बड़ी वजह है. हालांकि, इसका भारी विरोध हो रहा है और डेनमार्क ने कह दिया है कि ग्रीनलैंड बिकाऊ नहीं है.

चीनी प्रतिबंधों की काट ढूंढ रहा अमेरिका

अमेरिका सालों से अपने इस्तेमाल का दुर्लभ मृदा खनिज चीन से आयात करता रहा है. साल 2019 में अमेरिका ने अपने कुल दुर्लभ खनिज आयात का 78% चीन से लिया. 2019 से 2022 के बीच अमेरिका ने अपने कुल खरीद का 72% चीन से खरीदा. लेकिन दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव के कारण चीन ने इन खनिजों के अमेरिका भेजने पर कई तरह का प्रतिबंध लगा दिया है.

1 अक्टूबर 2024 को चीन ने तत्काल प्रभाव से दुर्लभ मृदा को अमेरिका भेजने पर रोक लगा दी. 3 दिसंबर 2024 चीन ने कुछ खास तरह के दुर्लभ मृदा खनिजों को अमेरिका को बेचने पर प्रतिबंध लगा दिया. इन प्रतिबंधों को देखते हुए अमेरिका अब इन खनिजों का नया स्रोत ढूंढ रहा है और यूक्रेन उसे एक विकल्प नजर आ रहा है.

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