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ट्रंप का 'रेसिप्रोकल टैरिफ' भारत के किन सेक्टर्स पर डालेगा असर!

भारत पर भी अगर डोनाल्ड ट्रंप रेसिप्रोकल टैरिफ लगाते हैं तो इसका भारत से अमेरिका में होने वाले एक्सपोर्ट पर गहरा असर पड़ सकता है. ये असर सिर्फ आयात तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि हजारों कर्मचारियों पर भी इसका असर पड़ सकता है.

US President Donald Trump (File Photo) US President Donald Trump (File Photo)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 14 फरवरी 2025,
  • अपडेटेड 8:26 PM IST

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप रेसिप्रोकल टैरिफ का ऐलान कर चुके हैं. उन्होंने कहा है कि वह हर देश पर उतना ही टैरिफ लगाएंगे, जितना वो देश अमेरिका पर लगाता है. भले ही सुनने में ट्रंप की ये बात बराबरी और समानता के लिहाज से ठीक लगती है. लेकिन असल में कई देशों के लिए ट्रंप का यह फैसला सिरदर्द बन सकता है.

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एशियाई देशों की बात करें तो भारत जैसे उभरते देश के लिए यह टैरिफ जापान जैसे विकसित देश की तुलना में ज्यादा जोखिम पैदा करता है. भारत पर भी अगर डोनाल्ड ट्रंप रेसिप्रोकल टैरिफ लगाते हैं तो इसका भारत से अमेरिका में होने वाले एक्सपोर्ट पर गहरा असर पड़ सकता है. ये असर सिर्फ आयात तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि हजारों कर्मचारियों पर भी इसका असर पड़ सकता है.

प्रेस कांफ्रेंस में ट्रंप ने क्या कहा

ट्रंप ने 13 फरवरी को पीएम मोदी के साथ वॉशिंगटन डीसी में संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस की. पीएम मोदी भी इस दौरान उनके साथ थे. ट्रंप ने भारत के साथ व्यापार में 'निष्पक्षता और पारस्परिकता' लागू करने की योजना का ऐलान किया.

ट्रंप का कहना है कि उनका उद्देश्य भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाना और दोनों अर्थव्यवस्थाओं के बीच टैरिफ संरचनाओं में समानता लाना है. संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रंप ने कहा कि जो भी टैरिफ भारत लगाता है, हम भी उतना ही टैरिफ लगाते हैं. हम एक निश्चित स्तर का खेल मैदान चाहते हैं.

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ट्रेड में भारत को होता है फायदा

आंकड़ों से पता चलता है कि भारत का अमेरिका के साथ व्यापार संतुलन पॉजिटिव है. इसका मतलब है कि भारत ने 2023 में अमेरिका को आयात की तुलना में लगभग 50 बिलियन डॉलर का सामान निर्यात किया. सरकार के मुताबिक 2023 में अमेरिका से भारत का आयात लगभग 70 बिलियन डॉलर था. जबकि भारत ने अमेरिका को 120 बिलियन डॉलर का सामान और सर्विस का निर्यात की. दोनों देशों के बीच कुल मिलाकर लगभग 190 बिलियन डॉलर का व्यापार हुआ.

नोमुरा के विश्लेषकों के मुताबिक चीन-थाईलैंड के अलावा भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं में अमेरिकी निर्यात पर अपेक्षाकृत उच्च टैरिफ दरें हैं और 'इसलिए उच्च पारस्परिक टैरिफ का जोखिम है. वास्तव में अमेरिकी आयात के मुकाबले भारत की औसत टैरिफ दर (9.5%) प्रमुख एशियाई अर्थव्यवस्थाओं में सबसे ज्यादा है. इसके बाद चीन (7.1%), थाईलैंड (6.2%) और इंडोनेशिया (4.2%) है.

क्या होता है रेसिप्रोकल टैरिफ

परिभाषा के मुताबिक पारस्परिक शुल्क का अर्थ है दूसरे देशों से आयात पर वही शुल्क लगाना जो अन्य देश अमेरिकी निर्यात पर लगाते हैं. उदाहरण के लिए यदि भारत अमेरिकी ऑटोमोबाइल पर 25% शुल्क लगाता है तो अमेरिका भी भारत से ऑटोमोबाइल के आयात पर 25% शुल्क लगाएगा.

जापान जैसे विकसित एशियाई देशों की तुलना में भारत जैसे उभरते एशियाई देशों के लिए पारस्परिक टैरिफ एक बड़ा जोखिम है. नोमुरा के मुताबिक अमेरिका को भारत के निर्यात पर भारत का औसत प्रभावी टैरिफ लगभग 9.5% है, जबकि अमेरिका को भारत के निर्यात पर टैरिफ दर 3% है.

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नोमुरा के मुताबिक दो क्षेत्र-कृषि और परिवहन-अधिक जोखिम का सामना कर रहे हैं. इनके अलावा, भारत में विशेष रूप से उच्च सापेक्ष टैरिफ दरों वाले अन्य क्षेत्र कपड़ा, जूते और केमिकल हैं. भारत से अमेरिका को किए जाने वाले प्रमुख निर्यातों में इलेक्ट्रिकल/औद्योगिक मशीनरी, रत्न और आभूषण, फार्मास्यूटिकल्स, ईंधन, लोहा और इस्पात, कपड़ा, वाहन, परिधान और रसायन आदि शामिल हैं, जिनमें से लोहा और इस्पात तथा एल्युमीनियम कुल निर्यात का लगभग 5.5% है.

(रिपोर्ट: अर्नब दत्ता)

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