
भूकंप के बाद हर ओर तबाही का मंजर, मलबे में दफन जिंदगियां, आंख में आंसू और हर आहट पर अपनों की आने की उम्मीद. तुर्की और सीरिया में आए महाविनाशकारी भूकंप ने 25 हजार से ज्यादा जानें ले ली हैं और कई के मलबे में दबे होने की आशंका है. ये भूकंप 6 फरवरी की सुबह आया था, यानी इसे अब तक 5 दिन बीत चुके हैं. इसके बाद से जारी बचाव अभियान में बचावकर्मी जिन हालातों में लोगों को ढूंढ कर निकाल रहे हैं उसे सोचकर भी रूह कांप जा रही है. कई दिनों तक भूखे- प्यासे और न हिल पाने की स्थिति में किसी बचावकर्मी को अपने नजदीक पहुंचता देखकर पीड़ितों की आंखों में जिंदा बच पाने की उम्मीद जाग रही है. वे खुशी से रो पड़ रहे हैं.
'इंशाअल्लाह' रटता मलबे के नीचे घुसा और 10 दिन के मासूम को निकाला
यहां भूकंप के 90 घंटे बाद बचावकर्मियों ने मलबे के नीचे से चमत्कारी रूप से एक 10 दिन के बच्चे और उसकी मां को जीवित निकाला है. यागिज़ उल्स नाम के 10 दिन के बच्चे को हाटे के दक्षिणी प्रांत में एक क्षतिग्रस्त इमारत से बचाया गया. धीरे- धीरे 'इंशाअल्लाह' (ईश्वर की इच्छा रही) कहते हुए बचावकर्मी सावधानी से मलबे के नीचे पहुंचा और बच्चे को निकालकर अपनी टीम के सदस्यों को सौंप दिया. बच्चे को तुरंत थर्मल कंबल में लपेटा गया और समंदाग शहर के एक चिकित्सा क्षेत्र केंद्र में ले जाया गया. तुर्की की आपदा एजेंसी के एक वीडियो में दिखाया गया है कि कर्मचारियों ने उसकी मां को भी निकालकर स्ट्रेचर पर लेटाया हुआ था, जो हल्के होश में थी.
101 घंटे बाद मलबे से निकाले गए एक ही परिवार के 6 लोग
इसके अलावा भी कई जगह चमत्कारी रूप से लोग 5 दिन बाद भी बचाकर निकाले गए हैं. बचावकर्मियों के अनुसार, हटे प्रांत में स्थित इस्केंडरुन में एक गिरी हुई इमारत से एक ही परिवार के छह लोगों को निकाला गया. ये लोग 101 घंटों से फंसे हुए थे.
ह्यूमन चेन बनाकर बचाया 2 साल का मासूम
नूरदागी में, इस्केंडरुन के पास, एक स्पेनिश बचावकर्मी ने दो साल के बच्चे को बामुश्किल मलबे से निकालते हुए कहा- “I got him, I got him, let's go”. इसके बाद स्पैनिश मिलिट्री इमर्जेंसी यूनिट (यूएमई) के सैनिकों की एक टीम ने बच्चे को एक गर्म तंबू में ले जाने के लिए एक ह्यूमन चेन बनाई और सुरक्षित वहां पहुंचाया. कुछ ही समय बाद, उन्होंने उसकी छह वर्षीय बहन एलिफ़ और फिर उसकी माँ को भी बचाकर बाहर निकाला.
मलबे में दबे युवक के रोने की आवाज ड्रिल से भी तेज
इसके अलावा एक पक्की इमारत से एक और युवा लड़के का भयभीत चेहरा दिखाई दिया, उसके रोने की आवाज उसे बचाने की कोशिश कर रहे ड्रिल और ग्राइंडर की आवाज़ से भी तेज थी. भूकंप आने के 103 घंटे बाद उसके साथ उसकी मां को भी बचाकर निकाला गया.
बचाया गया मृत मां की नाल से जुड़ा नवजात
तीन दिन पहले सीरियाई मीडिया ने बताया कि विनाशकारी भूकंपॉ में एक गर्भवती महिला अपने घर के मलबे में फंस गई और वही उसे लेबर पेन शुरू हो गया. महिला ने मलबे में ही एक बच्चे को जन्म दिया. बच्चे को चिकित्सकों की मदद से सुरक्षित निकाल लिया गया लेकिन उसकी मां को नहीं बचाया जा सका. बच्चे को जब पाया गया तो वह अपनी मां के शरीर से नाल से जुड़ा हुआ था.
दुनिया भर से तुर्की को मदद
बता दें कि तुर्की में 6 फरवरी की सुबह भूकंप आया था, यानी इसे अब तक 5 दिन बीत चुके हैं. भूकंप की मार झेल रहे तुर्की और सीरिया की मदद के लिए कई देश आगे आए हैं. भारत ने मेडिकल टीम के साथ ही NDRF की टीमों को भी तुर्की पहुंचा दिया है तो वहीं भारत के अलावा कई देशों ने मदद भेजी है. वर्ल्ड बैंक ने तुर्की को 1.78 बिलियन डॉलर देने का ऐलान किया है. वहीं, अमेरिका ने तुर्की और सीरिया की मदद के लिए 85 मिलियन डॉलर की सहायता की घोषणा की है.
धरती हिली तो बार-बार हिली
तुर्की में भूकंप का पहला झटका 6 फरवरी की सुबह 4.17 बजे आया. रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 7.8 मैग्नीट्यूड थी. भूकंप का केंद्र दक्षिणी तुर्की का गाजियांटेप था. इससे पहले की लोग इससे संभल पाते कुछ देर बाद ही भूकंप का एक और झटका आया, रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 6.4 मैग्नीट्यूड थी. भूकंप के झटकों का यह दौर यहीं नहीं रुका. इसके बाद 6.5 तीव्रता का एक और झटका लगा. भूकंप के इन झटकों ने मालाटया, सनलीउर्फा, ओस्मानिए और दियारबाकिर सहित 11 प्रांतों में तबाही मचा दी. शाम 4 बजे भूकंप का एक और यानी चौथा झटका आया. बताया जा रहा है कि इस झटके ने ही सबसे ज्यादा तबाही मचाई. इसके ठीक डेढ़ घंटे बाद शाम 5.30 बजे भूकंप का 5वां झटका आया.