
तुर्की में भूकंप से मची तबाही के बाद असली अग्निपरीक्षा की घड़ी अब आई है. कई दिन बीतने के बाद अभी भी मलबे से लोगों को बाहर निकाला जा रहा है. विडंबना ये है कि कुछ खुशकिस्मत जिंदा बाहर निकाले गए जबकि कुछ मुर्दा बाहर निकाले जा रहे हैं. राहत एवं बचाव कार्यों के बीच भारतीय सेना और एनडीआरएफ की मदद से छह साल की एक बच्ची को मलबे से जिंदा बाहर निकाला गया था. लेकिन बहुत कम लोगों को मालूम है कि नासरीन नाम की इस बच्ची को जिंदा बाहर निकालने में दो भारतीय स्निफर डॉग्स की अहम भूमिका है.
नेशनल डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स (एनडीआरएफ) छह साल की नासरीन को सोमवार को आए भूकंप के तीन दिन बाद मलबे से जिंदा बाहर निकालने में कामयाब हुआ. लेकिन इसका क्रेडिट एनडीआरएफ के दो स्निफर डॉग्स रोमियो और जूली को जाता है. इन्हीं स्निफर डॉग्स ने यह पता लगाया कि छह साल की नासरीन मलबे में कहां दबी है. रोमियो और जूली की मदद से इस बच्ची को जिंदा बाहर निकालना मुश्किल था.
रोमियो और जूली के हैंडलर्स और डॉग स्क्वॉड के कमांडर गुरमिंदर सिंह ने बताया कि सबसे पहले जूली ने पता लगाया कि नासरीन मलबे में कहां दबी हुई है और उन्होंने हैंडलर को इसकी जानकारी दी. इसके बाद रोमियो को मौके पर लाया गया और उसने पुख्ता किया कि मलबे में दबा शख्स जिंदा है.
नासरीन को मलबे से बाहर निकालने के बाद उसे मिलिट्री हेलीकॉप्टर से एयरलिफ्ट कर तुर्की के हताय में भारतीय सेना के फील्ड अस्पताल लाया गया. यहां उसका इलाज किया जा रहा है और फिलहाल उसकी हालत स्थिर है.
रोमियो और जूली लेब्राडोर नस्ल के कुत्ते हैं. इन्हें स्निफिंग और बचाव कार्यों के लिए ट्रेन किया गया है. एनडीआरएफ की दो अलग-अलग टीमों के साथ रोमियो और जूली मंगलवार को तुर्की के लिए रवाना हुए थे. भारतीय सेना और एनडीआरएफ की टीमें भारत सरकार के ऑपरेशन दोस्त के तहत भूकंप पीड़ित तुर्की और सीरिया की मदद कर रहे हैं.
तुर्की में भारतीय सेना बनी मसीहा
ऑपरेशन दोस्त के तहत तुर्की के हताय प्रांत में भारतीय सेना का 60 पैरा फील्ड अस्पताल घायलों से खचाखच भरा है. यहां भारतीय सेना की 99 सदस्यों की की मेडिकल टीम मौजूद है, जिसमें एक महिला सहित 13 डॉक्टर 24 घंटे सेवाएं दे रहे हैं. यह टीम अभी तक 150 घायलों का इलाज कर चुकी है.
भूकंपग्रस्त तुर्की में सर्च एंड रेस्क्यू ऑपरेशन में तुर्की और भारत की सेना एक साथ ग्राउंड जीरो पर डटी हुई है. मलबे में दबे घायलों की तलाश की जा रही है और उन्हें समय रहते बाहर निकालने की जद्दोजहद भी की जा रही है.
तुर्की में रेस्क्यू अभियान को अंजाम दे रही सेना के एक अधिकारी कहते हैं कि जैसे ही यहां लोगों को पता चला कि भारतीय सेना और एनडीआरएफ की टीमें मदद के लिए आ चुकी हैं तो लोग हमारे पास आ रहे हैं. स्थानीय लोग रेस्क्यू टीमों को अपने वाहनों में बैठाकर उन जगहों पर ले जा रहे हैं, जहां उन्हें लगता है कि उनके अपने मलबे में दबे हो सकते हैं.
भारत इस संकट में लगातार तुर्की की मदद कर रहा है. भारत ने तुर्की को राहत सामग्री भेजी है. इसके साथ ही 150 प्रशिक्षित सैन्यकर्मियों की तीन टीमें, डॉग स्क्ववॉड, अत्याधुनिक उपकरण, वाहन और अन्य जरूरी सप्लाई भेजी है. भारत ने जो उपकरण तुर्की भेजे हैं, वे दरअसल मलेब में दबे लोगों को सर्च करने में उपयोगी साबित होंगे.