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तुर्की में भूकंप का शार्ली हेब्दो ने उड़ाया मजाक! भड़के लोग बोले- इस्लाम से नफरत का सबूत

फ्रांस की व्यंग पत्रिका शार्ली हेब्दो ने तुर्की के भूकंप को लेकर एक कार्टून बनाया है जिसे लेकर लोगों में भारी आक्रोश है. लोगों का कहना है कि पत्रिका का कार्टून असंवेदनशील है और यह इस्लामोफोबिया से ग्रस्त है. तुर्की के जाने-माने लोग कार्टून को लेकर पत्रिका पर निशाना साध रहे हैं.

भूकंप से हुई बर्बादी देख रोती तुर्की की एक बुजुर्ग (Photo- Reuters) भूकंप से हुई बर्बादी देख रोती तुर्की की एक बुजुर्ग (Photo- Reuters)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 09 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 9:29 PM IST

तुर्की और सीरिया में इस हफ्ते आए विनाशकारी भूकंप की तस्वीरें और वीडियो देख दुनिया भर के लोगों की आंखें नम हो गई हैं. लेकिन इस विनाश पर फ्रांस की व्यंग पत्रिका शार्ली हेब्दो ने एक ऐसा कार्टून छापा है जिस पर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है. लोगों का कहना है कि पत्रिका ने एक प्राकृतिक आपदा में मरे लोगों का मजाक बना दिया है. कई जाने-माने पत्रकार और बुद्धिजीवी शार्ली हेब्दो के कार्टून को असंवेदनशील बताते हुए पत्रिका पर इस्लामोफोबिया से ग्रस्त होने का आरोप लगा रहे हैं.

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शार्ली हेब्दो मे तुर्की में भूकंप के ठीक बाद 'ड्राइंग ऑफ द डे' शीर्षक से एक कार्टून प्रकाशित किया. कार्टून में ढह गई इमारतों और मलबे के ढेर पर लिखा गया, 'तुर्की में भूकंप.' कार्टून के नीचे लिखा गया, 'अब टैंक भेजने की कोई जरूरत नहीं.' इस कार्टून में अलगाववादी कुर्दों वाले इलाकों में तुर्की सेना के टैंक भेजने और मोर्टार शेल से तबाही को लेकर तंज कसा गया है. तुर्की कुर्दों को अलगाववादी के रूप में बड़ा खतरा मानता है. कुर्द बहुल यही इलाका भूकंप से सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है.

इस कार्टून को लेकर सोशल मीडिया पर लोगों में भारी आक्रोश है. कई लोगों ने कार्टून को 'नस्लवादी' और नीच सोच वाला बताया और हजारों निर्दोष पीड़ितों का मजाक उड़ाने के लिए इसकी कड़ी निंदा की.

तुर्की की विदेश मामलों की पत्रकार सिरीन ओजनूर ने ट्वीट किया, 'तुर्की के लोगों ने भी मुसीबत के वक्त आपका साथ दिया था और आज आप लोगों के दर्द का मजाक बनाने की हिम्मत कर रहे हैं. ऐसे समय में जब छोटे बच्चे मलबे में दबे हैं, ऐसा कार्टून बनाने के लिए आपको शर्म आनी चाहिए.'

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आपको बता दें कि 7 जनवरी 2015 में जब पैगंबर मोहम्मद पर विवादित कार्टून बनाने को लेकर पेरिस स्थित शार्ली हेब्दो के मुख्यालय पर हमला हुआ था तब पूरे विश्व में इसकी आलोचना हुई थी. तुर्की के लोगों ने भी हमले की निंदा करते हुए शार्ली हेब्दो का साथ दिया था. लेकिन अब जब तुर्की के लोग मुसीबत में हैं, पत्रिका ने ऐसा कार्टून बनाकर तुर्की सहित दुनिया भर के लोगों को भड़का दिया है.

तुर्की के एक नेता प्रो. हासी अहमत ओज्दमीर ने ट्वीट किया, 'दूसरों के दुर्भाग्य और पीड़ा की खुशी मना रहे हो....यह संसार में सबसे शर्मनाक हरकत है.'

तुर्की की मशहूर एक्ट्रेस दिमित ओज्देमीर ने ट्वीट किया, 'ये कोई मजाक है? तुम्हारे पास दिल नहीं है! मनुष्य होना कितना बड़ा गुण है, जो तुममें नहीं है.'

इस्लामोफोबिया के विद्वान खालिद बेयदून ने ट्वीट किया, 'बेहद नीच किस्म की हरकत, नस्लवादी और बेहद असंवेदनशील.'

यूजर अब्दुल्ला अल-अमदी ने एक ट्वीट में लिखा, 'दूसरों की पीड़ा का मजाक उड़ाना बेहद नीच हरकत है और पत्रकारिता की नैतिकता से इसका कोई लेना-देना नहीं है.' लेबनान के पत्रकार गिजेल खौरी ने कार्टून को शर्मनाक बताते हुए पत्रिका से मांग की कि वो उन्हें यह समझाए कि उसका कार्टून अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता कैसे हैं.

राणा अबी जोमा, जो एक लेबनानी पत्रकार भी हैं, ने लिखा, 'शार्ली हेब्दो के नस्लवाद की कोई सीमा नहीं है. अगर आज के बाद भी कोई फ्रांस की इस व्यंग्यात्मक पत्रिका का बचाव करेगा तो मुझे आश्चर्य होगा.'

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ट्यूनीशिया के पत्रकार मौराद तैयब ने लिखा, 'शार्ली हेब्दो अपने प्रसिद्ध अभद्र भाषा, कट्टरता, औसत दर्जे की अनैतिक पत्रकारिता और उपनिवेशवादी तिरस्कार के प्रति वफादार है. प्रेस की स्वतंत्रता से इसका कोई लेना-देना नहीं है.'

शिरीन मजारी नाम की एक यूजर ने लिखा, 'घृणा और इस्लामोफोबिया अपने चरम पर है. यह लोगों को अंदर तक बीमार कर रही है. एक प्राकृतिक आपदा पर शार्ली हेब्दो की इस तरह की प्रतिक्रिया बीमार मानसिकता की निशानी है.

तुर्की के कई लोग लिख रहे हैं कि 2015 में तुर्की ने शार्ली हेब्दो के साथ एकजुटता इसलिए नहीं दिखाई थी कि एक दिन वो तुर्की के लोगों का मजाक उड़ाए.

तुर्की और सीरिया में सोमवार तड़के आए भूकंप ने भारी तबाही मचाई है. इस भूकंप में अब तक 15000 लोगों के मौत की खबर है. अभी भी कई लोग मलबे के नीचे दबे हैं लेकिन गुजरते समय के साथ-साथ उनके बचने की उम्मीद भी कम होती जा रही है. ठंड और बारिश से राहत और बचाव कार्य में काफी मुश्किलें आई हैं.

लोगों में धीमी गति से चल रहे बचाव कार्य को लेकर गुस्सा भी है. जिन लोगों को मलबे से निकाल लिया गया है वो भी ठंड और भूख से बेहाल हैं. भारत, अमेरिका, जर्मनी, नाटो आदि ने तुर्की को मदद भेजी है. तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन ने प्रभावित इलाकों का दौरा भी किया है. 

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