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तुर्की में एक बार फिर एर्दोगन ने जीता चुनाव, लगातार 11वीं बार बने राष्ट्रपति

राष्ट्रपति चुनाव के लिए पहले चरण का मतदान 14 मई को हुआ था. तब एकेपी (जस्टिस एंड डेवलपमेंट पार्टी) के मुखिया एर्दोगन पहले राउंड में चुनाव जीतते-जीतते रह गए थे और उन्हें 49.4% वोट मिले. वहीं उनके प्रतिद्वंद्वी कलचदारलू को 45% वोट मिले थे. दोनों ही नेताओं को बहुमत नहीं मिल सका था, जिसके चलते रविवार को दूसरे राउंड का चुनाव कराया गया.

तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 29 मई 2023,
  • अपडेटेड 3:17 AM IST

तुर्की में एक बार फिर रेचेप तैय्यप एर्दोगन (Recep Tayyip Erdogan) ने राष्ट्रपति चुनाव जीत लिया है. विपक्षी नेता कमाल कलचदारलू को हराकर उन्होंने 11वीं बार राष्ट्रपति का चुनाव जीता है. चुनाव के दूसरे राउंड रन-ऑफ में एर्दोगन ने बहुमत हासिल किया है. वहीं कमाल कलचदारलू को हार का सामना करना पड़ा. इसी के साथ एर्दोगन की एक बार फिर वापसी हो चुकी है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस राउंड में एर्दोगन को 52% वोट मिले हैं, जबकि कलचदारलू को 48% वोट ही मिले.

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दरअसल, राष्ट्रपति चुनाव के लिए पहले चरण का मतदान 14 मई को हुआ था. तब एकेपी (जस्टिस एंड डेवलपमेंट पार्टी) के मुखिया एर्दोगन पहले राउंड में चुनाव जीतते-जीतते रह गए थे और उन्हें 49.4% वोट मिले. वहीं उनके प्रतिद्वंद्वी कलचदारलू को 45% वोट मिले थे. दोनों ही नेताओं को बहुमत नहीं मिल सका था, जिसके चलते रविवार को दूसरे राउंड का चुनाव कराया गया. 

तुर्की में अगर किसी उम्मीवार को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता तो दो सप्ताह के भीतर दो सबसे अधिक वोट पाने वाले उम्मीदवारों के बीच रन ऑफ राउंड कराया जाता है. तुर्की में दूसरे राउंड की यह वोटिंग 28 मई को तय की गई थी.

20 वर्षों से राष्ट्रपति हैं एर्दोगन

बता दें कि एर्दोगन साल 2003 से ही देश का नेतृत्व कर रहे हैं और अपने नेतृत्व में उन्होंने तुर्की को एक रुढ़िवादी देश बनाने की कोशिश की है जो इस्लाम की नीतियों पर चलता है. चुनावों के दौरान वो पश्चिमी देशों पर सरकार गिराने की साजिश रचने का आरोप भी लगाते रहे हैं. 

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कौन हैं कलचदारलू?

बता दें कि कलचदारलू तुर्की के छह विपक्षी पार्टियों से मिलकर बने रिपब्लिकन पीपुल्स पार्टी नेशन अलायंस के उम्मीदवार हैं. गांधीवादी कलचदारलू जिन्हें तुर्की में 'कमाल गांधी' भी कहा जाता है, ने लोगों से वादा किया था कि अगर वो सत्ता में आते तो तुर्की एर्दोगन की तरह रुढ़िवादी नहीं बल्कि उदारवादी नीति अपनाएगा. उन्होंने यह भी कहा था कि वो लोकतंत्र वापस लाने के साथ-साथ अपने नाटो सहयोगियों के साथ भी संबंधों को पुनर्जीवित करेंगे.74 वर्षीय कलचदारलू इससे पहले कई चुनाव हार चुके हैं.

तुर्की में राष्ट्रपति के पास ही हैं सारी पावर

गौरतलब है कि एर्दोगन के पिछले राष्ट्रपति चुनाव जीतने के एक महीने बाद जुलाई 2018 में तुर्की में संसदीय व्यवस्था के बजाय राष्ट्रपति शासन प्रणाली लागू कर दी गई. 2017 में जनमत संग्रह के जरिए राष्ट्रपति की शक्तियों में भारी इजाफा कर दिया गया था. इसके जरिए एर्दोगन ने प्रधानमंत्री का पद समाप्त कर दिया और प्रधानमंत्री की कार्यकारी शक्तियां अपने हाथ में ले ली थी. तुर्की में राष्ट्रपति ही सरकार का मुखिया बन गया.

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