
तुर्की-सीरिया में महाविनाश लाने वाले भूकंप के जख्म अभी भरे नहीं हैं. इमारतों का मलबा हटने के साथ-साथ वहां से दर्द भरी कहानियां निकलकर भी सामने आ रही हैं. ऐसी ही एक 'करिश्माई' बच्ची को मलबे के नीचे से रेस्क्यू किया गया था, जिसे DNA मिलान के बाद उसके चाचा-चाची के हवाले कर दिया गया है. इसका नाम अया रखा गया है, अरबी भाषा में इसका मतलब करिश्मा होता है. इस बच्ची के जन्म लेने की कहानी भी कम करिश्माई नहीं है.
स्काई न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक 6 फरवरी की सुबह तुर्की और सीरिया की धरती भूकंप के झटकों से थर्रा गई थी. ये भूकंप दोनों देशों के लिए महाविनाश लेकर आया है. अब तक इसकी वजह से तुर्की और सीरिया में मरने वालों का आंकड़ा 50 हजार के करीब पहुंच गया है. भूकंप से लाखों इमारतें गिरने के बाद दोनों देशों में तुरंत रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया गया था.
भूकंप के 10 घंटे बाद सीरिया के अलेप्पो में रेस्क्यू टीम मलबे में तब्दील हो चुकी एक इमारत में जिंदा इंसानों की खोज के लिए पहुंची. टीम को यहां से एक नवजात बच्ची मिली. इस बच्ची ने भूकंप से कुछ देर पहले ही जन्म लिया था. रेस्क्यू टीम के लोग ये देखकर हैरान हो गए कि बच्ची की गर्भनाल मां से जुड़ी हुई थी. हालांकि, मलबे में दबने के कारण बच्ची के माता-पिता सहित उसके चार भाई-बहनों की भी मौत हो चुकी थी. बच्ची बमुश्किल सांस ले पा रही थी. उसके बदन पर भी चोट के निशान थे.
बच्ची के चाचा खलील अल सावदी उसे तुरंत लेकर अस्पताल पहुंचे. यहां दो हफ्ते तक उसका इलाज चला और अब आखिरकार बच्ची को उसके चाचा खलील और चाची को सौंप दिया गया है. चाचा की चार बेटियां और दो बेटे पहले से हैं. वह कार खरीदने और बेचने का काम करते हैं. भूकंप ने उनका घर भी तबाह हो चुका है. चाची ने बच्ची का नाम उसकी मां के नाम पर अफरा रखा है. खलील एक तरफ अपने भाई के परिवार की मौत से दुखी हैं तो वहीं उन्हें बच्ची की कस्टडी मिलने की खुशी है.
खलील का कहना है कि अया/अफरा अब उनके परिवार का हिस्सा है. वो हमेशा इस बात का खयाल रखेंगे कि उनके अपने बच्चों और भाई की बच्ची के बीच कोई फर्क न हो. खलील कहते हैं कि वह उसे अपने बच्चों से भी ज्यादा प्यार देंगे. ये बच्ची ही उनके भाई के परिवार की यादों को ताउम्र संजोकर रखेगी.
इस करिश्माई बच्ची को गोद लेने के लिए सीरिया के हजारों लोगों ने अर्जी दी थी, लेकिन ब्लड रिलेशन के चलते चाचा को प्राथमिकता दी गई. कई लोग यह दावा करते हुए अस्पताल पहुंचे थे कि उनका बच्ची के साथ रिश्ता है, लेकिन अंतिम फैसला डीएनए टेस्ट के बाद ही लिया गया. एडॉप्शन की प्रक्रिया और कागजी कार्रवाई में पूरे दो सप्ताह का समय लगा.