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UK के आम चुनाव में ऐतिहासिक हार की ओर बढ़ रहे हैं ऋषि सुनक! जानें ऐसा क्यों कह रहे हैं एक्सपर्ट?

प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए ऋषि सुनक की रेटिंग किसी भी प्रधानमंत्री की तुलना में अब तक की सबसे खराब रेटिंग है. यह पहली बार है कि वोटर्स बड़ी संख्या में यह कह रहे हैं कि सरकार सबसे खराब काम कर रही है. 

ऋषि सुनक ने कुछ दिन पहले किया था आम चुनाव की तारीख का ऐलान ऋषि सुनक ने कुछ दिन पहले किया था आम चुनाव की तारीख का ऐलान
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 16 जून 2024,
  • अपडेटेड 5:07 PM IST

ब्रिटेन में होने वाले आम चुनाव से पहले एक आए सर्वे में ब्रिटेन के वर्तमान पीएम ऋषि सुनक की करारी हार की बातें कही जा रही हैं. यह उनकी एतिहासिक हार हो सकती है. ताजा सर्वे में उनकी रेटिंग में और गिरावट की भविष्यवाणी की गई है, जिसमें पार्टी को कुल 650 में से केवल 72 सीटें मिलने का अनुमान है.

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ऋषि सुनक की रेटिंग में आई गिरावट
मैनचेस्टर विश्वविद्यालय में राजनीति के प्रोफेसर और पोलिंग विशेषज्ञ, रॉब फोर्ड ने इंडिया टुडे से बातचीत में कहा कि, “इस बार उनकी रेटिंग 30% से नीचे हो सकती है, जो कि कभी नहीं हुई है. उन्होंने कहा, " प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए ऋषि सुनक की की रेटिंग किसी भी प्रधानमंत्री की तुलना में अब तक की सबसे खराब रेटिंग है. यह पहली बार है कि वोटर्स बड़ी संख्या में यह कह रहे हैं कि सरकार सबसे खराब काम कर रही है. 

बदलाव की ओर बढ़ रहे हैं वोटर्स
14 वर्षों के कंजर्वेटिव शासन के बाद वोटर्स अब जोर-शोर से बदलाव की ओर बढ़ रहे हैं. यूके बेस्ड एकेडमिक थिंक टैंक, UK in a Changing Europe के निदेशक, प्रोफेसर आनंद मेनन ने इंडिया टुडे को बताया, "आप इसे ऐसे देखिए कि, जब आप 14 साल से अधिक सत्ता में रहते हैं तो आपके लिए इलेक्शन जीतना मुश्किल होता जाता है. लोग बदलाव के बारे में सोचना शुरू करने लगते हैं. दूसरी बात ये है कि, चुनाव जीतना तब भी कठिन हो जाता है जब आप जीवन यापन संबंधी संकट से भी जूझ रहे हों. लेकिन इसके साथ ही कंजर्वेटिव पार्टी ने अपने लिए समर्थन में भारी गिरावट भी देखी है. 

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ब्रेक्सिट के बाद रिवॉल्विंग डोर बन गया है पीएम पद
ब्रेक्सिट के बाद से जबसे डेविड कैमरन ने इस्तीफा दिया, तबसे प्रधान मंत्री पद एक रिवॉल्विंग डोर बन गया है. जिसमें थेरेसा मे, बोरिस जॉनसन, लिज़ ट्रस और ऋषि सुनक की सभी की बारी आई है. इस तेजी से परिवर्तन का मतलब यह है कि पिछले 28 वर्षों में, जिनमें मार्गरेट थैचर, जॉन मेजर, और टोनी ब्लेयर शामिल थे, सिर्फ तीन प्रधानमंत्री थे.

क्या ऋषि सुनक हैं अशांति का कारण?
प्रश्न उठता है कि अभी जो अशांति पनपी हुई है, क्या उसका कारण ऋषि सुनक हैं? विशेषज्ञों का तर्क है कि लिज़ ट्रस, 45 दिनों के लिए पीएम बनीं थी उन्होंने पार्टी को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है हालांकि ऋषि सुनक ने इसे सुधारने के लिए कुछ नहीं किया है. रॉब फोर्ड कहते हैं कि, ऋषि सुनक के साथ सही व्यवहार नहीं हो सका. सुनक हालात को बदल नहीं सके और अपने खास वादे भी पूरे नहीं कर पाए. सबसे बड़ी बात कि वह अपने राइटविंग स्पेक्ट्रम वाले वोटर्स का भरोसा भी नही जीत सके, जो कि उनके साथ बने रहते. उन्हें एक विरासत में एक बुरी स्थिति मिली थी जो कि समय के साथ और भी बुरी ही हो गई. ये एक बेहतर लीडरशिप का प्रतीक नहीं है.  

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किसे करेंगे वोट, इस बारे में क्लियर नहीं हैं वोटर्स
एक आईटी पेशेवर, प्रणम अभी श्योर नहीं हैं कि वह किसे वोट करेंगे. “यह ऋषि या किसी और के बारे में नहीं है, लेकिन दोनों पार्टियों के एजेंडे बहुत क्लियर नहीं हैं. वे एनएचएस, पुलिस बल, इमिग्रेशन के बारे में बात कर रहे हैं, लेकिन मुझे उम्मीद है कि वे गहराई में जाकर अपनी योजना समझाएंगे. वे सभी बड़े स्तर पर केवल दिखावा कर रहे हैं.

लेबर समर्थक भी हैं नाखुश
द टाइम्स द्वारा प्रकाशित ब्रिटेन के लिए किए गए एक सर्वे में अनुमान लगाया गया है कि लेबर पार्टी को 456 सीटें मिल सकती हैं. हालाँकि, सभी लेबर समर्थक खुश नहीं हैं. प्रणम के साथ ही क्रिकेट खेलने वाले लियम कहते हैं कि मैंने हमेशा लेबर पार्टी को वोट किया है, लेकिन अब उसका मोहभंग हो गया है. उन्होंने इंडिया टुडे से कहा, ''मैंने हमेशा लेबर पार्टी को वोट दिया है, लेकिन इस बार मैं लेबर को वोट नहीं दूंगा.''

सोफी स्टावर्स, यूके इन अ चेंजिंग यूरोप द्वारा किए गए सबसे बड़े सर्वेक्षण के अनुसार भले ही ऋषि सुनक ब्रिटिश भारतीयों के बीच किसी भी अन्य जातिवादी समूह से अधिक सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हैं, लेकिन फिर भी इस बार हवा का रुख लेबर पार्टी की ओर बनता दिख रहा है. अधिकांश ब्रिटिश भारतीय लोग अगले आम चुनाव में लेबर पार्टी को वोट देने जा रहे हैं. भले ही हम उस ग्रुप के बीच किसी भी अन्य जातीय अल्पसंख्यक समूह की तुलना में कंजर्वेटिव वोट की हाई रेटिंग देखते रहे हैं, लेकिन इस बार यह मुश्किल लग रहा है.

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लेबर पार्टी को मिल रही हैं इतनी सीटें
एचआर पेशेवर रूपेश अग्रवाल का भी कुछ ऐसा ही मत है. ऋषि सुनक का पक्ष लेते हुए भी वह अनिश्चित बने हुए हैं. रिकमंड में जहां ये खिलाड़ी फ्रेंडली मैच खेल रहे हैं,  वह लिबरल डेमोक्रेट का गढ़ है. नवीनतम सर्वेक्षणों से पता चलता है कि लेबर पार्टी को 262 सीटों के साथ बहुमत मिल रहा है. यह 1997 में सर टोनी ब्लेयर के नेतृत्व में मिली भारी जीत को पीछे छोड़ देगी. लिबरल डेमोक्रेट्स को 56 सीटें, रिफॉर्म को सात सीटें और ग्रीन्स को एक सीट मिलने की उम्मीद है, जिससे टोरीज़ सिर्फ 72 सीटों के साथ पीछे रह जाएगी.

ब्रिटिश एशियाई वोट पर निष्कर्ष निकालते हुए, रॉब फोर्ड ने कहा, "वे इस निर्वाचन क्षेत्र में एक प्रकार के वाइल्ड कार्ड समूह हैं. उन्होंने आगे कहा, "यह मतदाताओं में एक ऐसा समूह है जो आश्चर्यचकित करने की क्षमता रखता है."
 

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