
ब्रिटेन में लाखों लोग आज एक महत्वपूर्ण आम चुनाव में मतदान करने जा रहे हैं, जो ब्रिटिश राजनीति को नया रूप दे सकता है. जनमत सर्वेक्षणों में दिखाया गया है कि कि कीर स्टारमर के नेतृत्व वाली लेबर पार्टी को चुनाव में भारी जीत मिल सकती है, जिससे प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की कंजर्वेटिव पार्टी का 14 साल का शासन समाप्त हो सकता है.
ब्रिटेन के पहले भारतीय मूल के प्रधानमंत्री सुनक ने आखिरी समय में अपील की कि वे लेबर के लिए संभावित "सुपरमैजोरिटी" को रोकें क्योंकि उनके शासन में आने से करों में वृद्धि होगी. स्टारमर ने कंजर्वेटिव चेतावनियों के आरोपों को खारिज करते हुए उन पर लोगों को मतदान करने से हतोत्साहित करने का आरोप लगाया.
40 हजार केंद्रों पर होगी वोटिंग
मतदाता इंग्लैंड, स्कॉटलैंड, वेल्स और उत्तरी आयरलैंड में 650 संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों पर मतदान करेंगे. मतदान केंद्र सुबह 7 बजे से रात 10 बजे तक खुले रहते हैं, जिसमें लगभग 40,000 केंद्रों पर 46 मिलियन पात्र मतदाता मतदान सकते हैं. इस चुनाव में एक नई मतदाता पहचान-पत्र वाली व्यवस्था शुरू की गई है.
चुनाव पूर्व के सर्वेक्षणों में दिखाया गया है कि लेबर पार्टी के कीर स्टारमर अगले प्रधानमंत्री हो सकते हैं. सर्वेक्षणों से पता चलता है कि उनकी पार्टी ऋषि सुनक की कंजर्वेटिव पार्टी को हरा देगी. स्टारमर ने "आशा और अवसर के नए युग" का वादा किया है और कहा है कि उनका मंत्रिमंडल "सरकार के लिए तैयार है."
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सुनक, जिन्होंने पहले से ही चुनाव की घोषणा कर दी थी, ने हाल के हफ्तों में अपनी अभियान रणनीति बदल दी है. उन्होंने लगातार पांचवीं जीत की तलाश छोड़ दी है, इसके बजाय एक निर्विवाद लेबर सुपरमैजोरिटी के खिलाफ हमले करने पर ध्यान केंद्रित किया है.
खुद का चुनाव भी हार सकते हैं सुनक
ऐसी खबरें हैं कि सुन रिचमंड और नॉर्थलेर्टन के अपने यॉर्कशायर निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव हार सकते हैं जहां उन्होंने 2019 में 27,000 वोटों से जीत हासिल की थी. करीबी विश्वासपात्रों का कहना है कि सुनक कड़ी टक्कर मिलने से चिंतित हैं.
2019 के पिछले आम चुनाव में बोरिस जॉनसन की कंजर्वेटिव पार्टी ने 365 सीटें जीती थीं. वहीं लेबर पार्टी ने 202 सीटें जीती थीं, एसएनपी ने 48 और लिबरल डेमोक्रेट ने 11 सीटें जीती थीं. इस बार, सुनक को आंतरिक कलह और आठ वर्षों में पांच अलग-अलग प्रधानमंत्रियों के दौर के बाद मतदाताओं के गुस्से का सामना करना पड़ रहा है.
अल्पमत की सरकार
यूनाइटेड किंगडम के चुनाव में अगर किसी भी पार्टी को बहुमत (326 सीट) नहीं मिलता है, तो हंग पार्लियामेंट हो जाती है, लेकिन ब्रिटेन में ऐसी स्थिति होने पर सबसे अधिक सीटों वाली पार्टी अपनी सरकार बना सकती है, हालांकि 'कानून' बनाने के लिए उसे दूसरे दलों के वोट की जरूरत पड़ेगी. बिना दूसरे दल के समर्थन के अल्पमत की सरकार देश में कोई भी विधान नहीं बना सकती है. इसके अलावा किसी को पूर्ण बहुमत नहीं मिलने पर गठबंधन की सरकार बनाई जा सकती है.
दो सदन की परंपरा
ब्रिटेन में एक संवैधानिक राजतंत्र के साथ संसदीय प्रणाली काम करती है. वहां का राजा, राज्य का मुखिया होता है. यूनाइटेड किंगडम में दो सदन हैं, पहला हाउस ऑफ कॉमन (House of Commons) जिसमें 650 उम्मीदवार हैं जो जनता द्वारा चुनकर आते हैं. वहीं दूसरा उच्च सदन है जिसे हाउस ऑफ लॉर्ड्स (House of Lords) कहा जाता है, इसमें 784 सदस्य हैं. इनमें से 92 लोग वंशानुगत (Hereditary) हैं.
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राजनीतिक पार्टियां
कंजर्वेटिव पार्टी जिसकी अभी यूनाइटेड किंगडम में सरकार है, उसका नेतृत्व प्रधानमंत्री ऋषि सुनक कर रहे हैं. इस पार्टी ने 2019 के आम चुनाव में 365 सीटों पर जीत दर्ज की थी. कंजर्वेटिव पार्टी की विचारधारा सेंटर राइट (Centre Right) है. लेबर पार्टी का गठन मज़दूर प्रतिनिधि सभा के तौर पर हुआ था, इसकी विचारधारा सेंटर लेफ्ट (Centre Left) है.पिछले चुनाव में इस पार्टी को 202 सीटें मिली थीं. इस पार्टी की कमान अभी कीर स्टार्मर के हाथ में है. लिबरल डेमोक्रेट्स पार्टी की विचारधारा भी सेंटर लेफ्ट (Centre Left) है. लिबरल डेमोक्रेट्स पार्टी को 2019 के चुनाव में मात्र 11 सीटों पर जीत मिली थी. हालांकि ये पार्टी साल 2010-15 के दौरान कंजर्वेटिव पार्टी के साथ सत्ता में थी.