
वलोडिमिर जेलेंस्की, यूक्रेन (Ukraine) के राष्ट्रपति के रूप में पांच साल पूरे कर चुके हैं. दो साल से ज्यादा वक्त से चल रहे युद्ध के बाद रूस के साथ शांति समझौते पर पहुंचने की संभावना अभी तक नहीं बन पाई है. कॉमेडियन से राजनेता बने जेलेंस्की ने 20 मई, 2019 को देश की संसद में शपथ ली.
लगभग 73 फीसदी वोट्स के साथ जीतकर आने पर जेलेंस्की ने कहा था कि हममें से हरेक प्रेसिडेंट है. ये भाषण काफी पसंद किया गया. पांच सालों बाद उनका आधिकारिक टर्म खत्म हो चुका. इसके बाद भी फिलहाल वही राष्ट्रपति हैं.
जंग के बीच अधर में देश का भविष्य
देश का विपक्ष चाहता है कि चुनाव हों क्योंकि लड़ाई का कोई भरोसा नहीं, वो कितनी लंबी खिंच जाए. ऐसे में जंग के माहौल के बीच देश का भविष्य अनिश्चितता में डूबा नजर आ रहा है. 24 फरवरी, 2022 को रूस द्वारा बड़े पैमाने पर हमला शुरू करने के बाद से, जेलेंस्की अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक जानी-मानी हस्ती बन गए हैं, जो युद्ध में अपने देश की रक्षा के लिए समर्थन और ज्यादा हथियारों की मांग करते दिख रहे हैं.
सत्ता में बने रहने का तर्क खुद जेलेंस्की ने दिया
उन्होंने रॉयटर्स से बात करते हुए कहा कि मार्शल लॉ की वजह से उन्हें पद पर रहना होगा. ये मार्शल लॉ खुद उन्होंने ही लागू किया. बता दें कि अगर ये लॉ न होता तो यूक्रेन में मार्च 2024 में चुनाव हो चुके होते, और 20 मई को नया राष्ट्रपति शपथ लेता.
मार्शल लॉ एक्ट वो कानून है, जो युद्ध या गंभीर हालातों में लगता है, जब देश में भयानक अस्थिरता या दूसरे देशों की वजह से खतरा हो. मार्शल लॉ के दौरान प्रेसिडेंशियल, पार्लियामेंट्री या लोकल चुनाव भी नहीं हो सकते.
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क्या कहता है यूक्रेन का कंस्टिट्यूशन
इसमें थोड़ा विरोधाभास दिखता है. धारा 103 के अनुसार, देश का राष्ट्रपति पांच सालों के लिए चुना जाएगा. वहीं अनुच्छेद 108 में लिखा है कि प्रेसिडेंट तब तक सत्ता में रहता है, जब तक कि नया दावेदार नियुक्त न हो जाए.
घटती जा रही जेलेंस्की की लोकप्रियता
कीव में राष्ट्रपति को लेकर कशमकश बनी हुई है. इसे लेकर साफ होने के लिए कीव इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सोशियोलॉजी ने एक पोल कराया. इसके अनुसार, 69 प्रतिशत यूक्रेनी जनता चाहती है कि मार्शल लॉ के खत्म होने तक जेलेंस्की राष्ट्रपति रहें, जबकि 15 प्रतिशत नया चुनाव चाहते हैं. वहीं 10 प्रतिशत लोग वे हैं, जो मौजूदा पार्लियामेंट्री स्पीकर को राष्ट्रपति के पद पर चाहते हैं. लगभग 53 फीसदी जनता चाहती है कि जेलेंस्की दूसरे टर्म के लिए भी दावेदारी करें, लेकिन ये प्रतिशत दिनोंदिन कम हो रहा है.
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क्या कहते हैं विपक्षी और असंतुष्ट लोग?
मौजूदा राष्ट्रपति से असंतुष्ट लोगों का कहना है कि युद्ध खिंचता ही रहेगा, अगर नया राष्ट्रपति न चुना जाए. यहां बता दें कि जेलेंस्की ने लगातार इस बात पर जोर दिया कि जब तक रूस के कब्जे में आई सारी जमीन यूक्रेन वापस नहीं पा लेता, लड़ाई चलती रहेगी. यानी जब तक लड़ाई होगी, मार्शल लॉ भी लगा रहेगा और पद पर नए चेहरे के आने की संभावना भी बहुत कम रहेगी.
चुनाव को लेकर एक असमंजस ये भी है कि रूस ने तो यूक्रेन के कई इलाकों पर कंट्रोल पा लिया, यहां तक कि वहां रूसी चुनाव हो चुके. ऐसे में कीव अगर इलेक्शन का एलान करे तो क्या वो हारे हुए इलाकों में भी वोटिंग करवाएगा, या चुप रह जाएगा. ये भी एक वजह हो सकती है कि मौजूदा सरकार इलेक्शन टाल रही हो क्योंकि ऐसे में सीधे उसकी हार दिखेगी, जिसका असर नए चुनाव पर होगा.