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Russia Ukraine War: खेरसॉन से रूसी सैनिकों की वापसी, अब अमेरिका का बड़ा दावा... क्या खत्म होगा युद्ध?

रूस यूक्रेन के बीच जारी युद्ध में नया मोड़ आ गया है. खेरसॉन से रूसी सैनिकों की वापसी के ऐलान के बाद दुनिया की निगाहें युद्ध पर टिकी हैं. रूस के इस फैसले के बाद अमेरिका ने उम्मीद जताई है कि ये दोनों देशों के बीच शांति वार्ता का रास्ता खोल सकता है.

खेरसॉन से रूसी सैनिकों की वापसी (सांकेतिक फोटो-PTI) खेरसॉन से रूसी सैनिकों की वापसी (सांकेतिक फोटो-PTI)
सुजीत कुमार
  • नई दिल्ली,
  • 10 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 11:46 PM IST

पिछले 9 महीने से यूक्रेन युद्ध की आग में जल रहा है. और युद्ध की इस अग्नि की तपिश पूरी दुनिया को प्रभावित कर रही है. रूस-यूक्रेन युद्ध से कच्चे तेल की कीमतों में उछाल आया है. दुनिया भर में ऊर्जा संकट बढ़ गया है और कई देशों की अर्थव्यवस्था स्लो डाउन से गुजर रही है. अब युद्ध को लेकर ऐसे संकेत मिल रहे हैं, जिससे उम्मीद जगी है कि शायद शांति वार्ता के जरिए युद्ध विराम का रास्ता साफ हो जाए. 

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इसी साल फरवरी महीने की 24 तारीख का वो मनहूस दिन था जब रूसी सैनिकों ने यूक्रेन पर हमला बोल दिया था. युद्ध से पहले राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन ने यूक्रेन की सीमा पर रूसी सैनिकों का जमावड़ा कर दिया था. तब दुनिया को आशंका होने लगी थी कि शायद रूस यूक्रेन पर हमला कर देगा. लेकिन पुतिन लगातार भरोसा दे रहे थे कि उनकी सेना युद्धाभ्यास करने के लिए जुटी है. लेकिन यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की की आशंका सही साबित हुई और युद्ध छिड़ गया.

रूस-यूक्रेन के जारी युद्ध में भीषण तबाही हुई. यूक्रेन पर रूसी सैनिकों ने ताबड़तोड़ हमले किए. कई शहरों पर रिहायशी इलाकों में भी मिसाइल अटैक हुए और भारी तबाही हुई. यूक्रेन में हमले के बाद हजारों की संख्या में लोगों की मौत हुई. जेलेंस्की की जिद्द थी कि यूक्रेन को NATO (North Atlantic Treaty Organisation) में शामिल करेंगे. जबकि पुतिन का कहना था कि यूक्रेन को नाटो में शामिल नहीं होना चाहिए. बस दोनों राष्ट्राध्यक्षों के इसी हठ के कारण मासूम जनता युद्ध के आगोश में समा गई.

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नौ महीने से जारी है रूस-यूक्रेन युद्ध

खेरसॉन से रूसी सेना की वापसी

यूक्रेन के खेरसॉन इलाके से रूस ने अपने सैनिकों को निकलने का आदेश दे दिया है. बुधवार को रूस के रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु ने अपने सैनिकों को खेरसान के पास निप्रो नदी के पश्चिमी तट से हट जाने को कहा है. इस पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि ये दिखाता है कि रूस की सेना किसी 'समस्या' से जूझ रही है. बता दें कि खेरसॉन वही इलाका है, जिसे दो महीने पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजाद देश घोषित किया था. अब रूस ने अपनी सेना को वहां से लौटने का आदेश दे दिया है. ऐसे में इसे रूस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है.

अमेरिकी अधिकारी ने शांति वार्ता के लिए अनुकूल बताया

खेरसॉन से रूसी सैनिकों की वापसी के ऐलान के बाद अमेरिका ने भी शांति वार्ता की उम्मीद जताई है. न्यूज एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका के ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ के अध्यक्ष जनरल मार्क मिले ने कहा है कि खेरसॉन से रूसी सैनिकों की वापसी दोनों देशों के लिए शांति वार्ता के लिए रास्ता खोलने वाला है. मिले ने दावा किया है कि इस युद्ध में रूस के कम से कम एक लाख सैनिक मारे गए हैं जबकि 40 हजार यूक्रेन के लोग मारे गए हैं. उन्होंने कहा कि ये युद्ध मानवता के लिए काफी नुकसानदेह साबित हुआ है.

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यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने रखी ये शर्तें

यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने दो दिन पहले कहा था कि वो रूस से वार्ता के लिए तैयार है लेकिन उन्होंने इसके लिए शर्तें भी रख दीं. जेलेंस्की ने कहा कि अगर रूस यूक्रेन की कब्जा की गई जमीन वापस करता है और युद्ध में हुए नुकसान की भरपाई के लिए तैयार होता है तो वो वार्ता के लिए तैयार है. साथ ही रूस भी कई बार कर चुका है कि वो वार्ता के लिए तैयार है.

ऐसे में खेरसॉन से रूसी सैनिकों को हटाने के फैसले से ये भी संकेत निकाला जा रहा है कि शायद दोनों देश शांति वार्ता के लिए तैयार हो जाएं. जब दोनों देश बातचीत के टेबल पर बैठेंगे तो शायद युद्ध पर भी विराम लग जाए और भविष्य में युद्ध खत्म होने पर सहमति भी बन जाए

जब खेरसॉन समेत चार इलाकों पर रूस ने कर लिया था कब्जा

अक्टूबर के पहले सप्ताह में रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने खेरसॉन, जापारिज्जिया, दोनेत्स्क और लुहांस्क को रूस का हिस्सा घोषित कर दिया था. इसकी घोषणा करने से पहले रूस की ओर से इन इलाकों में एक सर्वे किया गया था. सर्वे के बाद दावा किया गया था कि वहां के लोगों ने रूस में शामिल होने पर मुहर लगाई है. हालांकि पुतिन के इस फैसले के बाद जेलेंस्की ने इसे मानने से इनकार कर दिया था. इस मामले पर संयुक्त राष्ट्र (UN) में रूस के खिलाफ निंदा प्रस्ताव को भी पुतिन ने वीटो पॉवर लगाकर गिरा दिया था. 

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क्रीमिया ब्रिज ब्लास्ट के बाद यूक्रेन पर ताबड़तोड़ हमले

अक्टूबर में रूस को क्रीमिया प्रायद्वीप से जोड़ने वाले ब्रिज पर विस्फोट के बाद इसका कुछ हिस्सा ढह गया था. और इस घटना ने युद्ध में आग भड़काने का काम किया था. युद्ध में रूस के लिए इस ब्रिज की अहम भूमिका थी. रूस इस पुल से यूक्रेन के दक्षिणी हिस्से में अपनी सेना के लिए हथियारों और जरूरी सामानों की सप्लाई करता था. सबसे बड़ी बात कि इसे पुतिन ने बनवाया था. इस हमले के बाद पुतिन ने कहा कि यह एक आतंकवादी घटना है, जिसमें एक अहम इन्फ्रास्ट्रक्चर को नष्ट किया गया है और यह एक सोचा समझा कदम है, जिसे यूक्रेन के विशेष सुरक्षाबलों ने अंजाम दिया है. 

जब रूस ने खुलकर दी थी तीसरे विश्व युद्ध की धमकी

एक दौर ऐसा भी आया जब रूसी राष्ट्रपति पुतिन लगातार परमाणु हमले की धमकी दे रहे थे. पुतिन ने यूरोपीय देशों को खुली धमकी दी थी कि अगर नाटो सैनिक रूसी सैनिकों से भिड़ते हैं तो वैश्विक तबाही मचेगी. उन्होंने कहा था कि रूसी सैनिकों के साथ सीधा टकराव काफी खतरनाक होगा और यह वैश्विक तबाही की वजह बन सकता है. यह बात उन्होंने कजाकिस्तान की राजधानी अस्ताना में एक कार्यक्रम के दौरान कही थी. 

 

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