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रूस से सस्ता तेल खरीदने को लेकर भारत पर भड़का यूक्रेन

यूक्रेन के मंत्री ने अपने भारतीय साझेदारों से ये भी कहा कि यदि भारत सस्ते दामों पर रूस से तेल खरीदना जारी रखना चाहता है तो 'बैलेंसिंग एक्ट' के तहत यूक्रेन की मदद के लिए तैयार रहें.

रूस से तेल खरीदने पर भारत से नाराज यूक्रेन के मंत्री, कहा- यूक्रेन की मदद को भी रहें तैयार रूस से तेल खरीदने पर भारत से नाराज यूक्रेन के मंत्री, कहा- यूक्रेन की मदद को भी रहें तैयार
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 14 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 8:30 PM IST

भारत ने G7 देशों और उनके सहयोगियों की ओर से रूस के तेल पर प्राइस कैप का समर्थन न करने का फैसला किया है. भारत के इस निर्णय के बाद यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा ने भारत पर यूक्रेन के आम नागरिकों की जान की कीमत के बदले रूस से तेल खरीदने का आरोप लगाया है. उन्होंने मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि भारत रशिया से सस्ती कीमतों पर तेल खरीद रहा है और रूस की आक्रामकता से यूक्रेन में लोग मर रहे हैं.

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यूक्रेन के मंत्री ने कहा कि यदि भारत सस्ते दामों पर रूस से तेल खरीदना जारी रखना चाहता है तो 'बैलेंसिंग एक्ट' के तहत यूक्रेन की मदद के लिए तैयार रहें. विदेश मंत्री ने आगे कहा, 'हर देश को अधिकार है कि वो अपनी इकोनॉमी को आगे ले जाने के लिए जरूरी और सही कदम उठाए. लेकिन अपने भारतीय सहयोगियों को हम जो संदेश पहुंचाना चाहते हैं, वो एकदम साफ है. आपके पास रूस से सस्ते दाम पर तेल खरीदने का अवसर है. लेकिन रूस आपको सस्ते दाम पर तेल इसलिए बेच रहा है, क्योंकि वो कई तरह के प्रतिबंधों और बंदिशों के दबाव में है और इसी वजह से वो यूक्रेन के खिलाफ आक्रामक है.'

माइक्रोब्लॉगिंग वेबसाइट ट्विटर पर शेयर किए गए इस वीडियो में उन्होंने कहा, 'अगर भारत रूस से तेल खरीदना जारी रखता है तो उसे यूक्रेन को भी व्यापक रूप से मदद देनी शुरू कर देनी चाहिए, क्योंकि आप ये जानते हैं कि आप रूस से सस्ते दाम पर तेल इसलिए खरीद पा रहे हैं, क्योंकि उसकी आक्रामकता से यूक्रेन में कोई मर रहा है.'

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इससे पहले रूस ने 11 दिसंबर को G7 देशों और उसके सहयोगियों की तरफ से लगाए गए प्राइस कैप पर भारत के समर्थन न करने वाले फैसले का स्वागत किया था. रिपोर्ट्स के मुताबिक, रूस के तेल पर ये प्राइस कैप 5 दिसंबर को ही G7 देशों और उसके सहयोगियों द्वारा लगाई गई थी. सात बड़े देशों का समूह G7, यूरोपियन यूनियन और ऑस्ट्रेलिया, रूस के कच्चे तेल को 60 डॉलर प्रति बैरल पर सील करने के लिए एकमत हुए थे.

कच्चे तेल कीमतों को सीमित करने का यह फैसला यूक्रेन के खिलाफ रूस की आक्रामकता को देखते हुए लिया गया था. हालांकि, रूस ने तेल की कीमत तय करने के फैसले को मानने से इनकार कर दिया और पश्चिम देशों के खिलाफ बगावत पर उतर आने की चेतावनी दे डाली. फिलहाल, भारत रूस से कच्चा तेल खरीदना जारी रखेगा और इसके लिए वो क्रूड ऑयल खरीदारों के साथ सीधे नेगोशिएट करेगा.

वहीं, भारत के पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी का कहना है कि भारत में रूस से कच्चे तेल का आयात बहुत सीमित है. भारत अब इराक, सऊदी अरब और यूएई (संयुक्त अरब अमीरात) सहित 39 देशों से तेल आयात कर रहा है. इसके अलावा, अफ्रीका में भी इसके व्यापार की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं.

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