
संयुक्त राष्ट्र ह्यूमन राइट्स काउंसिल (UNHRC) से रूस, चीन और पाकिस्तान को बाहर निकालने की मांग की गई है. संयुक्त राष्ट्र वॉच के कार्यकारी निदेशक हिलेल नेउर ने बुधवार को ये मांग की है. बताया जा रहा है कि इस संबंध में यूएन में गुरुवार को वोटिंग हो सकती है.
यूक्रेन पर रूस की ओर से हमला और मानवाधिकारों के हनन पर ये मांग उठाई गई है. 14वें जिनेवा शिखर सम्मेलन में प्रतिनिधियों का स्वागत करते हुए नेउर ने कहा कि इतिहास में ये दूसरी बार है कि यूएनएससी के कुछ सदस्यों को परिषद से बाहर निकाला जा सकता है. उधर, अमेरिका ने घोषणा की कि हम और अन्य यूरोपीय देश मिलकर यूक्रेन के लिए काम करेंगे.
नेउर ने कहा कि उत्पीड़न के शिकार यूक्रेन को सशक्त बनाना और उसे ऊपर उठाना है. उन्होंने कहा कि मानवाधिकार और लोकतंत्र की रक्षा के लिए परिषद से रूस को निलंबित करने के लिए कदम उठाए जाने की जरूरत है. नेउर ने परिषद में गैर-लोकतांत्रिक देशों की सदस्यता पर भी सवाल उठाया. उन्होंने दावा किया कि रूस को मानवाधिकार परिषद से बाहर किया जाना तय है, क्योंकि कुछ ही सदस्य उनके पक्ष में मतदान करेंगे.
अमेरिकी राजदूत ने रूस का किया विरोध
मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस ग्रीनफील्ड ने कहा कि रूस को उस परिषद में नहीं होना चाहिए जिसका उद्देश्य मानवाधिकारों के सम्मान को बढ़ावा देना है. उन्होंने कहा कि परिषद में अपनी सदस्यता का उपयोग के जरिए रूस यह प्रचार करने में जुटा है कि उसे मानवाधिकारों की चिंता है, लेकिन परिषद में रूस की भागीदारी इसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठाती है, पूरे संयुक्त राष्ट्र को कमजोर करती है.
रूस के बारे में अमेरिकी राजदूत ने कहा कि परिषद में 68 प्रतिशत गैर लोकतांत्रिक वाले देश हैं. जैसे- इरेट्रिया, जिनके पास गुलाम मजदूर हैं. लीबिया जो अफ्रीकी प्रवासियों को प्रताड़ित करता है. मॉरिटानिया जहां आज भी गुलामी है. पाकिस्तान जो आतंकवादियों को होस्ट करता है.
ये भी पढ़ें