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श्रीलंका की ये गलतियां बनीं उसकी तबाही का कारण! UN रिपोर्ट में गिनाई गईं वजहें

1948 में आजादी के बाद से श्रीलंका अपने सबसे खराब आर्थिक संकट से गुजर रहा है. यह संकट विदेशी मुद्रा भंडार की भारी कमी से उत्पन्न हुआ था. पिछले हफ्ते आईएमएफ ने घोषणा की थी कि श्रीलंका को आर्थिक संकट से निपटने और नागरिकों की आजीविका की रक्षा के लिए चार साल में लगभग 2.9 अरब डॉलर का कर्ज देने को तैयार है. 

संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बैचलेट ने तैयार की रिपोर्ट (फाइल फोटो) संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बैचलेट ने तैयार की रिपोर्ट (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • जिनेवा/कोलंबो,
  • 07 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 4:42 PM IST

श्रीलंका के आर्थिक संकट को लेकर यूएन ने एक रिपोर्ट जारी की है. इसमें कहा गया कि श्रीलंका संकट अतीत व वर्तमान में किए गए मानवाधिकारों के हनन, आर्थिक अपराध और भ्रष्टाचार के दोषियों को छूट का नतीजा है. ये वजहें ही इस देश की तबाही का कारण बनी हैं. संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बैचलेट ने यह रिपोर्ट तैयार की गई है. इस रिपोर्ट मंगलवार को जारी किया गया.

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रिपोर्ट में श्रीलंका की मौजूदा चुनौतियों से निपटने और अतीत हुआ मानवाधिकारों का उल्लंघन दोबारा न हो इससे बचने के लिए बुनियादी बदलावों का भी सुझाव दिया गया है.

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद सत्र के 51वें सत्र से पहले जारी की गई है। यह सत्र 12 सितंबर से सात अक्टूबर तक जिनेवा में होगा. उम्मीद है कि इस सत्र में श्रीलंका को लेकर एक प्रस्ताव पेश किया जा सकता है.

स्थायी समाधान के लिए कारणों को पहचानना जरूरी

यह पहली बार है कि जब संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष निकाय ने आर्थिक संकट को श्रीलंका के घोर मानवाधिकार उल्लंघन से जोड़ा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में स्थायी सुधार के लिए श्रीलंका को उन अंतर्निहित कारणों को पहचानने और उन्हें दूर करने की जरूरत है, जिन्होंने यह संकट पैदा किया. इन कारणों में अतीत और वर्तमान में मानवाधिकारों के हनन, आर्थिक अपराध और भ्रष्टाचार के दोषियों को दंड से छूट शामिल हैं. 

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रिपोर्ट में कहा गया कि जवाबदेही और लोकतांत्रिक सुधारों के लिए सभी समुदायों से श्रीलंकाई लोगों की व्यापक मांगों ने भविष्य के लिए एक नई और आम दृष्टि के लिए एक महत्वपूर्ण प्रारंभिक बिंदु प्रस्तुत किया. रिपोर्ट में कहा गया है,"मौजूदा चुनौतियों से निपटने और अतीत के मानवाधिकारों के उल्लंघन की पुनरावृत्ति से बचने के लिए मौलिक परिवर्तनों की आवश्यकता होगी."

UNHRC में नए प्रस्ताव का विरोध करेगा श्रीलंका

श्रीलंका के विदेश मंत्री अली साबरी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) के शुरू होने वाले सत्र में श्रीलंका अपनी मानवाधिकार जवाबदेही पर एक नए प्रस्ताव, विशेष रूप से एक बाहरी जांच तंत्र का विरोध करेगा.

साबरी ने मीडियो से कहा कि श्रीलंका मानवाधिकारों के हनन की जांच के लिए एक बाहरी तंत्र के लिए सहमत नहीं है, क्योंकि यह देश के संविधान का उल्लंघन होगा. साबरी ने जिनेवा में 12 सितंबर से 7 अक्टूबर तक संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 51वें सत्र के आयोजन पर टिप्पणी करते हुए कहा कि कानून मंत्री विजयदासा राजपक्षे सत्रों में सरकार का प्रतिनिधित्व करेंगे.

23 सितंबर को पेश हो सकता है प्रस्ताव

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त द्वारा बुधवार को श्रीलंका पर अपनी रिपोर्ट जारी करने की उम्मीद है, जिसमें 2021 के एचआरसी संकल्प संख्या 46/1 के तहत जवाबदेही के विकल्प शामिल हैं.

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श्रीलंका पर एक संभावित मसौदा प्रस्ताव 23 सितंबर को पेश किए जाने की उम्मीद है. इसके बाद 6 अक्टूबर को नये मसौदा प्रस्ताव पर सदस्य देशों के बीच मतदान होगा.

 

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