
उत्तर कोरिया की ओर से हाल ही में लॉन्च की गई जासूसी सैटेलाइट को लेकर दुनियाभर में टेंशन है. इस बीच संयुक्त राष्ट्र में भी इसे लेकर बहस हुई. इस दौरान अमेरिका और उत्तर कोरिया की राजदूत में जोरदार बहस हुई.
उत्तर कोरिया लगभग छह साल तक संयुक्त राष्ट्र में गैरमौजूद रहा है. और इसी साल जुलाई में उसने पहली बार अपनी राजदूत को भेजा था. संयुक्त राष्ट्र में उत्तर कोरिया की 21 नवंबर को लॉन्च हुई जासूसी सैटेलाइट पर बहस हुई. चर्चा खत्म होने के बाद अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफिल्ड और उत्तर कोरिया की राजदूत किम सोंग के बीच तीखी नोंकझोंक हो गई.
इस दौरान किम सोंग ने संयुक्त राष्ट्र से कहा, 'अमेरिका हमें बार-बार परमाणु हथियार की धमकी दे रहा है. इसलिए ये हमारा अधिकार है कि हम अमेरिका के वेपन सिस्टम के बराबर अपने वेपन सिस्टम को भी विकसित करे और अपने पास रखे.'
वहीं, किम सोंग के दावों को अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफिल्ड ने खारिज कर दिया. उन्होंने कहा, 'हमारी बायलेटरल या ट्राईलेटरल मिलिट्री एक्सरसाइज के जवाब में उत्तर कोरिया मिसाइल लॉन्च कर रहा है, इस दावे को हम खारिज करते हैं. अमेरिका की मिलिट्री एक्सरसाइज रूटीन, डिफेंसिव और पहले से ही तय होती हैं.' उन्होंने ये भी कहा कि हम बिना किसी शर्त के उत्तर कोरिया को बातचीत की पेशकश करते हैं.
इस पर किम सोंग ने जवाब देते हुए कहा, 'जब तक सैन्य खतरा पूरी तरह से खत्म नहीं हो जाता, तब तक उत्तर कोरिया अपनी क्षमताओं को मजबूत करना जारी रखेगा.' आगे थॉमस-ग्रीनफिल्ड ने कहा, 'उत्तर कोरिया की कार्रवाई संभावित अमेरिकी हमले के भ्रम पर आधारित है. अमेरिका उत्तर कोरिया को सिर्फ मानवीय सहायता देना चाहता, न कि कोई कष्ट.'
दरअसल, बैलेस्टिक मिसाइलों और परमाणु कार्यक्रमों की वजह से उत्तर कोरिया पर 2006 में ही संयुक्त राष्ट्र ने प्रतिबंध लगा दिए थे. हाल ही में उत्तर कोरिया ने जो जासूसी सैटेलाइट लॉन्च की है, उसमें बैलेस्टिक मिसाइल वाली तकनीक का ही इस्तेमाल किया गया है. इतना ही नहीं, अमेरिका ने दावा किया था कि उत्तर कोरिया जल्द ही 7वां परमाणु परीक्षण करने जा रहा है.
वहीं उत्तर कोरिया, दक्षिण कोरिया, चीन, अमेरिका, रूस और जापान के बीच परमाणु हथियारों के खात्मे को लेकर हो रही बातचीत 2009 में बंद हो गई थी. 2018 और 2019 में उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन और तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच हुई बातचीत भी नाकाम हो गई थी.
चीन और रूस अक्सर आरोप लगाते हैं कि अमेरिका और दक्षिण कोरिया की मिलिट्री ड्रिल्स ने उत्तर कोरिया को उकसाया है. दूसरी ओर, अमेरिका ने चीन और रूस पर उत्तर कोरिया को आर्थिक प्रतिबंधों से बचाकर उसका हौसला बढ़ाने का आरोप लगाया है.