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PM इमरान खान से करतारपुर के बाद खोखरापार-मुनाबाव सीमा खोलने की मांग

खोखरापार-मुनाबाव बॉर्डर के खुलने से संत मोइनुद्दीन चिश्ती के लाखों अनुयायियों को अजमेर स्थित चिश्ती की दरगाह पर जाने में सुविधा होगी. तो यह रास्ता हिंदू तीर्थयात्रियों को पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के हिंगलाज मंदिर की यात्रा करने की भी अनुमति देगा.

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान (फाइल) पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान (फाइल)
aajtak.in
  • नई दिल्ली/इस्लामाबाद,
  • 27 नवंबर 2019,
  • अपडेटेड 9:14 AM IST

  • खोखरापार-मुनाबाव बॉर्डर को फिर से खोलने की गुहार
  • हिंदुओं के लिए बलूचिस्तान का हिंगलाज मंदिर बेहद खास
  • अजमेर में चिश्ती कर दरगाह पर आते हैं ढेरों पाक श्रद्धालु

सिखों के लिए करतारपुर कॉरिडोर खोले जाने के बाद अब अमेरिका के एक समूह ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से भारत के साथ खोखरापार-मुनाबाव बॉर्डर को फिर से खोलने की गुहार लगाई है. अमेरिका के एडवोकेसी समूह ने पाक प्रधानमंत्री से अनुरोध किया है कि इमरान खान लाखों मुस्लिम और हिंदू श्रद्धालुओं के लिए इस सीमा को फिर से खोलें.

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खोखरापार सीमा के खुलने से संत मोइनुद्दीन चिश्ती के लाखों अनुयायियों को अजमेर स्थित चिश्ती दरगाह पर जाने में सुविधा होगी. वॉइस ऑफ कराची ने कहा कि साथ ही यह रास्ता हिंदू तीर्थयात्रियों को पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के हिंगलाज मंदिर की यात्रा करने की भी अनुमति देगा.

एडवोकेसी समूह मुहाजिरों का एक ग्रुप है जो उर्दू भाषी भारतीय मुसलमानों का प्रतिनिधित्व करता है और विभाजन के बाद पाकिस्तान जाकर बस गए थे. अपनी वेबसाइट पर कहता है कि यह पाकिस्तान के सबसे बड़े शहर, कराची की दुर्दशा के बारे में वैश्विक जागरुकता बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है.

करतारपुर कॉरिडोर को लेकर शक होगा!

ग्रुप के नदीम नुसरत ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान को लिखे एक पत्र में कहा, 'अब जब आपकी सरकार ने पाकिस्तान में अपने पवित्र स्थानों पर जाने के लिए सिख तीर्थयात्रियों की यात्रा को सुविधाजनक बनाते हुए करतारपुर कॉरिडोर को खोलकर जो सराहनीय भव्यता दिखाई है, तो मैं आपको क्रमशः संत मोइनुद्दीन चिश्ती और हिंगलाज देवी के लाखों मुस्लिम और हिंदू अनुयायियों की ओर से अनुरोध करता हूं कि तत्काल प्रभाव से खोखरापार-मुनाबाओ सीमा को खोला जाए.

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नदीम नुसरत ने कहा कि आपका यह फैसला न केवल लाखों दिलों को जीत लेगी, बल्कि यह दोनों देशों के बीच लोगों के जरिए तनाव को कम करने में मदद भी करेगी. अगर ऐसा नहीं होता है तो उन अफवाहों और अटकलों को हवा देगी कि करतारपुर कॉरिडोर खोले जाने के पीछे की मंशा कुछ और ही थी.

उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान में रहने वाले लाखों मुस्लिमों और हिंदुओं को 1947 से पूजा के दो स्थानों पर जाने में लगातार कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. अब आपने जिस सह्दयता के साथ करतारपुर कॉरिडोर को खुलवाया उसी तरह से इन दोनों मुद्दों को भी जल्द से जल्द हल किया जा सकता है.

चार गुणा ज्यादा लंबी यात्रा

भारत के लाखों मुसलमान, जो पाकिस्तान के सिंध प्रांत के शहरी इलाकों में जाकर बस गए थे. उनमें से बड़ी संख्या में लोग अभी भी हजरत मोइनुद्दीन चिश्ती के प्रति गहरी श्रद्धा रखते हैं, और अजमेर स्थित चिश्ती की दरगाह की यात्रा करना चाहते हैं.

इसको लेकर कोई विवाद भी नहीं होना चाहिए क्योंकि पाकिस्तान का सिंध प्रांत भारत के राजस्थान के साथ अपनी सीमा साझा करता है, और सिंध की खोखरापार सीमा से अजमेर तक की यात्रा महज कुछ घंटों की है.

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पत्र में कहा गया कि यह मार्ग वर्षों से बंद है, जो लोगों को पंजाब और दिल्ली से होते हुए अजमेर तीर्थ यात्रा के लिए चार गुना लंबी यात्रा करने के लिए मजबूर करता है. यह अनावश्यक लंबी यात्रा श्रद्धालुओं पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ भी डालती है.

दूसरी ओर, हिंगलाज मंदिर बलूचिस्तान प्रांत में मकरान तट पर एक पवित्र हिंदू मंदिर है. हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु हिंदू उपासक हिंगलाज मंदिर की चार दिवसीय यात्रा करते हैं.

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