
शीर्ष अमेरिकी और रूसी राजनयिकों ने सऊदी अरब में उच्च स्तरीय शांति वार्ता शुरू कर दी है. वार्ता का मकसद यूक्रेन में लगभग तीन साल से चल रहे युद्ध को खत्म करना और अमेरिका-रूस के बीच तनावपूर्ण संबंधों को फिर से सुधारना है. वार्ता रियाद के दिरियाह पैलेस में हो रही है, जिसमें दोनों पक्षों के प्रमुख प्रतिनिधि मौजूद हैं.
वार्ता में कौन-कौन है शामिल
अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल
मार्को रुबियो: विदेश मंत्री
माइक वाल्ट्ज: राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार
स्टीव विटकॉफ: मध्य पूर्व के लिए विशेष दूत
रूसी प्रतिनिधिमंडल
सर्गेई लावरोव: विदेश मंत्री
यूरी उशाकोव: राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के विदेश नीति सलाहकार
दिमित्री रायबोलोवलेव: रूसी प्रत्यक्ष निवेश कोष (आरडीआईएफ) के प्रमुख
यह वार्ता कई सालों में अमेरिका और रूस के बीच पहली उच्च स्तरीय कूटनीतिक वार्ता है. यह वार्ता यूक्रेन में तीन साल से चल रहे संघर्ष को सुलझाने के मकसद से शुरू की गई है. इस वार्ता से ठीक पहले विदेश मंत्री मार्को रुबियो के नेतृत्व में एक अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल ने सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से मुलाकात की थी.
रूसी राष्ट्रपति भवन क्रेमलिन की तरफ से कहा गया है कि सऊदी अरब में हो रही रूस-अमेरिका वार्ता रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच बहुत जल्द मुलाकात का रास्ता तैयार कर सकती हैं.
सऊदी ने दोनों पक्षों के बीच कूटनीतिक बातचीत शुरू कराने में अहम भूमिका निभाई है. इसके साथ ही यह गाजा पट्टी के भविष्य पर अमेरिका के साथ चल रही चर्चाओं का भी हिस्सा है.
रूस की अमेरिका से उम्मीद
रूस के सॉवरेन वेल्थ फंड के प्रमुख किरिल दिमित्रिएव ने अमेरिका के साथ वार्ता पर उम्मीद जताई है. उन्होंने कहा है कि रूस को उम्मीद है, अमेरिका यूक्रेन पर उसकी स्थिति को सुनेगा. दिमित्रिएव ने ट्रंप के कूटनीतिक दृष्टिकोण की भी प्रशंसा की और कहा कि ट्रंप समस्याओं को सुलझाने वाले इंसान हैं जिन्होंने अहम वैश्विक चुनौतियों का प्रभावी ढंग से समाधान किया है.
शांति वार्ता में यूक्रेन नहीं है शामिल
सऊदी में चल रहे रूस-अमेरिका वार्ता में यूक्रेन को नहीं बुलाया गया है. इसे लेकर यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है.
उन्होंने अमेरिका पर पुतिन को "खुश करने" और रूस के पक्ष में रियायतें देने का आरोप लगाया. जेलेंस्की ने कहा, 'हम सिर्फ प्रशंसा पाने के लिए किसी भी समझौते पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे. आने वाली पीढ़ियों के लिए हमारे देश का भाग्य दांव पर लगा है.'
जेलेंस्की ने हाल ही में कहा कि वो पुतिन के साथ बातचीत के लिए तैयार हैं, लेकिन केवल तभी जब यूक्रेन और उसके सहयोगी युद्ध खत्म करने के लिए किसी स्थिति पर एकमत हो जाएं. साथ ही उन्होंने यह कहा कि अमेरिकी समर्थन के बिना यूक्रेन निश्चित रूप से नहीं जीत सकता.
यूरोपीय नेताओं की बैठक
एक तरफ जहां अमेरिकी और रूसी अधिकारी सऊदी अरब में जमा हो रहे थे तो वहीं दूसरी तरफ, यूरोपीय नेता यूक्रेन संघर्ष पर अपनी चर्चा के लिए पेरिस में जमा हुए.
यह बैठक फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने ट्रंप के उस फैसले के बाद बुलाई जिसमें उन्होंने यूक्रेन और यूरोपीय देशों को छोड़कर रूस के साथ द्विपक्षीय वार्ता करने का निर्णय लिया था.
युद्ध समाप्त करने की अमेरिकी रणनीति
ट्रंप ने अपने राष्ट्रपति अभियान में यह वादा किया था कि वो यूक्रेन युद्ध को जल्द समाप्त कर देंगे. ट्रंप प्रशासन ने अपने कार्यकाल के पहले 100 दिनों के भीतर एक समझौते पर पहुंचने का संकेत दिया था. और इसी क्रम में अमेरिका सऊदी अरब में रूसी प्रतिनिधियों से बात कर रहा है.
वार्ता में रूस का रुख
रूस का शुरुआती मकसद यूक्रेन पर कब्जा करना और वहां रूस समर्थित सरकार स्थापित करना था लेकिन वो अपनी इस कोशिश में विफल रहा था. अब रूस यूक्रेन के साथ युद्ध समाप्त करने के लिए कुछ शर्तों पर अड़ा हुआ है. रूस की शर्त है कि वो यूक्रेन के कब्जे वाले इलाकों को अपने पास रखेगा और यूक्रेन अपनी सेना की संख्या को सीमित करे.
ट्रंप के साथ हाल ही में हुई टेलीफोन वार्ता के दौरान पुतिन ने कथित तौर पर "संघर्ष के कारणों को सुलझाने" की इच्छा जताई. इससे यह संकेत मिलता है कि रूस किसी भी सूरत में यूक्रेन को पश्चिमी खेमे में नहीं देखना चाहता.