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क्या है अमेरिकी संविधान का 25वां संशोधन, जिसके जरिए ट्रंप को हटाने की हो रही मांग

अमेरिकी संसद ने मांग की है कि ट्रंप को बाकी बचे 13 दिनों के लिए भी राष्ट्रपति पद पर ना रहने दिया जाए और उनके खिलाफ महाभियोग केस चलाया जाए. डेमोक्रेट नेता नेंसी पेलोसी ने कहा है कि अगर ट्रंप को 25वें संशोधन के तहत नहीं हटाया गया, तो कांग्रेस महाभियोग के साथ आगे बढ़ सकती है. रिपोर्ट्स के मुताबिक कैबिनेट ने अमेरिकी संविधान के 25वें संशोधन पर चर्चा की.

डोनाल्ड ट्रंप को राष्ट्रपति से हटाने की मांग बढ़ी (फाइल फोटो-AP) डोनाल्ड ट्रंप को राष्ट्रपति से हटाने की मांग बढ़ी (फाइल फोटो-AP)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 08 जनवरी 2021,
  • अपडेटेड 9:34 AM IST
  • ट्रंप को राष्ट्रपति पद से हटाने की मांग बढ़ी
  • ट्रंप के खिलाफ दूसरे महाभियोग की मांग
  • डेमोक्रेट नेता पलोसी बोलीं- ट्रंप को हटाया जाए

जाते-जाते डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका को ऐसा जख्म दिया, जिसका दाग ना तो कभी जाएगा ना ही कभी फीका पड़ेगा. क्योंकि ट्रंप के उकसावे पर अमेरिकी संसद में जो हुआ है वो कोई विरोध प्रदर्शन नहीं था बल्कि ऐसा हमला था जिसे खुद अमेरिका के लोगों ने अंजाम दिया. अमेरिका को दोबारा से महान बनाने की बड़ी-बड़ी बातें करने वाले ट्रंप ने अमेरिका को बदनाम करके छोड़ दिया, लेकिन अमेरिका भी उन्हें ऐसे ही छोड़ देने के मूड में नहीं है. 

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अमेरिका में भड़की हिंसा और ट्रंप के भड़काऊ संदेशों पर एक्शन लेते हुए ट्विटर-फेसबुक और इंस्टाग्राम ने उनके अकाउंट्स को फिलहाल सस्पेंड कर दिया है. जबकि यूट्यूब ने ट्रंप के भड़काऊ भाषण डिलीट कर दिये हैं. सोशल नेटवर्किंग साइट्स ने वॉर्निंग दी है कि अगर ट्रंप ने दोबारा कोई भड़काऊ पोस्ट की तो उनके अकाउंट्स को स्थाई तौर पर ब्लॉक कर दिया जाएगा.

क्या है 25वां संविधान संशोधन?
साल 1967 में अमेरिकी संविधान में 25वें संशोधन को लागू किया गया. इसके तहत, ये व्यवस्था की गई कि अगर राष्ट्रपति शासन करने में अक्षम है या उसका निधन हो जाता है तो उसकी जगह किसी और को ये जिम्मेदारी दी जा सकती है. इसके साथ ही, ये भी प्रावधान किया गया था कि राष्ट्रपति के इस्तीफे या निधन की स्थिति में उप-राष्ट्रपति को स्थायी रूप से सत्ता सौंपी जा सकती है. नया उप-राष्ट्रपति बनाने की ताकत राष्ट्रपति और कांग्रेस को संयुक्त रूप से दी गई हैं.

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क्या इसका पहले कभी हुआ है इस्तेमाल?
दिसंबर 1973 में, अमेरिका के उप राष्ट्रपति स्पीरो एग्न्यू ने इस्तीफा दे दिया था. इस्तीफे के दो महीने बाद, गेराल्ड फोर्ड को 25वें संविधान संशोधन के जरिए राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने उप-राष्ट्रपति बनाया था. गेराल्ड फोर्ड पहले ऐसे व्यक्ति थे जिन्हें 25वें संविधान संशोधन के जरिए उप-राष्ट्रपति बनाया गया था. हालांकि, इसके लिए 25वें संविधान संशोधन के पहले दो सेक्शनों का ही इस्तेमाल किया गया था.

25वें संविधान संशोधन के तीसरे सेक्शन में राष्ट्रपति को अस्थायी तौर पर उप-राष्ट्रपति को अपनी शक्तियां और जिम्मेदारियां उप-राष्ट्रपति को सौंपने की अनुमति दी गई है. इसका इस्तेमाल साल 1985 में हुआ था जब अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन की सर्जरी होनी थी. 

साल 2002 और 2007 में जॉर्ज ड्ब्ल्यू बुश को जब एनीस्थीसिया दी गई थी तो भी इसी सेक्शन का इस्तेमाल किया गया था. वहीं, 25वें संविधान संशोधन के चौथे सेक्शन में प्रावधान किया गया है कि अगर राष्ट्रपति सत्ता हस्तांतरण या अपनी जिम्मेदारियों को निभाने में अक्षम है तो उसे पद से हटाया जा सकता है. लेकिन इस सेक्शन का इस्तेमाल आज तक नहीं किया गया है.

क्या है प्रक्रिया?
अमेरिका के उप-राष्ट्रपति की सहमति और कैबिनेट के बहुमत से ये घोषित किया जा सकता है कि राष्ट्रपति अपनी जिम्मेदारियों का पालन करने में अक्षम हैं. अगर राष्ट्रपति इसका विरोध करता है तो दोनों सदनों में उप-राष्ट्रपति को सत्ता सौंपने के लिए दो-तिहाई बहुमत जरूरी होगा. हालांकि, संविधान संशोधन में ये नहीं तय किया गया है कि किसी राष्ट्रपति को अक्षम घोषित करने के लिए क्या शर्तें होंगी. कई लोग अयोग्यता को सिर्फ शारीरिक और मानसिक अक्षमता तक ही सीमित रखते हैं, हालांकि कई इसे व्यापक रूप में देखते हैं.

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ट्रंप के खिलाफ कई देश में केस चलाने की तैयारी

एक तरफ अमेरिका के सांसद बचा हुआ कार्यकाल पूरा होने से पहले ही ट्रंप को पद से हटाने के मूड में हैं तो दूसरी तरफ अन्य देशों में भी ट्रंप के खिलाफ केस चलाने की तैयारी हो चुकी है.

देखें: आजतक LIVE TV

ईरान की एक अदालत ने ट्रंप के खिलाफ गिरफ्तारी वॉरंट जारी किया है. ये गिरफ्तारी वॉरंट पिछले वर्ष ईरानी कमांडर जनरल कासिम सुलेमानी की इराक में हत्या के केस में जारी हुआ है. ईरान ने आरोप लगाया था कि ट्रंप के इशारे पर ही उसके कमांडर जनरल को ड्रोन हमले में मारा गया था. ट्रंप के खिलाफ सुलेमानी की हत्या के आरोप में वॉरंट जारी हुआ है जिसमें आरोप सिद्ध होने पर मौत की सजा होती है. ट्रंप की गिरफ्तारी के लिए ईरान ने बाकायदा इंटरपोल से मदद भी मांगी है. 


 

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