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आतंक के खिलाफ जंग में पाकिस्तान के 'दोहरे खेल' पर अमेरिका कन्फ्यूज, होगी बहस

‘पाकिस्तान: आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में दोस्त या दुश्मन?’ नाम की सुनवाई का आयोजन विदेशी मामलों की समिति की आतंकवाद, परमाणु अप्रसार एवं व्यापार से संबंधी उप समिति और एशिया एवं प्रशांत से जुड़ी उप समिति कर रही है.

पाकिस्तान: आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में दोस्त या दुश्मन? पाकिस्तान: आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में दोस्त या दुश्मन?
केशव कुमार/BHASHA
  • वाशिंगटन,
  • 09 जुलाई 2016,
  • अपडेटेड 7:52 AM IST

दुनिया भर में फैले आतंकवाद से लड़ाई के नाम पर पाकिस्तान के ‘दोहरे खेल’ से उबे अमेरिकी सांसदों ने अगले हफ्ते अमेरिकी कांग्रेस में एक सुनवाई आयोजित करने की घोषणा की है. कांग्रेस की सुनवाई में चर्चा की जाएगी कि पाकिस्तान आतंक के खिलाफ जंग में अमेरिका का दोस्त है या दुश्मन.

पाकिस्तान: आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में दोस्त या दुश्मन?
कांग्रेस सदस्य और सदन की विदेशी मामलों की समिति की आतंकवाद, परमाणु अप्रसार एवं व्यापार से संबंधित उप समिति के अध्यक्ष टेड पो ने कहा, ‘सुनवाई से सदस्यों को आतंकी समूहों के साथ पाकिस्तान के पुराने संबंधों के बारे में जानने का और पाकिस्तान को लेकर अमेरिका की विदेशी नीति के बेहतर पुनर्मूल्यांकन का मौका मिलेगा.’ ‘पाकिस्तान: आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में दोस्त या दुश्मन?’ नाम की सुनवाई का आयोजन विदेशी मामलों की समिति की आतंकवाद, परमाणु अप्रसार एवं व्यापार से संबंधी उप समिति और एशिया एवं प्रशांत से जुड़ी उप समिति कर रही है.

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आईएसआई से जुड़ते हैं आतंकियों के तार
एशिया एवं प्रशांत से जुड़ी उप समिति के प्रमुख कांग्रेस सदस्य मैट सैलमोन ने पाकिस्तान के कथित दोहरे खेल को लेकर कहा, ‘अमेरिका ने वर्ल्ड ट्रेड सेंटर (9/11 हमला) पर हुए आतंकी हमले के बाद से करदाताओं के अरबों डॉलर पाकिस्तान को मदद देने के लिए खर्च किए. पंद्रह साल बाद पाकिस्तान की सैन्य और खुफिया सेवाएं के तार अब भी आतंकवादी संगठनों से जुड़ रहे हैं. इस क्षेत्र को स्थिर करने में बहुत कम सफलता मिली है.’

पाकिस्तान की आर्थिक मदद पर दोबारा सोचेंगे
सैलमोन ने कहा, ‘हमें अमेरिका के लक्ष्यों, अपेक्षाओं और क्षेत्र में हमारी मदद पर हो रहे खर्च पर करीब से ध्यान देना चाहिए. इस सुनवाई में हम पाकिस्तान को लेकर प्रशासन की नाकाम नीति पर चर्चा करेंगे. साथ ही आगे कौन सा तरीका सबसे कारगर होगा, इस पर बहस करेंगे.’

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अमेरिकियों के खून से रंगे हैं पाक के आतंकियों के हाथ
पो ने कहा, ‘आतंकी समूहों के साथ पाकिस्तान के संबंधों के पुराने इतिहास के काफी सबूत हैं, इनमें वे आतंकी समूह शामिल हैं जिनके हाथ अमेरिकियों के खून से रंगे हैं.’ उन्होंने कहा, ‘पाकिस्तान की सैन्य खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलीजेंस (आईएसआई) पाकिस्तान के क्षेत्रीय विरोधियों पर प्रभाव डालने के लिए तालिबान, अलकायदा और हक्कानी नेटवर्क सहित विभिन्न आतंकी समूहों को समर्थन देती है.’

 2002 के बाद पाकिस्तान को 33 अरब डॉलर की मदद
पो ने कहा, ‘वैश्विक आतंकवाद के साथ पाकिस्तान की साठ गांठ के बढ़ते सबूतों के बावजूद पाकिस्तान अमेरिका की विदेशी सहायता हासिल करने वाले प्रमुख देशों में शामिल है. अमेरिका ने 2002 के बाद से कांग्रेस के जरिए पाकिस्तान को 33 अरब डॉलर से अधिक की रकम दी है.’

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