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जन्मजात नागरिकता पर रोक वाले ट्रंप के आदेश पर ब्रेक... कोर्ट ने क्या-क्या कहा?

अमेरिका की कई जिला अदालतों ने ट्रंप के कुछ कार्यकारी आदेशों पर अस्थायी रोक लगा दी है. इनमें जन्मजात नागरिकता के अधिकार को खत्म करने का आदेश और 6 जनवरी के कैपिटल हिल दंगों के आरोपियों को क्षमा करना शामिल है.

अमेरिका की कई जिला अदालतों ने ट्रंप के कई आदेशों पर रोक लगा दी है (Photo- Reuters) अमेरिका की कई जिला अदालतों ने ट्रंप के कई आदेशों पर रोक लगा दी है (Photo- Reuters)
नलिनी शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 24 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 6:38 PM IST

अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 20 जनवरी को शपथ ग्रहण करने के साथ ही कई आदेश जारी किए जिनमें से कुछ पर भारी विवाद हो रहा है. उन्होंने 6 जनवरी को कैपिटल हिल दंगों के आरोपियों को क्षमा कर उनकी तत्काल रिहाई के आदेश दिए और जन्मजात नागरिकता को भी समाप्त करने का आदेश जारी किया. ट्रंप के इन आदेशों को अमेरिका की कई अदालतों ने भी असंवैधानिक करार दिया है और इस पर रोक लगा दी है.

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हमारे सहयोगी वेबसाइट इंडिया टूडे को अमेरिकी अदालतों के आदेशों की प्रति मिली है. इनसे पता चलता है कि कोर्ट के ये आदेश राष्ट्रपति ट्रंप के आदेशों को लागू करने में कानूनी मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं. कोर्ट के ये आदेश मुख्यतः कैपिटल हिल दंगों और जन्मजात नागरिकता को खत्म करने के आदेश के संबंध में हैं.

जन्मजात नागरिकता को समाप्त करने के ट्रंप के आदेश पर कोर्ट ने क्या कहा?

जन्मजात नागरिकता पर ट्रंप के आदेश के खिलाफ डेमोक्रेट्स शासित चार राज्यों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. मामले की सुनवाई के बाद पश्चिमी वाशिंगटन के जिला जज जॉन कॉफनर ने कहा कि यदि जन्मसिद्ध अधिकार प्राप्त नागरिकों को नागरिक नहीं माना जाएगा, तो उन्हें केंद्र सरकार की तरफ से मिलने वाले वो फंड्स नहीं मिल पाएंगे जो उन्हें वर्तमान में मिलते हैं.

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कोर्ट ने 23 जनवरी, 2025 को स्थानीय समयानुसार, सुबह 11:00 बजे से प्रभावी एक अस्थायी निरोधक आदेश जारी किया है. कोर्ट के इस आदेश के बाद राष्ट्रपति ट्रंप का कार्यकारी आदेश पर रोक लग गई है.

ट्रंप के आदेश पर अस्थायी रोक लगाते हुए कोर्ट ने कहा कि वादी को यह साबित करना होगा कि इससे उनके सफल होने की संभावना है और यह निषेधाज्ञा सार्वजनिक हित में है.

कोर्ट ने कहा, 'इस बात की प्रबल संभावना है कि वादी अपने दावों के आधार पर सफल होंगे कि कार्यकारी आदेश चौदहवें संशोधन और आव्रजन एवं राष्ट्रीयता अधिनियम का उल्लंघन करता है. वादी ने यह भी दिखाया है कि कार्यकारी आदेश से उन्हें अपूरणीय क्षति होने की संभावना है, इक्विटी का संतुलन उनके पक्ष में है और निषेधाज्ञा सार्वजनिक हित में है.

जिला अदालत के आदेश ने राष्ट्रपति ट्रंप को कार्यकारी आदेश लागू करने से रोक दिया है. कोर्ट का यह आदेश अगले आदेश तक प्रभावी रहेगा.

कैपिटल हिल दंगों के आरोपियों की रिहाई पर कोर्ट का आदेश

कोलंबिया की एक जिला अदालत की जज तान्या एस छुटकन ने 6 जनवरी के कैपिटल दंगों के मामले में आरोपी व्यक्ति के खिलाफ अभियोग को खारिज करने के सरकार के प्रस्ताव को आंशिक रूप से मंजूरी दे दी.

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कोर्ट ने कहा कि हालांकि, क्षमादान कार्यपालिका के अधिकार के तहत आता है लेकिन इससे कोई आरोपी पूरी तरह निर्दोष नहीं हो जाता कि उस पर मुकदमा न चलाया जा सके.

6 जनवरी 2021 को ट्रंप की हार के बाद उनके समर्थकों ने कैपिटल हिल पर धावा बोल दिया था जिसमें कई लोगों की जान चली गई थी. दंगों को कंट्रोल कर रहे कई पुलिसकर्मी भी हताहत हुए थे.

कोर्ट ने कहा- कोई भी माफी 6 जनवरी 2021 को हुई दुखद सच्चाई को नहीं बदल सकती. उस दिन, तत्कालीन राष्ट्रपति ट्रंप के समर्थन में एक भीड़ ने इलेक्टोरल कॉलेज सर्टिफिकेशन को रोकने के लिए यूएस कैपिटल पर हिंसक हमला किया था. इस मामले को खारिज करने से उस हिंसा को रोका नहीं जा सकता जिसमें कई लोग मारे गए, 140 से अधिक लोग घायल हुए और लाखों डॉलर का नुकसान हुआ. यह उन अधिकारियों की वीरता को कम नहीं कर सकता जिन्होंने संघर्ष किया, गंभीर चोटों और यहां तक कि मौत का सामना करते हुए भीड़ को नियंत्रित किया जिसने उन्हें भारी नुकसान पहुंचाया. और यह अमेरिका की शांतिपूर्वक सत्ता हस्तांतरण की पवित्र परंपरा में आई दरार को ठीक नहीं कर सकता.

कोलंबिया की अदालत ने ट्रंप को लगाई फटकार

इसी मामले की सुनवाई करते हुए कोलंबिया के जिला अदालत ने जब सरकार किसी आपराधिक प्रतिवादी पर मुकदमा चलाने से रोकने का फैसला करती है तो कोर्ट के पास सीमित शक्ति होती है.

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कोर्ट ने कहा, '6 जनवरी, 2021 को यूएस कैपिटल बिल्डिंग के बाहर और अंदर दोनों जगह प्रतिवादियों के आपराधिक आचरण के लिए कई आपराधिक मामलों की सुनवाई के बाद यह कोर्ट राष्ट्रपति की तरफ से कही गई बातों को बर्दाश्त नहीं कर सकता है. इस मामले में, प्रतिवादियों ने शपथ लेकर अपने आपराधिक आचरण को स्वीकार किया है. सीधे शब्दों में कहें तो राष्ट्रपति के बयान में किया गया दावा पूरी तरह से गलत है.

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