
आतंकवादियों के प्रति पाकिस्तान के दिल में कितनी इज्जत और सम्मान है. इसका इजहार पाकिस्तान वक्त-वक्त पर करता आया है. अब उसने एक बार फिर कुछ ही ऐसा किया है. पाक की इस हरकत से भारत ही नहीं, अमेरिका भी भड़क गया है.
साल 2002 में अमेरिका पत्रकार डेनियल पर्ल की पाकिस्तान में अगवा करने के बाद हत्या कर दी गई थी. आतंकवादियों ने डेनियल पर्ल का सिर कलम करने के बाद उसका वीडियो अमेरिका को भेजा था, जिसके बाद पाकिस्तान में पर्ल की हत्या के मुख्य आरोपी उमर सईद शेख और उसके तीन साथियों को गिरफ्तार किया गया था.
2007 में सुनाई गई मौत की सजा
उमर सईद शेख को 2007 में फांसी की सजा सुनाई गई थी, लेकिन अब सिंध हाईकोर्ट ने डेनियल पर्ल के हत्यारों को रिहा करने का आदेश दे दिया है. कोर्ट ने उमर शेख के सिर से पर्ल की हत्या का इलजाम हटाकर उसे सिर्फ अपहरण का दोषी माना है, जिसके लिए उसे 7 साल की सजा सुनाई है. ये सजा वो पहले ही काट चुका है, इसलिए जेल से बाहर आ गया है.
उमर सईद शेख भारत का भी मोस्ट वॉन्टेड आतंकवादी है, जिसे कंधार हाईजैक कांड में छोड़ा गया था. जाहिर है जेल से छूटने के बाद एक बार फिर उसे भारत में आतंकवादी साजिशों को अंजाम देने की खुली छूट मिल चुकी है.
वैसे तो पाकिस्तान में आतंकवादियों का बाइज्जत बरी हो जाना कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन आतंकी उमर सईद शेख की रिहाई ने अमेरिका को गुस्सा दिला दिया है.
अमेरिकी पत्रकार डेनियल पर्ल को 2002 में पाकिस्तान में अगवा किया गया था और फिर उनका सिर कलम कर दिया गया. अब पाकिस्तान के सिंध हाईकोर्ट ने उनके कातिल आतंकवादी अहमद उमर शेख और उसके तीन साथियों को रिहा कर दिया है.
डेनियल पर्ल अमेरिकी पत्रकार थे जो वॉल स्ट्रीट जर्नल के लिए काम करते थे. वो 2002 में आतंकी संगठनों पर इंवेस्टिगेटिव रिपोर्टिंग करने पाकिस्तान गए थे. इसी दौरान उनकी हत्या कर दी गई. इस मामले में चार आतंकियों को गिरफ्तार किया गया था जिनमें पर्ल का सिर कलम करने वाला अहमद उमर सईद शेख भी शामिल था जिसे फांसी की सजा सुनाई गई थी लेकिन वो जो 18 साल से जेल में था.
1994 में भारत में हुआ था गिरफ्तार
साल 2016 में पाकिस्तानी सेना ने कराची में एक साथ 97 आतंकवादियों को गिरफ्तार किया था और पर्ल के हत्यारे उमर सईद को जेल से भगाने की साजिश का भंडाफोड़ भी किया था. लेकिन अब पाकिस्तान के वकीलों ने ऐसा हुनर दिखाया है कि पर्ल का हत्यारा ना सिर्फ जेल से बाहर आ गया बल्कि कोर्ट ने उसे बिना किसी रोक-टोक देश से बाहर जाने की इजाजत भी दे दी.
पाकिस्तान के आतंकी प्रेम का इससे पुख्ता प्रमाण और क्या हो सकता है कि जिस उमर सईद को अमेरिकी पत्रकार की हत्या के जुर्म में सजा-ए-मौत सुनाई गई हो. वो अब पाकिस्तान में एक सम्मानित नागरिक की हैसियत से घूमेगा. जबकि ना सिर्फ अमेरिका बल्कि भारत के लिए भी उमर सईद शेख मोस्ट वॉन्टेड आतंकवादी है.
उमर सईद को 1994 में भारत में गिरफ्तार किया गया था. उसने तीन ब्रिटिश और एक अमेरिकी नागरिक का अपहरण किया था. उमर सईद दिल्ली की तिहाड़ जेल समेत देश की कई जेलों में बंद रह चुका है.
कंधार हाईजैक कांड में हुई रिहाई
साल 1999 में कंधार हाईजैक कांड में भारत को जिन आतंकवादयों को रिहा करना पड़ा था. उनमें उमर सईद शेख भी शामिल था. अमेरिका में 11 सितंबर 2001 के हमले के एक चरमपंथी के खाते में पैसे ट्रांसफर करने का भी आरोप है.
जाहिर है ऐसे खूंखार आतंकवादी की रिहाई पर अमेरिका भड़क गया है. अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा है, 'हम इन आतंकियों की रिहाई पर बहुत फिक्रमंद हैं. इन लोगों ने एक अमेरिकी नागरिक और पत्रकार की बेरहमी से हत्या की थी. हम हालात पर पैनी नजर बनाए हुए हैं. पर्ल के परिवार को इंसाफ दिलाना हमारी जिम्मेदारी है.'
अमेरिका कह रहा है कि पाकिस्तान के इस रवैये को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. लेकिन आतंकवादियों के प्रति पाकिस्तान का रवैया तो हमेशा से ही ऐसा ही रहा है. बेहद नरम. बेहद मुलायम.
इस संबंध में डिफेंस एक्सपर्ट और कर्नल (रिटा.) रोहित देव ने कहा कि ऐसे वक्त में जब अमेरिका समेत पूरी दुनिया का पूरा ध्यान कोरोना महामारी से निपटने में लगा है. तब पाकिस्तान में पर्ल के हत्यारे की रिहाई के पीछे भी ISI की गहरी चाल है.
ISI को लग रहा है कि कोरोना संकट की वजह से उमर सईद की रिहाई का अमेरिका ज्यादा विरोध नहीं कर पाएगा. और ऐसे वक्त में जब पाकिस्तान में हाफिज सईद और मसूद जैसे बड़े आतंकियों पर पूरी दुनिया की नजर है. तब उमर सईद को रिहा करके वो उसका इस्तेमाल कश्मीर में आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देने में कर सकता है.
रिहाई की वजह!
अब अमेरिकी पत्रकार डेनियल पर्ल के हत्यारे उमर सईद की रिहाई की इनसाइड स्टोरी आपको बताते हैं. दरअसल, पाकिस्तान इन दिनों आतंकवादियों की सेकेंड लाइन तैयार करने में जुटा है क्योंकि फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स यानी FATF में उस पर ब्लैक लिस्ट होने की तलवार लटक रही है. जिससे बचने के लिए पाकिस्तान को हाफिज सईद और मसूद अजहर जैसे ग्लोबल आतंकवादियों पर नकेल कसनी पड़ी है. वैसे उमर सईद की रिहाई के वक्त ही मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद को. पहले से चल रही सजा के साथ 15 साल कैद की सजा और सुना दी गई है.
हाफिज सईद को ये सजा टेरर फंडिंग के मामले मे पाकिस्तान की एक आतंकवाद रोधी अदालत ने सुनाई है. इससे पहले टेरर फंडिंग के चार अन्य मामलों में हाफिज सईद को 21 साल की सजा सुनाई जा चुकी है. हाफिज सईद को पिछले साल 17 जुलाई को गिरफ्तार किया गया था. इस साल फरवरी में अदालत ने दो मामलों में उसे 11 साल की जेल की सजा सुनाई थी.
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इसके बाद नवंबर में सईद को दो मामलों में 10 साल की सजा सुनाई गई थी. इस तरह कुल मिलाकर हाफिज सईद को 36 साल जेल की सजा हो चुकी है. लेकिन सभी मामलों में उसकी सजा साथ-साथ चलेगी. इस तरह हाफिज़ सईद को 15 साल जेल में रहना होगा.
1 करोड़ डॉलर के ईनामी आतंकवादी हाफिज सईद को बैक टू बैक सजा का ऐलान इसलिए हो रहा है ताकि पाकिस्तान FATF की ग्रे लिस्ट से ब्लैक लिस्ट होने से बच सके. हालांकि जेल में भी हाफिज सईद की शान में गुस्ताखी करने की हिम्मत पाकिस्तान अभी भी नहीं जुटा पा रहा है. खबरें हैं कि उसे जेल में भी VIP ट्रीटमेंट दिया जा रहा है.
इन दिनों में जेल में हाफिज सईद
ये पाकिस्तान की मजबूरी ही है कि उसे हाफिज सईद जैसे अपने प्रिय आतंकवादी को जेल में रखना पड़ रहा है, लेकिन जेल में भी पाकिस्तान अपने पसंदीदा आतंकवादियों का ख्याल रखने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रहा है. इसका एक उदाहरण आपको देते हैं.
जेल में बंद मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड और लश्कर-ए-तैयबा के चीफ कमांडर जकी उर रहमान लखवी को पाकिस्तान सरकार ने हर महीने डेढ़ लाख रुपये देने का ऐलान कर दिया है. वैसे लखवी अकेला आतंकवादी नहीं है जो जेल में रहकर सरकारी पेंशन पर ऐश कर रहा है. जेल में बंद हाफिज सईद भी इसका लाभ उठा रहा है.
लखवी और हाफिज सईद के अलावा पूर्व न्यूक्लियर इंजीनियर महमूद सुल्तान बशीरुद्दीन को भी ये रकम मिलेगी. जो अलकायदा से लिंक रखने के आरोप में जेल में बंद है.
दरअसल, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के नियम कहते हैं कि अगर प्रतिबंधित आतंकी जेल में हैं तो उन्हें बुनियादी सुविधाओँ के लिए खर्चा-पानी दिया जा सकता है. इमरान सरकार इसी नियम का फायदा उठाकर आतंकवादियों का पालन-पोषण कर रही है. आतंकवादियों के लिए ऐसा दुलार आपको कहीं और देखने को नहीं मिलेगा.