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काबुल की तरफ तालिबान को बढ़ता देख अमेरिकी दूतावास के अफसरों ने जलाए संवेदनशील दस्तावेज

दूतावास के अधिकारियों को संवेदनशील सामग्री के साथ-साथ दूतावास या एजेंसी के लोगो, अमेरिकी झंडे, या अन्य ऐसी सभी वस्तुओं को नष्ट करने का निर्देश दिया गया है, जिनका प्रोपेगेंडा के तहत दुरुपयोग किया जा सकता है.

काबुल में अमेरिकी दूतावास के ऊपर उठता धुआं (फोटो पीटीआई) काबुल में अमेरिकी दूतावास के ऊपर उठता धुआं (फोटो पीटीआई)
aajtak.in
  • काबुल,
  • 15 अगस्त 2021,
  • अपडेटेड 5:51 PM IST
  • तालिबान ने काबुल को चारों ओर से घेरा
  • अभी सिर्फ काबुल और 7 प्रांतों पर बचा सरकार का शासन

अफगानिस्तान (Afghanistan) में हालात बिगड़ते जा रहे हैं. तालिबान (Taliban) ने अफगानिस्तान की राजधानी काबुल (Kabul) को चारों ओर से घेर लिया. इसी बीच काबुल में अमेरिकी दूतावास ने अफसरों से इमरजेंसी डिस्ट्रक्शन सर्विस के तहत सभी संवेदनशील दस्तावेजों को नष्ट करने के लिए कहा है. 

अमेरिकी न्यूज चैनल सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, दूतावास के अधिकारियों को संवेदनशील सामग्री के साथ-साथ दूतावास या एजेंसी के लोगो, अमेरिकी झंडे, या अन्य ऐसी सभी वस्तुओं को नष्ट करने का निर्देश दिया गया है, जिनका प्रोपेगेंडा के तहत दुरुपयोग किया जा सकता है. 

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क्या कहा गया है नोटिस में?

सीएनएन ने दूतावास के कर्मचारियों को भेजे गए एक प्रबंधन नोटिस के हवाले से यह जानकारी दी. नोटिस में कहा गया है कि इन सामग्रियों को नष्ट करने के लिए कई तरह के साधन होंगे, जिनमें बर्न बिन्स, एक डिसइंटीग्रेटर, एक इंसीनरेटर और एक कॉम्पेक्टर और हेवी-ड्यूटी उपकरण शामिल हैं. 

विदेश विभाग के प्रवक्ता ने कहा,  दुनिया भर में हमारे राजनयिक पदों पर कमी एक एसओपी प्रक्रिया का पालन करती है. इसे स्टापिंग, उपकरण और आपूर्ति समेत विभिन्न श्रेणियों में हमारे पदचिह्न् को कम करने के लिए डिजाइन किया गया है. काबुल में स्थित दूतावास भी इसी एसओपी के तहत ड्रॉडाउन कर रहा है. 

अमेरिकी हेलिकॉप्टर्स पहुंचे दूतावास

समाचार एजेंसी एपी के मुताबिक,  एसोसिएटेड प्रेस के अनुसार, काबुल में अमेरिकी दूतावास में हेलिकॉप्टर्स को उतरते देखा गया. दूतावास के निकट राजनयिकों के बख्तरबंद एसयूवी वाहन निकलते दिखे और इनके साथ ही विमानों की लगातार आवाजाही भी देखी गई. दूतावास की छत के निकट धुआं उठता देखा गया. 

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अमेरिका 5000 सैनिक भेजेगा अफगानिस्तान

इससे पहले शनिवार को बाइडेन प्रशासन ने 5,000 अमेरिकी सैनिकों को अफगानिस्तान भेजने का फैसला किया है. ताकि अफगानिस्तान से राजनयिकों, अमेरिकी कर्मियों और अन्य संबद्ध कर्मियों की सुरक्षित वापसी कराई जा सके. साथ ही तालिबान के खिलाफ मिशन में अमेरिका की मदद करने वाले अफगान के नागरिकों की सुरक्षित निकासी सुनिश्चित की जा सके. 

तालिबान ने जलालाबाद पर किया कब्जा

अफगानिस्तान में तालिबान का कब्जा बढ़ता ही जा रहा है. जानकारी के मुताबिक, तालिबान के आतंकियों ने अब जलालाबाद पर भी कब्जा कर लिया है. इससे अफगानिस्तान की राजधानी काबुल देश के पूर्वी हिस्से से कट गई है.

तालिबान ने रविवार सुबह कुछ तस्वीरें ऑनलाइन जारी कीं जिनमें उसके लोगों को नांगरहार प्रांत की राजधानी जलालाबाद में गवर्नर के दफ्तर में देखा जा सकता है. मिली जानकारी के मुताबिक, जलालाबाद में किसी तरह का कोई संघर्ष नहीं हुआ, क्योंकि गवर्नर ने खुद ही तालिबान के सामने सरेंडर कर दिया.

कहा गया कि ऐसा बेकसूर अफगानियों की जान बचाने के लिए किया गया. जलालाबाद के बाद अब काबुल और सिर्फ 7 प्रांतों पर ही अफगानिस्तान सरकार का शासन रह गया है. 
  
अलग थलग पड़ी सरकार

अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी, जिन्होंने तालिबान के हमले के बाद पहली बार शनिवार को राष्ट्र को संबोधित किया. अब वे भी अलग थलग दिखाई दे रहे हैं. एसोसिएटेड प्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, राष्ट्रपति के पास सैन्य विकल्प नहीं रह गया है क्योंकि कुछ दिनों पहले जिन सरदारों से उन्होंने बातचीत की थी, उन्होंने तालिबान के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है या भाग गए हैं. उधर, कतर में चल रही वार्ता भी विफल नजर आ रही है. 

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