
अमेरिका ने वीजा फीस बढ़ोतरी को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है. अमेरिकी सरकार ने H-1B, L-1 और EB-5 जैसे नॉन इमिग्रेंट वीजा की फीस बढ़ा दी है. इन सभी श्रेणियों में भारतीयों को सबसे अधिक वीजा जारी किए जाते हैं. वीजा पर बढ़ी हुई फीस एक अप्रैल 2024 से प्रभावी हो जाएगी.
H-1B वीजा की आवेदन फीस 460 डॉलर से 780 डॉलर कर दी गई है. वहीं, H-1B वीजा का रजिस्ट्रेशन अगले साल दस डॉलर से बढ़कर 215 डॉलर हो जाएगा. L-1 वीजा फीस 460 डॉलर से बढ़कर 1,385 डॉलर कर दी गई है. EB-5 वीजा फीस 3,675 डॉलर से बढ़कर 11,160 डॉलर कर दी गई है.
इस प्रोग्राम को 1990 में अमेरिकी सरकार ने शुरू किया था. इसके तहत उन विदेशी निवेशकों को अमेरिका में स्थायी निवास दिया जाता है, जो वहां कम से कम पांच लाख डॉलर का निवेश करते हैं और कम से कम 10 अमेरिकी लोगों को रोजगार देने में मदद करते हैं. लेकिन यह निवेश अमेरिकी सरकार की अधिकृत एजेंसियों के जरिए से होना चाहिए.
क्या है H1B वीजा?
एच-1बी वीजा एक गैर-प्रवासी वीजा है. एच1बी वीजा आमतौर पर उन लोगों को दिया जाता है जो अमेरिका में काम करने के लिए जाते हैं. दूसरे शब्दों में कहें तो ये वीजा अमेरिकी कंपनियों में काम करने वाले ऐसे कुशल कर्मचारियों को रखने के लिए दिया जाता है जिनकी अमेरिका में कमी है. इसके बाद उसे ग्रीन कार्ड दिया जाता है. इस वीजा की वैलिडिटी छह साल की होती है.
अमेरिकी कंपनियों की डिमांड की वजह से भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स इस वीजा सबसे अधिक हासिल करते हैं. जिन लोगों का एच-1बी वीजा की अवधि खत्म हो जाती है तो वह फिर अमेरिकी नागरिकता के लिए अप्लाई कर सकते हैं. एच-1बी वीजाधारक शख्स अपने बच्चों और पत्नी के साथ अमेरिका में रह सकता है.
क्या है EB-5 प्रोग्राम?
EB-5 प्रोग्राम को 1990 में अमेरिकी सरकार ने शुरू किया था. इसके तहत बहुत अधिक संपत्ति वाले विदेशी निवेशकों को अमेरिका का वीजा दिया जाता है. इसके तहत वे अमेरिकी कारोबार में कम से कम पांच लाख डॉलर निवेश कर सकते हैं.