
पाकिस्तान की सुरक्षा उपकरणों के रखरखाव के लिए की गई आर्थिक सहायता को लेकर अमेरिका ने अपनी ओर से सफाई पेश की है. दरअसल, अमेरिका की पाकिस्तान को मदद से भारत नाखुश बताया जा रहा था, जिस पर अब यूएस ने इस मामले में पक्ष साफ किया है. यूएस असिस्टेंट सेक्रेटरी ऑफ डिफेंस एली रेटनर ने कहा है कि हमने पाकिस्तान की एफ-16 के रखरखाव के लिए आर्थिक मदद भारत के रूस से संबंध होने की वजह से कोई संदेश देने के इरादे से नहीं की है.
गुरुवार को मीडिया के कुछ लोगों और बुद्धिजीवियों के साथ वर्चुअल बातचीत करते हुए एली रेटनर ने आगे कहा कि अमेरिकी सरकार ने यह फैसला पाकिस्तान के साथ डिफेंस पार्टनरशिप में अमेरिकी हितों को देखते हुए किया है. दोनों देशों की पार्टनरशिप आतंकवाद और परमाणु सुरक्षा पर केंद्रित है.
एली रैटलर ने आगे कहा कि यह ऐसा मुद्दा है, जिसपर हमने अपने भारतीय समकक्षों को भी शामिल किया और घोषणा से पहले उन्हें डील की जानकारी भी दी थी. रैटलर ने आगे कहा कि उन्होंने अपने दिल्ली दौरे पर भी इस बात की जानकारी दी थी. रैटनर ने कहा कि वे इस फैसले को लेकर जितना हो सके, उतना पारदर्शी होना चाहते थे, इसी वजह से पहले ही इस बारे में जानकारी भी दी गई.
बता दें कि 7 सितंबर को जो बाइडन प्रशासन की ओर से पाकिस्तान को एफ-16 फाइटर जेट समेत अन्य सुरक्षा उपकरणों ( अमेरिका निर्मित ) के रखरखाव के लिए 450 मिलियन डॉलर की आर्थिक मदद को हरी झंडी दी गई थी. अमेरिका ने कहा था कि इस प्रोग्राम के तहत सिर्फ सुरक्षा उपकरणों के मेंटेनेंस के लिए पैसा दिया गया है, इसमें किसी भी तरह का नया हथियार नहीं शामिल है.
रूस को सलाह पर पीएम मोदी की तारीफ
वहीं एली रैटनर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को एससीओ मीटिंग के दौरान द्विपक्षीय मुलाकात में यूक्रेन से युद्ध रोकने को लेकर दी गई सलाह की भी तारीफ की. एली रैटनर ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी ने रूसी राष्ट्रपति से जो कहा, हमें वह अच्छा लगा.
बता दें कि उज्बेकिस्तान में एससीओ मीटिंग के दौरान जब पीएम मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बातचीत करते हुए कहा था कि यह युद्ध का दौर नहीं है और सब शांति चाहते हैं. पीएम मोदी की बात पर पुतिन ने कहा था कि वे भी चाहते हैं कि यूक्रेन से युद्ध जल्द समाप्त हो.
रूस और भारत के संबंधों पर नरमी
एली रैटनर ने साफ करते हुए कहा दिया कि भारत और रूस के संबंधों की वजह से भारत पर दबाव डालने के लिए पाकिस्तान की मदद नहीं की गई. अमेरिका ने भारत और रूस के जिन संबंधों की बात की हैं, उनमें सबसे ज्यादा भारत और रूस में तेल की डील है.
दोनों देशों के बीच यह डील उस समय हुई, जब दुनिया में यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध छिड़ा हुआ है और अमेरिकी समेत कई पश्चिमी देशों ने युद्ध न रोकने की वजह से रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं. ऐसे में भारत ने बिना किसी परवाह किए रूस से सस्ते दाम पर तेल की डील की और सप्लाई भी शुरू हो गई. अमेरिका ने इस बात पर नाराजगी भी जताई और कहा कि भारत के ऐसा करने से रूस पर लगे पश्चिमी प्रतिबंध कमजोर पड़ जाएंगे.
भारत ने इस मामले में अमेरिका की आपत्ति को लेकर कहा कि अपने देशवासियों के हितों में फैसले लेने में भारत पूरी तरह सक्षम है. भारत जो भी फैसला करता है, वह अपने लोगों के हितों को देखते हुए करता है.
भारत की रूस पर निर्भरता कम करना चाहता है अमेरिका
भारत और रूस के कई क्षेत्रों में मजबूत कारोबारी संबंध हैं. खासतौर पर दोनों देशों के बीच हथियारों की खरीदारी और ऊर्जा क्षेत्र में बड़ा व्यापार है. ऐसे में अमेरिका अब रूस पर भारत की निर्भरता कम करने की कोशिश कर रहा है.
अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा है कि भारत की रूस पर निर्भरता कम करने के लिए अमेरिका नए विकल्प देने में भारत की मदद करना चाहता है. अमेरिका ने कहा कि भारत अब रूस पर काफी ज्यादा निर्भर है, पिछले 40 सालों में भारत ने खुद ही रूस पर अपनी निर्भरता बढ़ाई है. लेकिन भारत को यह समझना चाहिए कि नए बाजारों में भी अच्छे लाभ का मौका है.