
कश्मीर मुद्दे पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इंटरनेशनल झूठ से पूरी दुनिया में खलबली मच गई है. दरअसल, वॉशिंगटन डीसी में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ मुलाकात के दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि भारत ने कश्मीर मुद्दे पर उनसे मध्यस्थता की अपील की है और इसके लिए तैयार है. हालांकि भारतीय विदेश मंत्रालय ने फौरन डोनाल्ड ट्रंप के दावे का खंडन कर दिया.
विदेश मंत्रालय ने साफ किया कि भारत ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से ऐसी कोई अपील नहीं की है. इसका मतलब यह हुआ कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप कश्मीर मुद्दे पर सफेद झूठ बोल रहे हैं. यह पहला मौका नहीं है, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने झूठ बोला हो और विवादित बयान दिया हो. डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के ऐसे अमेरिकी राष्ट्रपति हैं, जिनके नाम झूठ बोलने का रिकॉर्ड है.
अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट के फैक्ट चेकर्स डेटाबेस के मुताबिक डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के बाद से अब तक 10 हजार 796 बार झूठ बोल चुके हैं. इतना ही नहीं, अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के बाद से ट्रंप ने औसतन रोजाना 12 बार झूठ बोला. वॉशिंगटन पोस्ट के फैक्ट चेकर्स डेटाबेस का कहना है कि अगर अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप का कोई बयान संदिग्ध लगा, तो उसकी पड़ताल की गई. इसमें ट्रंप के ज्यादातर बयान झूठे पाए गए.
डोनाल्ड ट्रंप ने मैक्सिको की दीवार बनाने के फंड की मंजूरी के लिए भी कई झूठे दावे किए. इसके अलावा उन्होंने कारोबार और अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में रूस के दखल के मुद्दे पर भी कई बार झूठ बोला. वॉशिंगटन पोस्ट के फैक्ट चेकर्स डेटाबेस के मुताबिक अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने झूठे दावे को कई बार दोहराया भी.
आपको बता दें कि सोमवार को पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की थी. इस दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत और पाकिस्तान के रिश्तों को सुधारने के लिए पहल करने की बात कही थी. इस बीच ट्रंप ने यह भी दावा किया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनसे कहा था कि वो (ट्रंप) कश्मीर विवाद के निपटारे में मदद करें और उन्हें मध्यस्थता करने में खुशी होगी. हालांकि व्हाइट हाउस द्वारा ट्रंप और इमरान की मुलाकात को लेकर जारी प्रेस रिलीज में ट्रंप के कश्मीर के संबंध में बयान का जिक्र नहीं है.
वहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस दावे का भारतीय विदेश मंत्रालय ने पूरी तरह से खंडन किया है. विदेश मंत्रालय ने कहा कि कश्मीर के मुद्दे पर भारत पाकिस्तान के साथ सिर्फ द्विपक्षीय बातचीत कर सकता है. कश्मीर पर भारत अपने पहले के रुख पर बरकरार है और तीसरी पार्टी को हस्तक्षेप नहीं करने देगा.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा, 'हमने अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की टिप्पणी देखी कि अगर भारत और पाकिस्तान कश्मीर के मुद्दे पर अपील करते हैं, तो वो मध्यस्थता के लिए तैयार हैं. पीएम मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से ऐसी कोई अपील नहीं की है. भारत अपने रुख पर अडिग है.'
उन्होंने कहा, 'पाकिस्तान के साथ सभी लंबित मुद्दों पर सिर्फ द्विपक्षीय बातचीत की जा सकती है. पाकिस्तान से बातचीत भी तब होगी, जब वह सीमा पार आतंकवाद को बंद करेगा. शिमला समझौता और लाहौर घोषणा भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय रूप से सभी मुद्दों को सुलझाने का आधार हैं.'