
किसी भी समाज के बदलाव को समझना है तो वक्त की सुई को थोड़ा पीछे ले जाना होता है. अमेरिकी समाज में आज वाइन और लिकर यानी शराब को भले ही खाने-पीने के अन्य सामानों की तरह सामान्य पेय पदार्थ के रूप में देखा जाता हो लेकिन इतिहास में जाने पर काफी रोचक जानकारी मिलती है. क्या आज कोई कल्पना भी कर सकता है कि अमेरिका में कभी शराबबंदी हुई थी और वो भी एक-दो महीने के लिए नहीं, बल्कि पूरे 13 साल तक. उस दौरान शराब के प्रचलन के खिलाफ अमेरिकी समाज में ऐसी जंग छिड़ी थी जिसकी सच्चाइयां जानकर किसी का भी दिल दहल जाए.
बात साल 1920 की है. पहला विश्व युद्ध खत्म हुए दो साल बीत चुके थे. अमेरिका पहले विश्वयुद्ध में भले ही खुद शामिल नहीं था लेकिन औद्योगिकरण तेजी से बढ़ रहा था और ऐसे में अमेरिका गाड़ियों और हथियारों का निर्माण कर जंग में शामिल यूरोपीय देशों को तेजी से सप्लाई कर रहा था. कमाई बढ़ी तो देश में कल-कारखाने भी बढ़ने लगे लेकिन समाज में टकराव बढ़ रहा था. एक तरफ सामंत तो दूसरी ओर अफ्रीकी गुलाम, एक तरफ कैथोलिक ईसाई तो दूसरी ओर प्रोटेस्टेंट, एक तरफ अमीर उद्योगपति तो दूसरी ओर फैक्ट्री मजदूर... संपन्नता बढ़ रही थी तो सामाजिक टकराव भी. इसी बीच राष्ट्रपति वूड्रो विल्सन ने 17 जनवरी 1920 को पूरे अमेरिका में शराबबंदी का ऐलान कर दिया. जनता में इस फैसले से खलबली मची. दूसरी ओर शराब के अवैध धंधे को पनपने का मौका मिल गया. अकूत धन देने वाले अवैध धंधे ने एक और शक्ति केंद्र माफिया को जन्म दे दिया जो खुद को समाज को कंट्रोल करने के एक पावर सेंटर के रूप में देखने लगा.
कैसे शुरू हुई थी शराबबंदी की मुहिम?
अमेरिका समाज में शराब के प्रसार के इतिहास को समझने के लिए और भी पीछे जाना होगा जब वहां ब्रिटिश राज था. ब्रिटिशर्स के पीछे-पीछे अमेरिका आए आयरिश और जर्मन लोग शराब बनाने के लिए जाने जाते थे लेकिन पीने वाले स्थानीय अमेरिकी थे. बीयर के बड़े-बड़े बैरल भरकर यूरोप से अमेरिका आने लगे और क्या खेतिहर मजदूर और क्या फैक्ट्री मजदूर सब छक कर पीने लगे. जिस दौर में जॉर्ज वॉशिंगटन अमेरिका के लिए स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ रहे थे उस दौर में हर फौजी को रोज आधा गिलास रम या व्हिस्की का राशन मिलता था. यहां तक कि डॉक्टर प्रिस्क्रिप्शन में शराब की डोज लिखने लगे थे, खेतिहर मजदूर अपने घरों के बाहर बीयर के बैरल रखते थे ताकि लौटते ही मग भरकर पी सकें. मछुआरे चोरी-छुपे अवैध शराब अपने जूतों में छुपा कर भी बेचते और तभी शब्द जन्मा- बूटलेगर यानी अवैध शराब बेचने वाला.
कोल्ड वॉटर आर्मी की शुरुआत
अमेरिका में दास प्रथा को लेकर विरोध हो रहा था तो शराब की प्रथा के लिए खिलाफ भी आवाज उठने लगी. यह लहर चलने लगी कि यह हमारी अमेरिकी संस्कृति नहीं है, यह बाहर के लोग लाए हैं. इसकी शुरुआत 'वाशिंगटोनियन' नामक समूह ने की थी. उन्होंने एक नुक्कड़ नाटक खेला- 'टेन नाइट्स इन अ बार-रूम'. जिसमें शराब के नशे में धुत्त एक पिता को घर बुलाने एक बच्ची आती है, और वह खुद शराब के नशे में धुत्त होकर गिर जाती है. इस पर बाद में फिल्म भी बनी. समाज में अब लोग आपस में बैठकर अपने शराब पीने के बुरे अनुभव शेयर करते. इस कॉन्सेप्ट को 'अल्कोहल अनोनिमस' समूह ने अपनाया. स्कूली बच्चों तक ने शराब-विरोधी समूह बना लिया जिसें नाम दिया गया- कोल्ड वॉटर आर्मी.
महिलाओं का शराब-विरोधी सत्याग्रह
इसमें सबसे महत्वपूर्ण रहा महिलाओं का सत्याग्रह. उस समय के अमेरिकी समाज में महिलाएं घरेलू काम-काज ही देखती थीं. बच्चे भी 7-8 होते थे, राजनीति में भी महिलाओं की कोई दखल नहीं थी. पति नशे में धुत्त शराबखानों में पड़ा हुआ है और पत्नियां बच्चों और घर की जिम्मेदारियां संभाल रही हैं. आम घरों में इससे कलह तेज हो रहा था. एलीजा जॉन थॉमसन और सेंट फ्रांस विलॉर्ड जैसी महिलाओं ने शराब के खिलाफ बड़ी मुहिम छेड़ी. वे शराब की दुकानों के सामने बैठकर प्रार्थना करतीं. शहर-दर-शहर महिलाओं की टोलियां ये सत्याग्रह करने लगीं. बच्चों की किताबों तक में शराब के दुर्गुणों के बारे में जानकारियां छपवाई गईं. इन महिलाओं में कईयों पर हमले भी हुए और कुछ को पकड़ कर शराब से नहला देने जैसी घटनाएं भी हुईं.
हिंसक विरोध
देश में शराबखाने बढ़ते ही जा रहे थे. बीसवीं सदी की शुरुआत तक अमेरिका में तीन लाख वैध और लाखों अवैध शराबखाने खुल चुके थे. लोग शराबखानों में ही बिजनेस मुलाकातें करतें और जमकर चर्चा-परिचर्चा होती. बार टेंडर खाने में जान-बूझकर ज्यादा नमक डालते ताकि लोग खूब बीयर पीएं. शराब के खिलाफ सत्याग्रह हिंसक होता जा रहा था. कैरी नेशन नामक एक अधेड़ महिला एक हाथ में कुल्हाड़ी लिए निकलती और बार में घुसकर सभी बोतल-शीशे तोड़कर आ जातीं. उनको जेल में बंद किया जाता लेकिन छूटते हीं वो फिर कुल्हाड़ी लेकर निकल जातीं. उनकी देखा-देखी कई और महिलाएं भी कुल्हाड़ी लेकर बार में तोड़फोड़ करने लगीं.
फिर आया शराबबंदी का कानून...
शराब से सरकार को मोटा पैसा मिलता. यह अमेरिका का पांचवां सबसे बड़ा उद्योग था. शराब सरगना कई सीनेटरों के अपनी जेब में होने का दावा तक करने लग गए थे. बंदी के लिए दबाव बढ़ा तो सरकार ने सोचा कि टैक्स बढ़ा दिया जाए और शराबबंदी कर दी जाए. हेनरी फोर्ड और कार्नेगी जैसे पूंजिपतियों ने शराबबंदी का समर्थन किया क्योंकि उनकी फैक्ट्रियों के मजदूर शराब के नशे में धुत्त रहने लगे थे. फाइनल चोट लगी पहले विश्वयुद्ध में जब अमेरिका के खिलाफ जर्मनों ने मोर्चा खोल दिया. अब जर्मन संस्कृति के खिलाफ अमेरिकी खड़े हो गए. जर्मन शराब की दुकानों को अमेरिका भर में तोड़ा जाने लगा, जर्मन टेक्स्ट बुक जलाई गईं, जर्मन-अमेरिकियों पर हमले हुए. जर्मन शराब बंदी के खिलाफ मुहिम शुरू हुई तो बाकी शराब के खिलाफ भी मोर्चे खुल गए. हजारों महिलाओं ने शराब के खिलाफ वॉशिंगटन में मार्च किया. आखिरकार राजनीतिक बिरादरी ने भी सख्ती की ठानी और संसद में कानून के लिए जरिए शराबबंदी लागू कर दी गई.
वूड्रो विल्सन की सरकार ने इसे कानूनी रूप दिया. 68 फीसदी सुपर मेजॉरिटी से 1919 में 18वां संशोधन सीनेट से पास हुआ. 48 में से 46 राज्यों ने इसे मंजूरी दी. कुछ खास तरह के अल्कोहल जैसे कि धार्मिक आयोजनों के लिए जरूरी और मेडिकल अल्कोहल को इससे छूट दी गई. कई राज्यों में कानून और ज्यादा सख्ती से लागू की गई. इस निषेध के दौरान शराब पीना गैरकानूनी नहीं था लेकिन नशीली शराब के निर्माण, बिक्री और परिवहन पर रोक लगाई गई थी, उनके सेवन पर नहीं. कानून के अनुसार, जनवरी 1920 में अमेरिकियों ने जो भी शराब, बीयर या स्पिरिट्स जमा की थी, वह उनके पास थी और वे अपने घरों में उसका आनंद ले सकते थे.
'खास' छूट ने बिगाड़ा गेम!
अधिकांश लोगों के लिए, यह केवल कुछ बोतल थीं, लेकिन कुछ अमीर शराब पीने वालों ने विशाल शराब तहखाने बनाए और यहां तक कि शराब की दुकानों के पूरे स्टॉक को खरीद लिया ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उनके पास वैध शराब का पर्याप्त भंडार हो. कुछ राज्यों ने निषेध लागू करने से इनकार भी कर दिया. दवा की दुकानें शराब को 'दवा' के रूप में बेचती रहीं. हालांकि, छूट का भी कई जगहों पर लाभ उठाने के लिए लोगों ने अजीब-अजीब काम किए. धार्मिक उद्देश्यों के लिए पवित्र शराब की अनुमति अभी भी थी तो संदिग्ध रब्बियों और धार्मिक लोगों की संख्या अचानक बढ़ने लगी. वहीं दवा की दुकानों को दांत दर्द से लेकर फ्लू तक हर चीज के इलाज के लिए 'औषधीय व्हिस्की' बेचने की अनुमति थी.
एक चिकित्सक के पर्चे के साथ 'रोगी' कानूनी रूप से हर 10 दिन में एक पिंट हार्ड शराब खरीद सकते थे. अवैध धंधे के बावजूद कई जगहों पर शराब की खपत में काफी कमी आई. एमआईटी और बोस्टन विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्रियों द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार इस दौरान के शुरुआती वर्षों के दौरान शराब की खपत 70 प्रतिशत तक कम हो गई थी लेकिन धीरे-धीरे राज्यों में सख्ती कम होती गई और फिर शराब की खपत बढ़ने लगी.
दूसरी ओर, अवैध रूप से शराब बेचने वाले गिरोह सक्रिय हो गए. शिकागो में गोलियां चलीं. अल कपोन, जॉन टोरियो जैसे माफिया के गॉडफादर पैदा हो गए जो शराब के धंधे से अकूत धन कमाकर सियासत में दखल देने लगे. इसी समय आर्थिक मंदी ने अमेरिका को घुटनों पर ला दिया. उद्योग-धंधे चौपट हो गए. फैक्ट्री मजदूर बेकार हो गए. आर्थिक मंदी से निपटने के लिए अमेरिकी बेचैन थे. राष्ट्रपति हूवर की जगह रूजवेल्ट ने सत्ता संभाली तो शराबबंदी को खत्म करने का ऐलान कर दिया गया.
महामंदी ने शराब वापसी का खोला रास्ता!
1920 के दशक के अंत तक, अमेरिकी लोग ब्लैक-मार्केट शराब पर पहले से कहीं ज़्यादा पैसे खर्च कर रहे थे. न्यूयॉर्क शहर में 30,000 से ज़्यादा स्पीकीज़ थे, और अर्थव्यवस्था में योगदान के मामले में डेट्रॉइट का शराब व्यापार ऑटो उद्योग के बाद दूसरे नंबर पर था. महामंदी के दौर में देश के डूब जाने के बाद, निषेध-विरोधी कार्यकर्ताओं ने तर्क दिया कि शराब से संभावित बचत और कर राजस्व को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता. जनता इस बात से सहमत थी.
1932 के राष्ट्रपति चुनाव अभियान के दौरान फ्रेंकलिन डी. रूजवेल्ट ने शराबबंदी को निरस्त करने का आह्वान किया, जिसके बाद उन्होंने भारी मतों से चुनाव जीता. एक साल बाद बैन समाप्त हो गया जब अधिकांश राज्यों ने 18वें संशोधन को निरस्त करते हुए 21वें संशोधन को मंजूरी दे दी. न्यू ऑरलियन्स में, इस निर्णय का सम्मान 20 मिनट तक जश्न मनाने के लिए तोपों से किया गया. माना जाता है कि रूजवेल्ट ने इस अवसर पर डर्टी मार्टिनी पीकर जश्न मनाया था. और इस तरह अमेरिका में 13 साल से चल रहे शराबबंदी के युग का अंत हो गया.
हालांकि, इतने दशकों बाद अब अमेरिका में अल्कोहल बैन जैसी चर्चा नहीं होती लेकिन कई स्थानीय सरकारों ने सीमित मात्रा में बैन लगा रखा है या कम से कम बिक्री और बनाने को लेकर हेल्थ कंट्रोल लागू कर रखा है. साल 2014 में अमेरिकी न्यूज एजेंसी सीएनएन के एक सर्वे में ये तथ्य सामने आया था कि 18 फीसदी अमेरिकी लोग मानते हैं कि शराब पीने पर बैन होना चाहिए.