
ईरान के खिलाफ परमाणु प्रतिबंध न लगाने पर अमेरिका राजी हो गया है. लेकिन अमेरिकी अधिकारियों ने चेतावनी दी कि यह आखिरी बार होगा जब वह इस तरह की छूट को जारी करेगा. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप फिलहाल इस पर सहमत हो गए हैं, लेकिन उनके सामने 60 दिन बाद फिर ये मामला लाया जाएगा.
अमेरिकी ट्रेजरी ने कंपनियां पर प्रतिबंध
बता दें जिस समय ईरान पर परमाणु प्रतिबंधों को ना लगाने की घोषणा ट्रंप प्रशासन ने की, उसी समय अमेरिकी ट्रेजरी ने ईरान की 14 कंपनियों और लोगों पर बैन लगा दिए. अमेरिका का रुख अब भी सख्त नजर आ रहा है. एक वरिष्ठ व्हाइट हाउस के अधिकारी ने कहा, ट्रंप चाहते हैं कि वाशिंगटन के यूरोपीय सहयोगी 60 दिनों की इस छूट की अवधि का इस्तेमाल ईरान के खिलाफ कठोर कदम उठाने पर सहमति बनाने के लिए करें.
आखिरी बार किया माफ
वाइट हाउस के एक अधिकारी ने कहा कि ईरान के परमाणु समझौते में बने रहने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति ने यह कदम उठाया है. हालांकि उन्होंने कहा कि ट्रंप ने अपने बयान में यह भी साफ किया है कि वह आखिरी बार प्रतिबंधों को माफ कर रहे हैं. अधिकारी ने बताया कि ट्रंप इस मुद्दे पर अब अपने यूरोपियन सहयोगी देशों के साथ काम करना चाहते हैं जिन्होंने ईरान समझौते को बदलने के लिए एक नया समझौता करने के लिए आग्रह किया.
ईरान चर्चाओं में नहीं होगा शामिल
आपको बता दें कि तेहरान इन चर्चाओं में शामिल नहीं होगा, क्योंकि यह 2015 समझौते पर हस्ताक्षर करने से पहले था, कि अगर यह नई व्यवस्था की शर्तों को तोड़ता है तो अमेरिका और यूरोपीय प्रतिबंधों के अधीन होगा. यह नया सौदा, स्थायी होगा और 2015 के समझौते के मामले में एक दशक के बाद समाप्त होने की संभावना नहीं होगी.
यह ईरान के मिसाइल कार्यक्रम को लक्षित करेगा, न कि केवल परमाणु उद्योग, और यह ईरानी साइटों के संयुक्त राष्ट्र निरीक्षण को जनादेश देगा.
अधिकारी ने कहा कि यदि वह समझौता उस समझौते से प्राप्त कर सकता है जो उसके उद्देश्य से मिलते हैं और यह कभी समाप्त नहीं हो जाता है, तो वह ईरान को 10 वर्षों तक परमाणु हथियारों के लिए सभी मार्गों को हमेशा से नकार देने से इनकार करता है, वह इस तरह के एक संशोधित समझौते में शेष रह जाएगा.