
अमेरिका ने शनिवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव का एक मसौदा पेश किया, जिसमें कहा गया है कि इजरायल को अपनी आत्मरक्षा करने का अधिकार है. इसमें ईरान से मांग की गई है वह "पूरे क्षेत्र में शांति और सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करने वाले उग्रवादी और आतंकवादी समूहों" को हथियार देना बंद कर दे.
इसमें कहा गया है कि आतंकवादी हमलों का जवाब देते समय अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन करना चाहिए, और गाजा पट्टी में जरूरी सामान की डिलीवरी निर्बाध और निरंतर तरीके से पहुंचती रहे.
मसौदे पर होगी वोटिंग?
हालांकि अभी यह साफ नहीं हो सका है कि अमेरिका ने मसौदा प्रस्ताव को मतदान के लिए रखने की योजना बनाई है या नहीं. किसी भी प्रस्ताव के पारित होने के लिए इसके पक्ष में कम से कम नौ वोटों की आवश्यकता होती है और रूस, चीन, अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन द्वारा कोई वीटो नहीं करना होता है. अमेरिका का यह कदम बुधवार को ब्राजीलियाई-मसौदे वाले उस मसौदे को वीटो करने के बाद आया है, जिसमें ग़ाज़ा में लाखों ज़रूरतमन्दों तक जीवनरक्षक सहायता पहुंचाने के लिए मानवीय आधार पर ठहराव की बात कही गई थी.
इसमें गाजा तक सहायता पहुंच की अनुमति देने के लिए इजरायल और फिलिस्तीनी हमास लड़ाकों के बीच संघर्ष में मानवीय कदम उठाने का आह्वान किया गया था.
ये भी पढ़ें: 'मैं एक जियोनिस्ट हूं', इजरायल-हमास जंग के बीच नेतन्याहू से बोले अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन
अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने बुधवार के वीटो को उचित ठहराते हुए कहा कि परिषद को जमीन पर कूटनीति के लिए अधिक समय की आवश्यकता है क्योंकि राष्ट्रपति जो बाइडेन और राज्य सचिव एंटनी ब्लिंकन ने इस क्षेत्र का दौरा किया और यह दौरा गाजा तक सहायता पहुंचाने और बंधकों को मुक्त कराने की कोशिश पर केंद्रित रहा. इससे पहले हमास ने शुक्रवार को दो अमेरिकी बंधकों को रिहा कर दिया और पहला मानवीय सहायता काफिला शनिवार को मिस्र से गाजा पहुंचा.
आत्मरक्षा को लेकर छिड़ी बहस
अमेरिकी मसौदा प्रस्ताव में मांग की गई है कि ईरान हमास सहित पूरे क्षेत्र में शांति और सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करने वाले समूहों को हथियार भेजना बंद कर दे. संयुक्त राष्ट्र में ईरान के मिशन इस मसौदे को लेकर अभी तक कोई जवाब या प्रतिक्रिया नहीं दी है. यह बात किसी से छिपी नहीं है कि ईरान ने हमास को समर्थन देने के अलावा एक अन्य फिलिस्तीनी आतंकवादी संगठन इस्लामिक जिहाद को भी वित्तीय मदद और हथियार देता है. संयुक्त राष्ट्र में ईरान के मिशन ने 8 अक्टूबर को कहा कि इज़रायल पर हुए हमास के हमले में तेहरान शामिल नहीं था.
थॉमस-ग्रीनफ़ील्ड ने कहा कि अमेरिका इस बात से निराश है कि ब्राज़ीलियाई मसौदे में इजरायल के आत्मरक्षा के अधिकार का उल्लेख नहीं किया गया है. अमेरिकी मसौदे कहा गया है कि संस्थापक संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद 51 के तहत इजरायल के पास ऐसा अधिकार है. अनुच्छेद 51 सशस्त्र हमले के खिलाफ आत्मरक्षा के लिए देशों के व्यक्तिगत या सामूहिक अधिकार को शामिल करता है.
ये भी पढ़ें: Exclusive: हमले की 4 साल से तैयारी कर रहा था हमास, जानिए इजरायल पर अटैक की इनसाइड स्टोरी
हमास के हमले के उसी दिन भेजे गए एक पत्र में, इज़रायल ने परिषद से कहा कि 'वह गाजा पट्टी से चल रहे आतंकवादी हमलों से अपने नागरिकों और संप्रभुता की रक्षा के लिए किसी भी तरह से आवश्यक कार्रवाई करेगा.' लेकिन राजनयिकों ने कहा कि ऐसा नहीं लगता है कि औपचारिक रूप से अनुच्छेद 51 को लागू किया गया है. अरब देशों ने तर्क दिया है कि इजरायल आत्मरक्षा के रूप में अपने कृत्य को उचित नहीं ठहरा सकता है.
7 अक्टूबर को हुई जंग की शुरूआत
आपको बता दें कि इजरायल ने हमास को खत्म करने की कसम खाई है. सात अक्टूबर को हमास के लड़ाकों ने इजरायल में जल, थल और नभ से हमला करते हुए कई इजरायली शहरों में जमकर खूनी खेल खेला और सैकड़ों लोगों को मौत के घाट उतार दिया. अभी तक इस हमले की वजह से 1,400 से ज्यादा इजरायली नागरिक मारे जा चुके हैं, और 200 से अधिक नागरिक हमास द्वारा बंधक बनाए गए हैं.
हमास की इस हरकत का इजरायल ने मुंहतोड़ जवाब दिया और गाजा पट्टी पर ताबड़तोड़ मिसाइल दागकर हमास के कई ठिकाने ध्वस्त कर दिए. फ़िलिस्तीनी अधिकारियों का कहना है कि गाजा में 4,000 से अधिक लोग मारे गए हैं. संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि दस लाख से अधिक लोग बेघर हो गए हैं.
ये भी पढ़ें: अमेरिका-यूरोप का प्रेशर या फिर... गाजा पट्टी में ग्राउंड ऑपरेशन क्यों शुरू नहीं कर रहा इजरायल?
अमेरिकी ड्राफ्ट (मसौदे) में लड़ाई में किसी भी तरह के ठहराव या संघर्षविराम का आह्वान नहीं किया गया है. इसमें सभी से "गाजा में हिंसा रोकने या इसके अन्य क्षेत्रों में फैलने से रोकने का प्रयास करने का आह्वान किया गया है, जिसमें हिज्बुल्ला और अन्य सशस्त्र समूहों द्वारा किए जा रहे सभी हमलों को तत्काल रोकने की मांग भी शामिल है." लेबनान और ईरान समर्थित हिज्बुल्ला के पास भारी संख्या में हथियार हैं और यह समूह 7 अक्टूबर के बाद से कई बार लेबनानी सीमा पर इज़रायल के साथ भिड़ चुका है.