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भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रूस में जो कहा, उस पर अमेरिका की टिप्पणी चर्चा में

यूक्रेन जंग के बीच रूस की यात्रा पर गए भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर के दौरे को लेकर अमेरिकी विदेश विभाग की प्रतिक्रिया आई है. नेड प्राइस ने कहा कि रूस को भारत का युद्ध समाप्त केलिए कूटनीति और बातचीत का संदेश सुनना चाहिए.

फोटो- विदेश मंत्री एस जयशंकर फोटो- विदेश मंत्री एस जयशंकर
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 09 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 3:43 PM IST

रूस और यूक्रेन में छिड़ी जंग के बीच भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर दो दिवसीय रूस दौरे पर हैं. एस जयशंकर की मॉस्को यात्रा को लेकर अमेरिका ने भी प्रतिक्रिया दी है. अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि रूस को खासतौर पर भारत जैसे देशों से कूटनीति और बातचीत का संदेश सुनना चाहिए. 

नेड प्राइस ने भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव की मुलाकात को लेकर कहा कि, ''पिछले कुछ महीनों में भारत के विदेश विभाग से हमारी कई बार बातचीत हुई है. कुछ महीने पहले ही अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन की एस जयशंकर से मुलाकात हुई थी.''  

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नेड प्राइस ने कहा कि, रूस के लिए एस जयशंकर का संदेश भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उस सलाह से अलग नहीं है जो उन्होंने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को थी. पीएम मोदी ने समरकंद में व्लादिमीर पुतिन से कहा था कि यह युद्ध का दौर नहीं है. नेड प्राइस ने आगे कहा कि भारत ने फिर यह बात दोहराई है कि वह इस जंग के खिलाफ है. 

यूक्रेन में खून खराबे का अंत चाहता है भारत

नेड प्राइस ने कहा कि भारत यूक्रेन और रूस के युद्ध का हल बातचीत और कूटनीति के जरिए देखना चाहता है. प्रवक्ता ने आगे कहा कि भारत यूक्रेन में रूस की ओर से किए गए खून खराबे का अंत देखना चाहता है. 

यूक्रेन और रूस के युद्ध में भारत की भूमिका की अहमियत को लेकर नेड प्राइस ने कहा कि सभी देशों से रूस को यह संदेश सुनना चाहिए. खासतौर जरूरी है कि रूस इस संदेश को भारत जैसे देशों से सुने. 

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भारत के रूस से तेल खरीदने पर यूएस का बयान
मॉस्को में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत रूस से तेल खरीदना जारी रखेगा. ऐसे में अमेरिकी प्रवक्ता नेड प्राइस ने इस मामले में यूएस का पक्ष दोहराते हुए कहा कि सामूहिक हितों को देखते हुए भारत को रूस पर अपनी निर्भरता कम करनी चाहिए. लेकिन यह मामला भारत और रूस के द्विपक्षीय हित से जुड़ा है.

नेड प्राइस ने आगे कहा कि देशों को यह समझना चाहिए कि रूस ना तो ऊर्जा के मामले में विश्वसनीय है और ना ही सुरक्षा उपकरणों की सप्लाई के मामले में. उन्होंने आगे कहा कि रूस किसी भी क्षेत्र में भरोसेमंद नहीं है.

नेड प्राइस ने आगे कहा कि यह बेशक यूक्रेन के हित में नहीं है, लेकिन सामूहिक हित में जरूर है, इसलिए भारत को रूस पर अपनी निर्भरता कम करनी चाहिए. 

नेड प्राइस ने रूस से व्यापार करने वाले कुछ देशों को प्रतिबंधों में छूट के सवाल का भी जवाब दिया. नेड प्राइस ने कहा कि रूस पर प्रतिबंधों के बावजूद अमेरिका ने गैस और तेल के मामले में छूट दी हुई है. भारत को ऊर्जा की काफी जरूरत है, इसलिए वह रूस से लगातार तेल खरीद रहा है. इसमें कुछ भी ऐसा नहीं है जिससे प्रतिबंधों का उल्लंघन होता हो. 

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नेड प्राइस ने कहा कि अमेरिका पहले ही साफ कर चुका है कि यह समय रूस के साथ कारोबार करने के लिए नहीं है. इसलिए जो भी देश रूस पर निर्भर हैं, उन्हें रूस के साथ अपने आर्थिक संबंधों को कम करना चाहिए.

रूस में एस जयशंकर और सर्गेई लावरोव की मुलाकात
मंगलवार को मॉस्को में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर और रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव की मुलाकात हुई. इस दौरान दोनों की द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और साझा हितों वाले वैश्विक मुद्दों पर बातचीत की. 

यूक्रेन विवाद पर भारत की स्थिति को लेकर एस जयशंकर ने एससीओ मीटिंग में पीएम मोदी की कही बात को दोहराया. एस जयशंकर ने कहा कि जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से कह चुके हैं कि यह युद्ध का दौर नहीं है. एस जयशंकर ने आगे कहा कि सभी देशों की अर्थव्यवस्थाएं एक दूसरे पर इतनी निर्भर हैं कि कोई भी युद्ध के असर से नहीं बच सकता है.

पुतिन को एससीओ मीटिंग में पीएम मोदी ने दिया था संदेश
सितंबर में उज्बेकिस्तान के समरकंद में आयोजित एससीओ (Shanghai Cooperation Organization) मीटिंग में पीएम मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से कहा था कि, ''आज का दौर, युद्ध का दौर नहीं है. हमने फोन पर भी इस मुद्दे पर बात की है कि लोकतंत्र, कूटनीति और बातचीत के जरिए ही हल निकाला जाएगा. ''

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वहीं फोन पर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से पीएम नरेंद्र मोदी की कई बार बात हुई. हर बार पीएम मोदी ने दोनों देश के नेताओं को शांति स्थापित करने और बातचीत और कूटनीति के जरिए हल निकालने की सलाह दी है.

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