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पाकिस्तान को अमेरिकी सांसदों ने चेताया- जवाबी कार्रवाई जैसा कुछ न करें

वाशिंगटन डीसी में अमेरिकी सांसदों ने पाकिस्तान को आगाह किया है कि वह भारत के खिलाफ जवाबी कार्रवाई जैसा कोई कदम नहीं उठाए.

पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी
गीता मोहन
  • नई दिल्ली,
  • 09 अगस्त 2019,
  • अपडेटेड 12:30 AM IST

  • घुसपैठियों को शह देना बंद करने को कहा
  • आंतकवाद के खिलाफ कदम उठाने की दी हिदायत
भारत की ओर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने से तिलमिलाए पाकिस्तान ने गुरुवार को भी अपना ‘राजनयिक हो-हल्ला’ जारी रखा. पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने इस्लामाबाद में विदेशी मिशनों के प्रमुखों, राजदूतों और विशिष्ट राजनयिकों को अपनी सरकार के रुख से अवगत कराया. कुरैशी ने जो कुछ कहा, उसका निचोड़ यही था कि भारत का यह कदम कश्मीर मुद्दे की ‘विवादित स्थिति’ को ‘बदलने’ की कोशिश है.   

इस बीच, वाशिंगटन डीसी में अमेरिकी सांसदों ने पाकिस्तान को आगाह किया है कि वह भारत के खिलाफ जवाबी कार्रवाई जैसा कोई कदम नहीं उठाए. उधर, न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की दूत मलीहा लोधी ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के एक शीर्ष सहयोगी से मुलाकात की. साथ ही संयुक्त राष्ट्र प्रमुख से कश्मीर में अपनी भूमिका निभाने की गुहार लगाई.

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लोधी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्ष जोआना रोनेका से भी मिलीं. इस मुलाकात में लोधी ने भारत की कार्रवाई को कश्मीरियों की गरिमा पर बड़ा हमला बताया.

अमेरिकी संसद में हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी के चेयरमैन इलियट एल एन्जेल और सीनेट फॉरेन रिलेशन्स कमेटी के सदस्य और सीनेटर बॉब मेनेन्डेज ने साझा बयान में कहा है, “पारदर्शिता और राजनीतिक भागीदारी प्रतिनिधि लोकतंत्रों के आधार हैं, हम उम्मीद करते हैं कि भारत सरकार जम्मू और कश्मीर में इन सिद्धांतों का पालन करेगी. साथ ही पाकिस्तान को किसी जवाबी कार्रवाई से बचना चाहिए. इसमें नियंत्रण रेखा के पार से घुसपैठियों को समर्थन देना भी शामिल है. साथ ही पाकिस्तानी जमीन से आतंकी ढांचे को ध्वस्त करने के लिए ऐसी कार्रवाई करे जो सभी को दिखाई दे.  

यह साझा बयान ऐसे समय में आया है, जब जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक को लागू करने के भारत के फैसले के खिलाफ इस्लामाबाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय का अधिक से अधिक ध्यान खींचने की कोशिश कर रहा है.

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अंतरराष्ट्रीय समुदाय के अधिकतर हिस्से ने कश्मीर पर कोई टिप्पणी करने से परहेज किया है, लेकिन भारत से अपील की है कि वह लोकतंत्र की भावना का ध्यान रखे. घाटी से संपर्क जल्द बहाल करने की जरूरत भी जताई.

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