
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन के साथ अपने युद्ध के एक साल पूरा होने पर देश को संबोधित कर रहे हैं. राजधानी मॉस्को के गोस्टिवनी डावर हॉल में अपने भाषण के दौरान पुतिन ने कहा कि लगातार नाजी खतरों से जूझ रहा रूस यूक्रेन में 'स्पेशल ऑपरेशन' कर रहा है. अपने भाषण में पुतिन ने प्रमुखता से भारत का जिक्र करते हुए कहा कि रूस भारत के साथ अपने सहयोग और व्यापार को बढ़ाना जारी रखेगा.
उन्होंने एशिया में भारत, चीन आदि देशों से व्यापार को बढ़ावा देने के लिए अंतरराष्ट्रीय नॉर्थ-साउथ कॉरिडोर (INSTC) के विस्तार की भी घोषणा की. रूसी राष्ट्रपति ने कहा कि रूस विदेशी आर्थिक संबंधों का विस्तार करेगा और नए लॉजिस्टिक कॉरिडोर बनाएगा.
उन्होंने कहा कि वो भारत, ईरान, चीन, पाकिस्तान जैसे देशों से आर्थिक संबंध बढ़ाने के लिए नॉर्थ-साऊथ कॉरिडोर को विकसित करेंगे. पुतिन ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर जोर देते हुए कहा, 'हम भारत, ईरान, पाकिस्तान के साथ सहयोग बढ़ाने की उम्मीद करते हैं. हम भारत के साथ अपने व्यापार को बढ़ावा देने के लिए उत्तर-दक्षिण कॉरिडोर (INSTC) को बनाने का काम जारी रखेंगे.'
पुतिन ने अपनी इस योजना पर बात करते हुए आगे कहा, 'रेलवे का आधुनिकीकरण और उत्तरी शिपिंग मार्गों में सुधार भी हमारी योजना का हिस्सा है. हम ब्लैक एंड अजोव समुद्री मार्गों, नॉर्थ-साउथ कॉरिडोर के बंदरगाहों का विकास करेंगे और उत्तरी समुद्री मार्ग की क्षमताओं को बढ़ाएंगे. इससे चीन, भारत, ईरान और अन्य मित्र देशों के साथ सहयोग का विस्तार और गहरा होगा.'
क्या है INSTC?
बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक, INSTC यानी International North-South Transport Corridor भारत और रूस के बीच के बीच माल ढुलाई के खर्च और समय को बचाने के लिए शुरू किया गया है. इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार, इस कॉरिडोर के तहत समुद्र, रेल और सड़क मार्ग का इस्तेमाल कर भारत और रूस के बीच ढुलाई की लागत को लगभग 30 प्रतिशत कम करने और समय को 40 दिनों से घटाकर करीब आधा करने का प्रयास किया जा रहा है.
INSTC भारत, ईरान, अफगानिस्तान, आर्मेनिया, अजरबैजान, रूस, मध्य एशिया और यूरोप के बीच माल ढुलाई के लिए 7,200 किलोमीटर लंबी परिवहन परियोजना है. इस कॉरिडोर की नींव 12 सितंबर, 2000 को रूस, ईरान और भारत ने मिलकर रखी थी.
पुतिन अब इस कॉरिडोर के विकास पर ध्यान देकर हिंद-प्रशांत क्षेत्र के देशों, खासकर भारत के साथ अपने सहयोग को और मजबूत करना चाहते हैं.
पश्चिमी देशों पर पुतिन का निशाना
यूक्रेन को रूस के खिलाफ अमेरिका और पश्चिमी देश हर तरह के आधुनिक हथियार मुहैया करा रहे हैं जिससे वो अभी तक रूस का डटकर सामना कर रहा है. यूक्रेन को पश्चिमी देशों की मदद पर निशाना साधते हुए पुतिन ने कहा कि पश्चिमी देशों ने यूक्रेन में वहीं खेल खेला है जो उन्होंने ईराक और सीरिया के साथ खेला था.
पुतिन ने कहा कि यूक्रेन के डोनबास क्षेत्र के लोग इंतजार कर रहे थे कि रूस आकर उनकी मदद करे. रूस ने कोशिश भी की कि शांतिपूर्ण तरीके से डोनबास की समस्याओं का हल निकाला जाए लेकिन पश्चिमी देशों ने खेल कर दिया और रूस को अपना 'स्पेशल ऑपरेशन' शुरू करना पड़ा.
उन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध को बातचीत के माध्यम से सुलझाने की पश्चिमी देशों की अपील को भी एक छलावा बताया. उन्होंने कहा कि शांति बहाल करने की पश्चिमी देशों की बातें झूठी हैं.
'रूस को युद्ध के मैदान में हरा पाना नामुमकिन'
पुतिन ने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा कि रूस-यूक्रेन के बीच तनाव पश्चिमी देशों के कारण इतना बढ़ गया है. उन्होंने कहा, 'रूस को युद्ध के मैदान में हराना असंभव है. हमारे देश का अस्तित्व दांव पर है और पश्चिम रूस को रणनीतिक रूप से हराने की कोशिश कर रहा है.'
पुतिन ने पश्चिम पर 'बुनियादी समझौतों' से हटने और 'झूठे बयान' देने के साथ-साथ नाटो का विस्तार करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि यूक्रेन झूठ का प्रतीक बना गया है. पुतिन ने कहा, 'मैं दोहराना चाहता हूं, यही लोग युद्ध के लिए दोषी हैं, और हम इसे रोकने के लिए बल का इस्तेमाल कर रहे हैं.'
उन्होंने कहा कि पश्चिमी देश दो देशों के बीच के संघर्ष को वैश्विक संघर्ष में बदलने की कोशिश कर रहे हैं. पुतिन ने दावा किया कि पश्चिमी देशों ने यूक्रेन पर राजनीतिक, आर्थिक और सैन्य हर तरीके से कब्जा कर लिया है और यूक्रेन के लोग 'पश्चिमी आकाओं के गुलाम' बन गए हैं.
पुतिन ने अमेरिका के साथ अपनी आखिरी परमाणु संधि को निलंबित किया
रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद रूस और अमेरिका के संबंधों में भारी कड़वाहट आई है. सोमवार को ही अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन यूक्रेन की राजधानी कीव पहुंचे थे. वहां उन्होंने राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से मुलाकात की और रूस के खिलाफ युद्ध में और अधिक हथियार मुहैया कराने की बात कही. उन्होंने पुतिन की आलोचना करते हुए कहा कि रूस ने सोचा था कि वो आसानी से जीत जाएगा लेकिन अमेरिका और पश्चिमी देशों ने उसके हौसले पस्त कर दिए हैं.
अब पुतिन ने अमेरिका पर पलटवार किया है. पुतिन ने अपने भाषण के दौरान अमेरिका के साथ एकमात्र बची परमाणु संधि New START परमाणु हथियार संधि को निलंबित करने का ऐलान किया.
उन्होंने कहा, 'मैं आज यह घोषणा करने के लिए मजबूर हूं कि रूस इस संधि में अपनी भागीदारी को निलंबित कर रहा है. अमेरिका के साथ हमारे संबंध बेहद खराब स्थिति में हैं और इसकी पहल अमेरिका ने की है.' उन्होंने कहा कि अगर अमेरिका परमाणु हथियारों का परीक्षण करता है तो रूस भी ऐसा करने के लिए तैयार है.
अमेरिका और रूस के बीच परमाणु हथियारों की दौड़ को कम करने के लिए यह संधि साल 2010 में की गई थी. इस संधि के मुताबिक, देश 1,550 लंबी दूरी के परमाणु हथियारों का ही परीक्षण कर सकते हैं. साल 2021 में इस संधि को अगले पांच सालों के लिए बढ़ा दिया गया था लेकिन अब पुतिन ने इसे निलंबित कर दिया है.
पुतिन के भाषण पर भारतीय राजनयिक और विशेषज्ञ क्या बोले?
रूस में भारत के पूर्व राजदूत और विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन के प्रतिष्ठित फेलो पीएस राघवन ने पुतिन के भाषण को लेकर कहा, 'पुतिन ने अपने भाषण में पीछे हटने का कोई संकेत नहीं दिया. उन्होंने जोर देकर कहा कि रूस को अमेरिका के नेतृत्व वाले पश्चिम से एक संभावित खतरे का सामना करना
पड़ रहा है और युद्ध के मैदान में उन्हें पीछे हटना होगा.'
रूस में भारत के पूर्व राजदूत और विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन के प्रतिष्ठित फेलो, वेंकटेश वर्मा ने कहा, 'राष्ट्रपति पुतिन का भाषण जोरदार और अपेक्षित था. रूस दृढ़ संकल्पित है. यूक्रेन को लेकर पश्चिम से उसके संबंध और खराब होते जा रहे हैं. यूक्रेन के साथ रूसी संघर्ष के शीघ्र अंत की संभावना कम है.'
ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के प्रतिष्ठित फेलो, नंदन उन्नीकृष्णन ने कहा, 'पुतिन का भाषण इस बात की तरफ इशारा करता है कि रूस एक लंबे युद्ध के लिए तैयार है. पुतिन ने अपने भाषण में पश्चिम को कई चेतावनियां दी हैं.'