
उत्तर कोरिया का सनकी तनाशाह किम जोंग उन इन दिनों रूस में है. वह अपनी ट्रेन में सवार होकर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात करने पहुंचा है. किम जोंग उन के रूस पहुंचने के बाद ऐसे कई घटनाक्रम हुए हैं, जिन्होंने अमेरिका और दक्षिण कोरिया के साथ-साथ यूरोपीय देशों को भी चिंता में डाल दिया है.
दरअसल, रूस पहुंचे किम जोंग उन को लेकर व्लादिमीर पुतिन अपनी सबसे ज्यादा आधुनिक स्पेस रॉकेस साइठ पर पहुंचे. यहां किम ने रॉकेट के बारे में काफी सी जानकारियां पूछीं. व्लादिमीर पुतिन ने भी किम को रॉकेट्स के बारे में विस्तार से बताया.
इससे पहले दोनों नेताओं की 13 सितंबर को भी मुलाकात हुई थी. इस दौरान दोनों के बीच करीब 4-5 घंटे बातचीत हुई थी. इस दौरान किम ने रूस का पूर्ण रूप से बिना शर्त समर्थन किया था. किम ने पुतिन से यह भी कहा था कि प्योंगयांग (नॉर्थ कोरिया) हमेशा साम्राज्यवाद विरोधी मोर्चे पर मास्को के साथ खड़ा रहेगा.
चीन का दावा- बौखला गया है अमेरिका
पुतिन और किम जोंग की मुलाकातों के बाद चीन ने दावा किया था कि रूस और नॉर्थ कोरिया की इस मुलाकात को लेकर अमेरिका बैखलाया हुआ है. विशेषज्ञों के मुताबिक रूस के साथ नॉर्थ कोरिया की करीबी की बड़ी वजह अमेरिका और साउथ कोरिया के बीच लगातार चलने वाले सैन्य अभ्यास का नतीजा है, जिसने पूर्वोत्तर एशिया में और अधिक खटास और विभाजन के हालात पैदा कर दिए हैं.
अमेरिका ने दी थी नॉर्थ कोरिया को धमकी
अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने इस मुलाकात पर कहा,'मैं दोनों देशों को याद दिलाऊंगा कि उत्तर कोरिया से रूस को हथियारों का कोई भी हस्तांतरण UNSC के कई प्रस्तावों का उल्लंघन होगा. पिछले हफ्ते अमेरिका ने चेतावनी दी थी कि उत्तर कोरिया रूस को यूक्रेन में इस्तेमाल के लिए हथियारों की आपूर्ति करने के लिए कीमत चुकाएगा. लेकिन इसके बावजूद रूस और उत्तर कोरिया के बीच हथियारों की बातचीत सक्रिय रूप से आगे बढ़ रही है.'
दबाव का सामना कर रहे दोनों देश: चीन
इधर, किम और पुतिन के बीच मुलाकात पर चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग का भी बयान भी आया. उन्होंने कहा,'उत्तर कोरियाई नेता की रूस यात्रा दोनों देशों के बीच एक व्यवस्था है. उत्तर कोरिया और रूस दोनों इस समय पश्चिम से अभूतपूर्व राजनयिक दबाव का सामना कर रहे हैं, इसलिए दोनों नेताओं का मकसद उनके द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना होगा. क्योंकि इससे पश्चिमी अलगाव के कुछ नकारात्मक प्रभाव को कम करने में मदद मिलेगी.' उन्होंने कहा कि मजबूत होते रूस-उत्तर कोरिया संबंध पूर्वोत्तर एशिया में भू-राजनीतिक समीकरण में और अधिक सुधार ला सकता है, खासकर तब, जब इस क्षेत्र में सुरक्षा स्थिति दिन-ब-दिन संवेदनशील होती जा रही है.
इधर, साउथ कोरिया की भी बढ़ी चिंता
वहीं, साउथ कोरिया के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता जियोन हा-क्यू ने भी पिछले हफ्ते कहा था कि मंत्रालय बारीकी से निगरानी कर रहा है कि उत्तर कोरिया और रूस हथियार सौदे और टेक्नोलॉजी शेयरिंग पर बातचीत के साथ आगे बढ़ेंगे या नहीं. यांग का मानना है कि अमेरिका की धमकियां पश्चिम के बढ़ते डर को दर्शाती हैं, लिहाजा अमेरिका उत्तर कोरिया को हथियारों की आपूर्ति न करने के लिए मजबूर कर रहा है. इसके लिए वह जनमत के दबाव का सहारा ले रहा है.
क्या नॉर्थ कोरिया की मदद करेगा रूस?
चीनी सैन्य विशेषज्ञ ने सोंग झोंगपिंग ने कहा कि अमेरिकी प्रतिबंधों ने उत्तर कोरिया और रूस को केवल करीब ला दिया है. साथ ही उन दोनों देशों को रणनीतिक गठबंधन बनाने के लिए भी प्रेरित किया है. सोंग ने कहा कि बैठक में सैन्य सहयोग शामिल होने की संभावना है, क्योंकि दोनों देशों की सैन्य ताकतें बेहतर हैं. टेक्नोलॉजी के मामले में रूस उत्तर कोरिया की मदद कर सकता है. बदले में प्योंगयांग गोला-बारूद और हथियार उत्पादन के लिए मास्को की क्षमता को बढ़ाने में मदद कर सकता है