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म्यांमार की फायरिंग में बॉर्डर पर रोहिंग्या बच्चे की मौत, बांग्लादेश ने दी वार्निंग

बॉर्डर पर म्यांमार सुरक्षा बलों की कार्रवाई पर बांग्लादेश के गृह मंत्री कमाल ने कहा कि फायरिंग की घटनाएं अस्थायी शिविरों में शरण लेने वाले रोहिंग्याओं और बांग्लादेशियों के मन में डर पैदा करने वाली हैं. कमाल ने आगे कहा कि 'अगर म्यांमार बांग्लादेश सीमा के पास गोलीबारी बंद नहीं करता है तो बांग्लादेश संयुक्त राष्ट्र को सूचित करेगा.

म्यांमार की फायरिंग में एक रोहिंग्या बच्चे की जान चली गई है. (फाइल फोटो) म्यांमार की फायरिंग में एक रोहिंग्या बच्चे की जान चली गई है. (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • ढाका,
  • 17 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 9:27 PM IST

बांग्लादेश और म्यांमार के बीच तनाव देखने को मिल रहा है. पिछले कुछ दिनों से म्यांमार की सेना लगातार बॉर्डर पर फायरिंग कर रही है, जिसमें एक रोहिंग्या बच्चे की मौत हो गई और कई लोग जख्मी भी हुए हैं. इस घटना के बाद शनिवार को बांग्लादेश सरकार ने एक बयान जारी किया है और म्यांमार को चेतावनी के साथ संयम बरतने की अपील की है. इस संबंध में गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल ने साफ कहा- 'बांग्लादेश युद्ध नहीं चाहता है.'

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बॉर्डर पर म्यांमार सुरक्षा बलों की कार्रवाई पर बांग्लादेश के गृह मंत्री कमाल ने कहा कि फायरिंग की घटनाएं अस्थायी शिविरों में शरण लेने वाले रोहिंग्याओं और बांग्लादेशियों के मन में डर पैदा करने वाली हैं. कमाल ने आगे कहा कि 'अगर म्यांमार बांग्लादेश सीमा के पास गोलीबारी बंद नहीं करता है तो बांग्लादेश संयुक्त राष्ट्र को सूचित करेगा. हमने विदेश मंत्रालय के जरिए म्यांमार को बार-बार चेतावनी दी है, लेकिन उन्होंने इस पर ध्यान नहीं दिया.'

हम शांतिपूर्ण समाधान चाहते हैं...

उन्होंने कहा कि बांग्लादेश म्यांमार के साथ शांति से मुद्दों को सुलझाना चाहता है और उम्मीद करता है कि पड़ोसी को अपनी गलती का एहसास होगा. भविष्य में ऐसा कुछ भी करने से बचना चाहिए जो द्विपक्षीय संबंधों को बाधित करे. गृह मंत्री ने कहा- 'चूंकि हम संघर्ष नहीं चाहते हैं. म्यांमार के साथ शांतिपूर्ण समाधान खोजने के लिए हमारे प्रयास चल रहे हैं. हम सब कुछ करेंगे. 

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ये युद्ध उनकी सीमाओं के भीतर ही रहे...

गृह मंत्री ने आंतरिक संघर्ष के लिए अराकान लिबरेशन आर्मी जैसे बगावती ग्रुप को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा- 'कभी-कभी म्यांमार और अराकान सेना के बीच अच्छे संबंध देखे गए, कभी-कभी ये अज्ञात कारणों से युद्ध में बदल गया, लेकिन निश्चित रूप से उनका युद्ध उनकी सीमाओं के भीतर ही रहना चाहिए.'

हम सीमा पर लगातार नजर रखे हैं...

न्यूज एजेंसी के मुताबिक, कमाल ने कहा कि ढाका देख रहा है कि म्यांमार की सेना भारत की मिजोरम सीमा और थाईलैंड और चीन के साथ सीमा पर खुद के बगावती ग्रुप के साथ संघर्ष करने में लगी हुई है, लेकिन 'उनके देश (म्यांमार) में संघर्ष उनकी सीमाओं के भीतर ही रहना चाहिए.' उन्होंने कहा कि बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (BGB) म्यांमार के साथ सीमा पर स्थिति पर कड़ी निगरानी रख रहा है, ताकि पड़ोसी देश से लोगों के आवागमन को रोका जा सके. 

उन्होंने कहा- 'हमारी प्रधानमंत्री (शेख हसीना) कभी युद्ध नहीं चाहती हैं. हम शांतिपूर्ण समाधान चाहते हैं. उनके आंतरिक संघर्ष को उनकी सीमाओं के भीतर रहने दें. हमारी धरती पर जो हो रहा है, हम उसका हमेशा विरोध करते हैं. 

फायरिंग की घटनाओं में एक की मौत, छह गंभीर घायल

बता दें कि बांग्लादेश के दक्षिणपूर्वी बंदरबन जिले के गमधूम इलाके में शुक्रवार को म्यांमार सीमा के पार से गोलीबारी और मोर्टार से हमला किया गया, इसमें एक नाबालिग रोहिंग्या लड़के की मौत हो गई और एक रोहिंग्या बच्चा समेत छह लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे. उसी दिन हेडमनपारा सीमा क्षेत्र के पास एक बारूदी सुरंग विस्फोट की घटना सामने आई, जिसमें एक बांग्लादेशी युवक घायल हो गया था. उसको एक पैर गंवाना पड़ा.

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म्यांमार के राजदूत को तीन बार तलब कर चुका ढाका

सीमाओं से प्राप्त रिपोर्टों में कहा गया है कि बांग्लादेश में शरण लेने के लिए सीमा के दूसरी तरफ रखाइन राज्य में कुछ लोगों के भागने की खबरें आई थी. ये लोग अंधाधुंध गोलियों के डर से छिपे हुए थे. अधिकारियों ने बताया कि 28 अगस्त को म्यांमार के बांग्लादेश क्षेत्र में मोर्टार के बिना फटे दो गोले बरामद किए गए थे. विदेश मंत्रालय पहले ही इस मुद्दे पर म्यांमार के राजदूत को तीन बार ढाका तलब कर चुका है. 

रोहिंग्याओं ने 2017 में म्यांमार से पलायन किया था

गौरतलब है कि अगस्त 2017 में म्यांमार के सैन्य अभियान की वजह से रोहिंग्याओं को देश छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा था और बड़ी संख्या (1.1 मिलियन) में रोहिंग्याओं ने बांग्लादेश में शरण ली है. ढाका ने पहले कहा था कि हमें उम्मीद है कि रोहिंग्या की स्वदेश वापसी इस साल के अंत में शुरू हो जाएगी, लेकिन जानकारों का कहना है कि म्यांमार की सेना और बगावती गुटों के बीच संघर्ष देखने को मिल रहा है, जिसकी वजह से रोहिंग्या के वतन लौटने के लिए शर्तें पर सहमति नहीं बन पा रही है. 

 

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