
अमेरिका के पूर्व उप राष्ट्रपति और रिपब्लिकन पार्टी के नेता माइक पेंस के आवास से गोपनीय दस्तावेज (Classified documents) मिले हैं. माइक पेंस के वकील ने बताया कि करीब दर्जनभर गोपनीय दस्तावेज उनके घर से मिले हैं. इन्हें एफबीआई को सौंप दिया गया. एफबीआई ने जांच शुरू कर दी है, कि आखिर ये दस्तावेज पेंस के घर पर कैसे पहुंचे? माइक पेंस के आवास से ये दस्तावेज ऐसे समय पर मिले, जब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के आवास से गोपनीय दस्तावेज मिलने का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था. इससे पहले पिछले साल अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के घर से गोपनीय दस्तावेज मिले थे. आईए ऐसे में जानते हैं कि आखिर ये Classified documents क्या होते हैं और इन्हें रखने पर कितनी सजा मिल सकती है और अमेरिका की राजनीति में कैसे इन दस्तावेज ने भूचाल ला दिया है.
कब कहां और कितने गोपनीय दस्तावेज मिले?
- माइक पेंस के आवास से करीब दर्जन भर गोपनीय दस्तावेज मिले. ये दस्तावेज ऐसे वक्त पर मिले, जब वे लगातार दावा कर रहे थे कि उनके पास कोई भी ऐसा दस्तावेज नहीं है. ये मामला ऐसे वक्त पर सामने आया जब कयास लगाए जा रहे हैं कि माइक पेंस 2024 के राष्ट्रपति चुनाव के लिए उम्मीदवारी पेश कर सकते हैं.
- अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन मुश्किलों में फंस हुए हैं. बाइडेन के वॉशिंगटन में ऑफिस में गोपनीय दस्तावेज मिले हैं. बाइडेन पर आरोप है कि उन्होंने अपने निजी दफ्तर और घर में गोपनीय दस्तावेज रखे. ये दस्तावेज उस समय के हैं जब वह 2009 से 2016 तक उपराष्ट्रपति थे. इस मामले में अमेरिकी न्याय विभाग जांच कर रही है.
- इससे पहले अगस्त 2022 में एफबीआई ने सर्च वारंट के साथ ट्रम्प के फ्लोरिडा स्थित घर पर छापेमारी की थी. इस दौरान एफबीआई को Classified documents मिले थे. तब माइक पेंस ने कहा था कि उनके पास कोई भी ऐसे दस्तावेज नहीं है.
क्या होते हैं Classified documents?
द वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, गोपनीय दस्तावेज (Classified documents) उन्हें कहा जाता है, जिनमें संवेदनशील जानकारी हो और इनके सबके सामने आने से अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा या विदेशी संबंधों को नुकसान पहुंचने के खतरे की आशंका रहती है. दूसरे विश्व युद्ध के बाद से अमेरिका में इस तरह से गोपनीय दस्तावेज संरक्षित किए जा रहे हैं. गोपनीय जानकारी में कागजी दस्तावेज, ईमेल, फोटोग्राफ, मानचित्र, चित्र, डेटाबेस और हार्ड ड्राइव शामिल हो सकते हैं. माध्यम चाहे जो भी हो, लेकिन ये जानकारी अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए काफी अहम मानी जाती है. इन दस्तावेजों तक सिर्फ अधिकृत अधिकारियों की पहुंच होती है. अमेरिका में इन्हें तीन श्रेणियों में रखा गया है.
1- कॉन्फिडेंशियल- Classified documents की यह सबसे निचली श्रेणी है. माना जाता है कि इन सूचनाओं के बाहर आने से राष्ट्रीय सुरक्षा को नुकसान पहुंच सकता है. हालांकि,
सरकारी कर्मचारियों समेत हजारों लोगों की पहुंच इस जानकारी तक होती है. इसमें स्टेट डिपार्टमेंट या किसी विदेशी सरकार द्वारा प्रदान की गई जानकारी शामिल हो सकती है. हालांकि, भले ही इसमें अत्यधिक संवेदनशील जानकारी शामिल नहीं होती.
2- सीक्रेट- कॉन्फिडेंशियल से ज्यादा संवेदनशील जानकारी सीक्रेट में रखी जाती है. इसमें ऐसी जानकारी होती है, जिसके लीक होने पर राष्ट्रीय सुरक्षा को गंभीर खतरा पहुंचने की आशंका रहती है. इसमें अमेरिकी खुफिया एजेंसी का बजट जैसी जानकारियां शामिल होती हैं.
3- टॉप सीक्रेट- टॉप सीक्रेट Classified documents में अमेरिकी खुफिया जानकारियां शामिल होती हैं. इसमें सबसे संवेदनशील जानकारी रखी जाती है. ऐसे में इसतक सिर्फ सीमित लोगों की ही पहुंच होती है. इसमें गुप्त सोर्स से मिली जानकारी को खुफिया तरीके से सुरक्षित रखा जाता है. इतना ही नहीं अगर ये जानकारियां लीक होती हैं, तो न सिर्फ अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा की आशंका रहती है, बल्कि व्यक्तिगत स्रोत भी खतरे में पड़ सकते हैं.
गोपनीय दस्तावेज के मामले में क्या हो सकती है कार्रवाई?
अमेरिका में जासूसी अधिनियम समेत कई ऐसे कानून हैं, जिनके तहत Classified documents को हटाना, नष्ट करना, या खुलासा करना अपराध की श्रेणी में आता है. अमेरिका में इन मामलों में दोषी पाए जाने पर 3 साल से 10 साल तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान है.
बाइडेन का मामला ट्रम्प से कैसे अलग?
इससे पहले अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फ्लोरिडा स्थित आवास से सीक्रेट दस्तावेज मिले थे. अदालत में दिए गए एफबीआई के हलफनामे के अनुसार, छापेमारी के दौरान ट्रंप के घर से 300 से अधिक गोपनीय दस्तावेज बरामद किए गए थे. इसमें कई तो विदेशों में हुए टॉप सीक्रेट ऑपरेशन से जुड़े हुए दस्तावेज भी थे.
ट्रम्प के मामले में जांच कर रही एजेंसियों ने न्याय में बाधा डालने, रिकॉर्ड को नष्ट करने साथ साथ सरकार के सीक्रेट्स के संभावित गलत इस्तेमाल की आशंका का आरोप लगाया है. जबकि बाइडेन के मामले में अभी ऐसे आरोप सामने नहीं आए हैं. हालांकि, बाइडेन के मामले में जांच शुरुआती चरण में है.