
दुनियाभर में जारी उथल-पुथल के बीच भारत एक दिसंबर 2022 से G-20 देशों के समूह की अध्यक्षता करने जा रहा है. इसके तहत भारत दिसंबर 2022 से 30 नवंबर 2023 तक G-20 देशों की बैठकों की मेजबानी करेगा. इस दौरान भारत में G-20 देशों की कुल 200 बैठकें होंगी. यह बैठकें देश के हर राज्य में होंगी. प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार को G-20 के लोगो, थीम और वेबसाइट का अनावरण किया.
वैश्विक उठापटक के बीच भारत के पास मेजबानी
भारत को ऐसे समय में G-20 देशों की मेजबानी का जिम्मा मिला है, जब रूस, यूक्रेन युद्ध से दुनियाभर में उथल-पुथल है और वैश्विक स्तर पर राजनीतिक घटनाक्रम तेजी से बदल रहे हैं. आर्थिक मंदी मुहाे पर खड़ी है. कई देशों में महंगाई उच्च स्तर पर पहुंच गई है. कई देश खाद्यान्न संकट से गुजर रहे हैं और वैश्विक असमानता बढ़ी है. ऐसे में इस जिम्मेदारी के साथ दुनियाभर की निगाहें भारत पर होंगी.
मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए G-20 के लोगो, थीम और वेबसाइट का अनावरण करते हुए कहा कि भारत में हमारे लिए 2023 में G-20 की मेजबानी करना सिर्फ डिप्लोमैटिक बैठकों तक सीमित नहीं है. इसकी अध्यक्षता को भारत ने एक जिम्मेदारी के तौर पर लिया है और हम इसके जरिए भारत की संस्कृति और समाज से विश्व को परिचित कराएंगे.
G-20 बैठकों में केंद्र सरकार के प्रमुख मंत्रियों से लेकर राज्य सरकारों के प्रमुख शामिल होंगे. इन बैठकों में अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और एनजीओ को भी आमंत्रित किया गया है. कहा जा रहा है कि भारत सरकार इस मौके को भुनाते हुए अपनी धाक का प्रदर्शन करने से नहीं चूकेगी.
भारत ने बांग्लादेश, मिस्र, मॉरीशस, नीदरलैंड्स, नाइजीरिया, ओमान, सिंगापुर, स्पेन और यूएई को 2023 के लिए अतिथि देशों के तौर पर आमंत्रित किया है. भारत ने G-20 के मौजूदा अध्यक्ष इंडोनेशिया से इसकी मेजबानी का जिम्मा संभालेगा.
भारत के सामने चुनौतियां
G-20 जैसे प्रतिष्ठित समूह की मेजबानी करना भारत के लिए बहुत बड़ा अवसर है लेकिन इसके साथ ही उसके सामने कई तरह की चुनौतियां भी खड़ी है. G-20 के लिए भारत की प्राथमिकता समावेशी और समान विकास के लक्ष्य पर जोर देना होगा. इसके साथ ही भारत के लिए महिला सशक्तीकरण, डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर, टेक आधारित विकास, क्लाइमेट फाइनेंसिंग, वैश्विक खाद्य सुरक्षा और ऊर्जा सुरक्षा जैसे तमाम प्राथमिकताएं हैं.
बीते कुछ महीनों में G-20 की विश्वसनीयता को झटका भी लगा है. समूह के भीतर ही टकराव की खबरें सामने आई. G-20 की अध्यक्षता की बागडोर संभालने के बाद भारत को इन मतभेदों को हटाना बहुत बड़ी चुनौती होगी.
भारत को एक ऐसा एजेंडा निर्धारित करना होगा, जिसमें समूह के सभी सदस्यों को समान अवसर मिले. इंटर्नल गवर्नेंस में सुधार वक्त की जरूरत है और भारत को इस समूह की एकता बनाए रखने को लेकर कड़ी मशक्कत करनी होगी. क्लाइमेट फाइनेंसिंग भी एक अन्य अहम मुद्दा है, जिस पर भारत को संबंधित देशों के साथ काम करना होगा.
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के मुताबिक भारत 2023 में दुनिया की तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक होगा. आईएमएफ ने अनुमान जताया था कि अगले साल भारत की अर्थव्यवस्था 6.1 फीसदी की रफ्तार से बढ़ेगी. भारत अगले साल एक मजबूत अर्थव्यवस्था के तौर पर आगे बढ़ेगा.
क्या है G-20?
G-20 दुनिया के 20 विकसित और विकासशील देशों का अंतर्राष्ट्रीय मंच है, जिसमें दुनिया के तमाम जरूरी मुद्दों पर चर्चा होती है और उसी के अनुरूप रणनीतियां तय होती हैं. इसमें भारत सहित ऑस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, इंडोनेशिया, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, यूके, अमेरिका और यूरोपीय यूनियन शामिल है.
G-20 में शामिल देशों की अर्थव्यवस्थाएं दुनिया की लगभग 85 फीसदी जीडीपी के बराबर है. इसके साथ ही कुल वैश्विक कारोबार में इन 20 देशों की हिस्सेदारी 75 फीसदी है. दुनिया की लगभग 67 फीसदी आबादी इन G-20 देशों में है. दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले चार देश, चीन, भारत, अमेरिका और इंडोनेशिया G-20 का हिस्सा हैं.
दुनियाभर में सिलसिलेवार हुए कई आर्थिक संकटों के मद्देनजर जी-20 की स्थापना 1999 में हुई थी. यह संगठन ग्लोबल इकोनॉमी, क्लाइमेट चेंज मिटिगेशन और विकास जैसे मामलों से निपटने के लिए किया गया. भारत इसकी स्थापना से ही इसका सदस्य रहा है.