
मुसलमानों को लैब में बनाया जाने वाला मांस खाना चाहिए या नहीं? इस तरह के मीट का सेवन हराम माना जाएगा या हलाल? सिंगापुर में यह बहस छिड़ गई है. इस बीच यहां के एक मुस्लिम धर्मगुरू ने बताया कि मुसलमान इस तरह के मीट का सेवन कर सकते हैं लेकिन इसपर कुछ शर्तें लगाई है. एक मुफ्ती ने कहा कि अगर मांस को बनाने में हलाल जानवर की कोशिकाओं का इस्तेमाल किया जाता है तो इसका सेवन भी हलाल माना जाएगा.
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सिंगापुर के मुफ्ती डॉक्टर नजीरुद्दीन मोहम्मद नासिर ने कहा कि यह फैसला इस बात का उदाहरण है कि फतवा अनुसंधान को आधुनिक तकनीक और सामाजिक परिवर्तन के साथ कैसे विकसित होना है. उन्होंने फतवा पर आयोजित एक कार्यक्रम में यह बातें कही. उन्होंने कहा कि इस्लाम में, फतवा मुस्लिम समुदाय का धार्मिक मोर्चे पर मार्गदर्शन करता है और इसे मुफ्ती के रूप में जाने जाने वाले योग्य धर्मगुरू जारी करते हैं.
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सिंगापुर में किया जाता है लैब में बने मांस का सेवन
मुस्लिम मामलों के प्रभारी मंत्री ने बताया कि लैब में बनाए जाने वाले मांस का सेवन किया जाना चाहिए या नहीं, इसको लेकर 2022 से ही सिंगापुर इस्लामिक धार्मिक परिषद अध्ययन कर रहा है. सिंगापुर में साल 2020 में लैब में बनाए जाने वाले मीट के सेवन को मंजूरी दी गई थी. इसके बाद से ही यहां मुस्लिम समुदाय के मन में सवाल था कि आखिर लैब में बनाया गया मांस खाना चाहिए या नहीं? मसलन, सिंगापुर ऐसा पहला देश बन गया, जहां लैब में उत्पादित मांस का भी सेवन किया जाता है.
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लैब में बनाए गए मीट के सेवन पर क्या बोले मुफ्ती?
सिंगापुर के मुस्लिम धर्मगुरू मुफ्ती नजीरुद्दीन ने कहा कि तकनीकी विकास और सामाजिक परिवर्तन होने पर धार्मिक नेताओं को अपने फैसलों में समायोजन की इजाजत देनी चाहिए. उन्होंने बताया कुछ लोग यह भी दलील दे रहे हैं कि मुसलमानों को वास्तविक मांस का ही सेवन करना चाहिए लेकिन इस मामले पर फतवा समिति ने गहन अध्ययन किया और फैसला किया कि लैब में तैयार किया जाने वाला मांस सही है और इसका सेवन किया जा सकता है, लेकिन तब जब मांस को बनाने में हलाल जानवर की कोशिकाएं इस्तेमाल की जाएं.