
हमास...पिछले हफ्ते से पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बना हुआ है. फिलिस्तीन के इसी संगठन ने दुनिया के सबसे शक्तिशाली देशों में एक इजरायल को ऐसा जख्म दिया, जिसकी उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी. हमास ने इजरायल पर हजारों रॉकेट दागे. इसके लड़ाकों ने इजरायली शहरों-गांवों में घुसकर कत्लेआम मचाया. हमास के इन हमलों में इजरायल में 1200 से अधिक लोगों की जान चली गई. इन हमलों के जवाब में इजरायल ने हमास को खत्म करने की कसम खाई है. इजरायली विमान गाजा पट्टी पर हमास के ठिकानों पर बम बरसा रहे हैं. इन हमलों में 1100 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है. इन सबके बीच हमास भी इजरायल पर रॉकेट दाग रहा है. आइए जानते हैं हमास की पूरी कहानी और इस संगठन के बड़े चेहरों के बारे में...
हमास... इसे इस्लामिक रेजिस्टेंस मूवमेंट और अरबी में हरकत अल-मुकावामा अल-इस्लामिया के नाम से भी जाना जाता है. यह कट्टरपंथी इस्लामी संगठन है. इसकी स्थापना 1987 में पहले इंतिफादा (फिलिस्तीनी सशस्त्र विद्रोह) के दौरान फिलिस्तीनी शरणार्थी शेख अहमद यासीन ने की थी.
हमास की जड़ें कट्टर संगठन मुस्लिम ब्रदरहुड से जुड़ी मानी जाती हैं. मुस्लिम ब्रदरहुड की स्थापना 1920 के दशक में मिस्र में हुई थी. शेख अहमद यासीन एक फिलिस्तीनी मौलवी था, जो मुस्लिम ब्रदरहुड की स्थानीय शाखाओं से जुड़ा था. यासीन शुरुआत में काहिरा में इस्लामिक स्कॉलर था. 1960 के दशक में वह गाजा और वेस्ट बैंक में धर्म के प्रचार प्रसार का काम करता था. 1967 में 6 दिन के युद्ध के बाद इजरायल ने गाजा और वेस्ट बैंक पर कब्जा कर लिया था.
यासीन ने पहले इंतिफादा के दौरान 1987 में गाजा में मुस्लिम ब्रदरहुड की राजनीतिक शाखा के तौर पर हमास की स्थापना की. उस समय, हमास का उद्देश्य फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद (पीआईजे) का मुकाबला करना था, जो एक अन्य इस्लामी कट्टरपंथी आतंकवादी संगठन था, जिसकी इजरायल का हिंसक विरोध करने की प्रतिबद्धता फिलिस्तीनियों को ब्रदरहुड से दूर करती जा रही थी.
यासीन 12 साल की उम्र में अपने पैर गंवा चुका था. वह व्हीलचेयर पर ही निर्भर था. 2004 में एक इजरायली हमले में वह गाजा में मारा गया. 1988 में हमास ने अपना चार्टर जारी किया, जिसमें इजरायल के पूर्ण विनाश और फिलिस्तीन में एक इस्लामी समाज की स्थापना की अपील की गई.
2017 में पश्चिमी देशों के सामने अपनी छवि को साफ सुधरी पेश करने के लिए हमास ने एक नया चार्टर पेश किया, जिसमें 6 दिन के युद्ध से पहले स्थापित ग्रीन लाइन सीमा पर एक फिलिस्तीन की स्थापना की बात कही गई. हालांकि, हमास के इस नए चार्टर में भी इजराइल को मान्यता देने से इनकार कर दिया.
हमास की सैन्य शाखा, अल-कसम ब्रिगेड के शुरुआती सैन्य नेताओं में से एक सलाह शेहादे भी था, जो 1987 से ही हमास से जुड़ा था. शेहादे जल्द ही हमास का सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक बन गया. उसे 1984 और 1988 में इजरायली अधिकारियों द्वारा दो बार गिरफ्तार किया गया.
1996 में याह्या अयाश की मौत के बाद शेहादे मोहम्मद दायफ और अदनान अल गौल के साथ हमास का टॉप लीडर बन गया. 22 जुलाई 2002 को इजरायली हमले में शेहादे की मौत हो गई. इस हमले में उसकी पत्नी और बेटी भी मारी गई.
हमास ने इजरायल को खत्म करने की कसम खाई है, ऐसे में यह संगठन इजरायली नागरिकों और सैनिकों के खिलाफ कई आत्मघाती बम विस्फोटों में शामिल रहा. हमास अमेरिका, यूके, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, इजरायल समेत कई देशों में एक नामित आतंकवादी संगठन है. हालांकि कुछ देशों ने इसके मिलिट्री विंग को ही आतंकवादी संगठन घोषित किया है.
ईरान हमास को वित्तीय सहायता प्रदान करता है. वहीं, तुर्की और कतर कथित तौर पर इसके शीर्ष नेताओं को शरण देता रहा है. हमास ने फिलिस्तीनी में 2006 के संसदीय चुनाव जीते और 2007 में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त फिलिस्तीनी प्राधिकरण से गाजा पट्टी पर हिंसक तरीके से कब्जा कर लिया. 2006 में आखिरी बार फिलिस्तीनी संसदीय चुनाव हुए थे.
गाजा पर हमास के कब्जे के बाद, इजरायल ने जवाब में गाजा पर नाकाबंदी कर दी और हमास को हथियार विकसित करने से रोकने के लिए इस क्षेत्र के अंदर और बाहर लोगों और सामानों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगा दिया. हमास ने हमेशा इजराइल से क्षेत्रों पर कब्जा करने के लिए हिंसा की वकालत की है.
हमास ने इजरायल पर दर्जनों बार आत्मघाती बम विस्फोट किए हैं और पिछले कुछ सालों में गाजा से इजरायल पर हजारों रॉकेट दागे हैं. इसने हथियारों और अन्य सामग्रियों की तस्करी के लिए गाजा से इजिप्ट तक भूमिगत सुरंगों का एक नेटवर्क बनाया है.
पिछले कुछ सालों से हमास का ध्यान इजरायल पर हमला करने के बजाय गाजा पर शासन करने पर अधिक केंद्रित था. लेकिन 7 अक्टूबर को इजरायल पर हमास की ओर से जिस तरह से हमला किया गया, उससे यह आशंका जताई जा रही है कि यह हमास की सिर्फ धोखे की रणनीति थी, वह कुछ समय शांत रहकर अपनी सैन्य क्षमताओं को मजबूत करने में जुटा था.
इजरायल पर हुए हमले के पीछे हमास की सैन्य शाखा अल-कसम ब्रिगेड के प्रमुख मोहम्मद डायफ को मास्टरमाइंड माना जा रहा है. उसने रणनीति के तहत पहले इजरायल को विश्वास दिलाया कि हमास को संघर्ष शुरू करने में कोई दिलचस्पी नहीं है, वह सिर्फ गाजा में आर्थिक विकास पर ध्यान केंद्रित कर रहा है. लेकिन इस दौरान हमास अपने लड़ाकों को ट्रेनिंग दे रहा है. मौका देखकर हमास ने इजरायल पर हमला कर दिया.
हमास के बाहरी संबंधों के प्रमुख अली बराका ने कहा, हमने इस लड़ाई के लिए दो साल से तैयारी की है. हमास नेताओं का दावा है कि वेस्ट बैंक में उसके लड़ाकों पर इजरायली कार्रवाई, बस्तियों का निर्माण जारी रहना, इजरायली जेलों में हजारों कैदी, गाजा की चल रही नाकाबंदी और अल-अक्सा मस्जिद में इजरायली उल्लंघनों ने उसे हमले करने के लिए मजबूर किया.
हालांकि, कई लोग यह भी मानते हैं कि इन हमलों के पीछे ईरान है. ईरान हमास का प्राथमिक समर्थक है. उसने इजरायल और सऊदी अरब के बीच किसी भी संभावित समझौते को विफल करने के प्रयास में हमास को इस समय इन हमलों को अंजाम देने के लिए प्रेरित किया, जिससे ईरान के रणनीतिक उद्देश्यों को खतरा है.
हमास का नेतृत्व
2004 में इजरायलियों द्वारा यासीन की हत्या के बाद, खालिद मशाल हमास का नेता बना. गाजा में याह्या सिनवार और दोहा में रह रहा इस्माइल हनियेह, खालिद मशाल के बाद हमास के वर्तमान नेता हैं. इन्होंने हमास के नेतृत्व को ईरान और लेबनान के हिजबुल्लाह समेत उसके क्षेत्रीय सहयोगियों के साथ फिर से संगठित किया है. तब से हमास के कई बड़े नेता लेबनान में रहने लगे.
हमास की रणनीति पोलितब्यूरो बनाती है. इसमें 15 सदस्य हैं. ये नेता दूसरे देशों में बैठकर हमास की रणनीति तय करते हैं.
हमास की सैन्य शाखा, इज्ज अद-दीन अल-कसम ब्रिगेड का नेतृत्व वर्तमान में मारवान इस्सा और मोहम्मद डायफ कर रहे हैं. ब्रिगेड के संस्थापक सलाह शेहादेह की 2002 में गाजा में एक इजरायली हवाई हमले में मौत हो गई थी.
अल-कसम ब्रिगेड स्वतंत्र हमास लड़ाकों के साथ साथ गाजा में हमास सरकार की देखरेख करती है, जिसका नेतृत्व हमास द्वारा नियुक्त प्रधान मंत्री इस्साम अल-दालिस करते हैं.
हमास के प्रमुख चेहरे
याहया सिनवार
7 अक्टूबर के हमलों के दो दिन बाद इजरायल सेना के शीर्ष प्रवक्ता रियर एडम हगारी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, 'याहया सिनवार अभियान का कमांडर है, और वह एक मृत व्यक्ति है.'
सिनवार हमास के शीर्ष नेता इस्माइल हनियेह के बाद हमास के दूसरे सबसे शक्तिशाली सदस्य हैं. गाजा में वही सर्वोच्च पद पर है. सिनवार का जन्म 1962 में गाजा पट्टी के दक्षिण में खान यूनिस में एक फिलिस्तीनी शरणार्थी शिविर में हुआ था. 1980 के दशक में सिनवार को गाजा की सुरक्षा शाखा का प्रमुख बनाया गया था.
सिनवार इजरायल की मदद करने के आरोपी फिलिस्तीनियों को फांसी देने से नहीं चूकता. यही वजह है कि उसे 'खान यूनिस के कसाई' का नाम से भी जाना जाता है. 1988 में इजरायली सुरक्षा एजेंसियों द्वारा उसे गिरफ्तार किया गया था. लेकिन 2011 में उसे रिहा कर दिया गया.
सिनवार को एक कट्टरपंथी के रूप में जाना जाता है. वह इजरायल के साथ किसी भी समझौते का विरोध करता है. 2015 में अमेरिकी सरकार ने आधिकारिक तौर पर सिनवार को आतंकवादी घोषित किया था. 7 अक्टूबर के हमलों के बाद इजरायली युद्धक विमानों ने उसके घर पर बमबारी की, लेकिन हमास ने दावा किया कि हवाई हमले में कोई हताहत नहीं हुआ. वह इजरायल की हिट लिस्ट पर है.
मोहम्मद डायफ
मोहम्मद डायफ हमास की सैन्य शाखा अल-कसम ब्रिगेड प्रमुख है. उसे इजरायल के इन हमलों के पीछे का मास्टरमाइंड माना जा रहा है. हमलों के तुरंत बाद एक ऑडियो टेप में उसने इस आतंकी ऑपरेशन को 'अल-अक्सा बाढ़' कहा था. डायफ का जम्म 1965 खान यूनिस शरणार्थी कैंप में हुआ.
डायफ को 1989 में इजरायल द्वारा गिरफ्तार किया गया था. वह 16 महीने हिरासत में रहा. उसने गाजा में इस्लामिक यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है. वह यूनिवर्सिटी में कॉमेडी कार्यक्रमों में भी हिस्सा लेता था. डायफ ने हमास के लिए सुरंग का नेटवर्क बनाया. यह बम बनाने में भी माहिर माना जाता है. इजरायल में कई हमलों में डायफ का नाम आता रहा है. डायफ लगातार अपनी लोकेशन बदलता रहता है.
हमास के सूत्रों का कहना है कि इजरायली हमले में उसकी एक आंख चली गई और एक पैर में गंभीर चोटें आईं. 2014 में इजरायली हमले में उसकी पत्नी, 7 महीने का बेटा और 3 साल की बेटी मारे गए. फिलिस्तीनी सूत्रों के मुताबिक, इजरायली हवाई हमलों में गाजा में उसके पिता के घर को भी निशाना बनाया गया. इसमें डायफ के भाई और परिवार के दो अन्य सदस्यों की कथित तौर पर मौत हो गई. डायफ इजरायल के हिट लिस्ट में है.
अबू ओबैदा:
अबू ओबैदा अल-कसम ब्रिगेड के प्रवक्ता हैं. ओबैदा ने ही ऐलान किया था कि हमास ने गाजा पट्टी में दर्जनों इजरायली सैनिकों को बंदी बना रखा है. अबू ओबैदा का वास्तविक नाम किसी को नहीं पता. न ही उसके बारे में कोई अन्य जानकारी है. वह अपना चेहरा ढंके रहता है. 2014 में इजरायली मीडिया आउटलेट्स ने कथित तौर पर अबू ओबैदा की एक तस्वीर जारी की, जिसका नाम हुजैपा समीर अब्दुल्ला अल-कहलूत बताया था. हालांकि, अल-क़सम ब्रिगेड ने इस दावे को खारिज कर दिया था.
इस्माइल हनीयेह
इस्माइल हनिएह हमास के प्रमुख राजनीतिक नेता हैं, जो गाजा के बाहर दोहा, कतर में रहते हैं. हनियेह का जन्म 1962 में गाजा पट्टी में अल-शती शरणार्थी शिविर में हुआ था. उन्होंने गाजा के इस्लामिक यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है. इसी दौरान वे हमास के साथ जुड़ गए और 1987 में अरबी साहित्य में स्नातक की डिग्री हासिल की. 1985 से 1986 तक वह मुस्लिम ब्रदरहुड का प्रतिनिधित्व करने वाले छात्र परिषद के प्रमुख थे. उन्होंने इस्लामिक एसोसिएशन फुटबॉल टीम में मिडफील्डर के रूप में भी खेला.
इजरायली नागरिकों के खिलाफ हमलों में उनकी कथित संलिप्तता के लिए इजरायली एयरफोर्स ने उन्हें निशाना बनाया था. इस दौरान उनके हाथ में चोट आई थी. हनिएह हमास की उस सूची के प्रमुख थे, जिसने 2006 के फिलिस्तीनी चुनाव जीते थे और इसलिए प्रधान मंत्री बने.
माना जाता है कि जहर, लगभग साठ साल का है, हमास की स्थापना के समय से ही उसके साथ है और हमास के संस्थापक अहमद यासीन का करीबी था. वह हमास के सह-संस्थापक और गाजा पट्टी में हमास नेतृत्व का सदस्य . अल-जहर ने मार्च 2006 में हमास के प्रभुत्व वाली फिलिस्तीनी प्राधिकरण सरकार में विदेश मंत्री के रूप में कार्य किया.
अब्द अल-फतह दुखन (अब मृत)
एक रिपोर्ट के अनुसार, हमास के संस्थापक सदस्य अब्द अल-फतह दुखन, जिसे अबू ओसामा के नाम से भी जाना जाता है, मंगलवार को गाजा पर इजरायली हवाई हमले में मारा गया. अब्द अल-फतह दुखन ने 1987 का हमास का चार्टर तैयार किया था. जिसमें इजरायल को खत्म करने की अपील की गई थी.
इस बीच, इजरायली एयरफोर्स ने दावा किया है कि हाल के हवाई हमलों में हमास के दो अन्य शीर्ष अधिकारी भी मारे गए. इनमें पोलित ब्यूरो के एक वरिष्ठ सदस्य जकारिया अबू मामार और समूह के अर्थव्यवस्था मंत्री जवाद अबू शमाला शामिल है. जकारिया हमास से जुड़े फैसले लेने वाली कमेटी में शामिल था और वह इजरायल के खिलाफ कई आतंकवादी गतिविधियों की साजिश रचने में शामिल था.
अबू शमाला ने संगठन के वित्त का प्रबंधन किया और गाजा पट्टी के अंदर और बाहर आतंकवाद के वित्तपोषण और निर्देशन के लिए धन निर्धारित किया.
जियाद अल-नखला 28 सितंबर 2018 से फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद (पीआईजे) का नेता है, जिसे संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोपीय संघ, यूनाइटेड किंगडम, जापान, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और इजरायल द्वारा एक आतंकवादी संगठन घोषित किया है. अल-नखला को 2014 में अमेरिका ने आतंकवादी घोषित किया था.
कहा जाता है कि अल-नखलाह वर्तमान में लेबनान या सीरिया में रहता है. माना जाता है कि वह ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स (आईआरजीसी) के साथ मजबूत संबंध बनाए रखता है. उनका समूह, पीआईजे, मुख्य रूप से ईरान और सीरिया द्वारा फंडित है.
फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद भी हमास के साथ 7 अक्टूबर के हमलों में हिस्सा लिया था. इस संगठन ने कम से कम 30 इजरायलियों को बंधक बना रखा है, इसलिए वह हिटलिस्ट में है.
(रिपोर्ट- फरान जेफरी)
फरान जेफरी यूके स्थित काउंटर इस्लामिक टेररिज्म थिंक टैंक, इस्लामिक थियोलॉजी ऑफ काउंटर टेररिज्म (आईटीसीटी) के डिप्टी डायरेक्टर हैं.