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ग्रीनलैंड, पनामा नहर, कनाडा... क्या है 'मैनिफेस्ट डेस्टिनी' जिसके तहत अमेरिका का विस्तार चाहते हैं ट्रंप

डोनाल्ड ट्रंप ने सत्ता में आते ही अपनी विस्तारवादी योजनाएं साफ कर दी है. वो ग्रीनलैंड की खरीदना चाहते हैं, पनामा नहर पर दोबारा नियंत्रण की बात कर रहे हैं और कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य बनने का प्रस्ताव दे रहे हैं. ट्रंप की इन नीतियों में अमेरिका की ऐतिहासिक अवधारणा मैनिफेस्ट डेस्टिनी की झलक देखने को मिलती है.

डोनाल्ड ट्रंप सदियों पुरानी अमेरिकी विचारधारा मैनिफेस्ट डेस्टिनी को फिर से जगा रहे हैं (Photo- Reuter) डोनाल्ड ट्रंप सदियों पुरानी अमेरिकी विचारधारा मैनिफेस्ट डेस्टिनी को फिर से जगा रहे हैं (Photo- Reuter)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 01 फरवरी 2025,
  • अपडेटेड 2:00 PM IST

19वीं सदी में अमेरिका में एक मान्यता प्रचलित थी कि अमेरिकियों का उत्तरी अमेरिकी महाद्वीप में अपने क्षेत्र का विस्तार करना तय है. इस मान्यता को मैनिफेस्ट डेस्टिनी कहा गया. यह शब्द पत्रकार जॉन एल. ओ'सुलिवन ने 1845 में गढ़ा था. सुलिवन ने तब लिखा था कि अमेरिका को पूरे महाद्वीप में लोकतांत्रिक मूल्यों, सभ्यता का दावा करने और उसे फैलाने का अधिकार है. यह विचारधारा उत्तर अमेरिका में पश्चिम की तरफ अमेरिका के विस्तार की शक्ति बन गई और इसने अमेरिका की क्षेत्रीय, राजनीतिक और सामाजिक नीतियों को आकार दिया.

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मैनिफेस्ट डेस्टिनी की जड़ें 1800 के दशक की शुरुआत में देखने को मिलती है जब 1776 में आजाद हुए अमेरिका ने अपने 13 उपनिवेशों से आगे विस्तार करना शुरू कर दिया. अमेरिका ने 1803 में लुइसियाना खरीदा. लुइसियाना काफी बड़ा था जिससे अमेरिका का आकार दोगुना हो गया. इस खरीद के बाद अमेरिका की मैनिफेस्ट डेस्टिनी मान्यता को बल मिला. 1840 के दशक तक आते-आते मैनिफेस्ट डेस्टिनी अमेरिकी नियंत्रण को अटलांटिक से लेकर प्रशांत महासागर तक बढ़ाने वाला राजनीतिक और सांस्कृतिक मंत्र बन गया था.

अमेरिका ने इस विचारधारा का इस्तेमाल अपने प्रसार की कई घटनाओं को सही ठहराने के लिए किया. जैसे- 1845 में टेक्सास को अमेरिका में मिलाना, ओरेगन ट्रेल समझौता और ओरेगन क्षेत्र का अधिग्रहण करना, मैक्सिकन-अमेरिकी युद्ध (1846-1848) को सही ठहराना, इस युद्ध के बाद अमेरिका और मैक्सिको में ग्वाडालूप हिडाल्गो की संधि हुई, जिसके तहत कैलिफोर्निया, एरिजोना और अन्य दक्षिण-पश्चिमी राज्यों को अमेरिका में शामिल किया गया.

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इसी विचारधारा के तहत अमेरिका ने ट्रेल ऑफ टीयर्स जैसी नीतियों के जरिए मूल अमेरिकी जनजातियों का विस्थापन और जबरन पुनर्वास कराया.

'अमेरिका सांस्कृतिक रूप से श्रेष्ठ है'

मैनिफेस्ट डेस्टिनी के तहत इस विश्वास को बढ़ाने की कोशिश की गई कि अमेरिका सांस्कृतिक रूप से श्रेष्ठ है और उसका एक मिशन लोकतांत्रिक शासन और प्रोटेस्टेंट ईसाई धर्म का प्रसार करना है.

हालांकि, इस विचारधारा के नकारात्मक परिणाम भी हुए थे, खासकर अमेरिका की मूल जनजातियों और मैक्सिको के लिए. इस विचारधारा के कारण मूल अमेरिकी जनजातियों को जबरन निष्कासन, हिंसक लड़ाइयां और पैतृक जमीनों को नुकसान का सामना करना पड़ा. इस विचारधारा के कारण अमेरिका का मैक्सिको के साथ तनाव युद्ध में बदल गया.

मैनिफेस्ट डेस्टिनी की वजह से अमेरिका में दासता यानी गुलामी प्रथा को लेकर राजनीतिक विभाजन भी देखने को मिला. जैसे-जैसे अमेरिका ने नए क्षेत्रों का अधिग्रहण किया, इस बात पर बहस शुरू हुई कि क्या दास प्रथा को अमेरिका में अनुमति दी जाएगी या नहीं. इससे क्षेत्रीय तनाव और बढ़ा और अमेरिका गृहयुद्ध की चपेट में आ गया.

डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में आते ही एक बार फिर छिड़ी मैनिफेस्ट डेस्टिनी पर चर्चा

मैनिफेस्ट डेस्टिनी की अवधारणा अब एक राजनीतिक सिद्धांत नहीं रह गई है, बल्कि यह एक प्रतीकात्मक और ऐतिहासिक संदर्भ बन गई है. कुछ विश्लेषकों का कहना है कि आज के अमेरिका की विदेश नीति कभी-कभी हस्तक्षेपवादी हो जाती है. वैश्विक मंच पर अमेरिकी मूल्यों का प्रचार किया जाता है और इन सब में मैनिफेस्ट डेस्टिनी विचारधारा की झलक दिखती है.

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डोनाल्ड ट्रंप ने जगा दी मैनिफेस्ट डेस्टिनी की भावना

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मैनिफेस्ट डेस्टिनी की भावना को फिर से जगा दिया है. ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में नीतियों को लेकर जो बयान दिए, उनमें उन्होंने राष्ट्रवाद, धर्म और क्षेत्रीय महत्वाकांक्षाओं पर जोर दिया है.

ट्रंप ने साफ कहा है कि वो ग्रीनलैंड को अमेरिका में मिलाना चाहते हैं और उन्होंने संकेत दिया है कि इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए वो सैन्य तरीके भी अपना सकते हैं.ट्रंप ने पनामा नहर पर अमेरिकी नियंत्रण को दोबारा स्थापित करने की भी बात कही है.

उन्होंने कनाडा को भी प्रस्ताव दिया है कि वो अमेरिका का 51वां राज्य बन जाए. ट्रंप के इन खुले बयानों से संबंधित देश बेहद नाराज हुए हैं और इससे एक वैश्विक बहस छिड़ गई है. ट्रंप का आक्रामक रुख अमेरिका के ऐतिहासिक विस्तारवाद के जैसा है लेकिन उन्हें कई मोर्चों पर नाराजगी का सामना करना पड़ा है. ग्रीनलैंड, पनामा और कनाडा सभी ने ट्रंप के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया है. 

राष्ट्रपति ट्रंप मैनिफेस्ट डेस्टिनी विचारधारा को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं और इसका उदाहरण ट्रंप के एक अनुरोध में देखने को मिलता है. ट्रंप ने अमेरिका के विवादित राष्ट्रपति एंड्रयू जैक्सन की विरासत का हवाला देते हुए ओवल ऑफिस में उनकी तस्वीर लगाने का अनुरोध किया है.

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राष्ट्रपति जैक्सन के प्रशासन के तहत ही ट्रेल ऑफ टियर्स घटना हुई थी जिसमें हजारों मूल अमेरिकियों को विस्थापित होना पड़ा था.

ट्रंप ने शपथ ग्रहण के दौरान भी मैनिफेस्ट डेस्टिनी की विचारधारा को आगे बढ़ाने वाली बात कही. उन्होंने कहा, 'मुझे अमेरिका को फिर से महान बनाने के लिए भगवान ने बचाया था.'

ट्रंप की सोच हालांकि, मैनिफेस्ट डेस्टिनी की अवधारणा से भी आगे है. उन्होंने शपथ ग्रहण में कहा था, 'हम अपने भाग्य को सितारों में बनाएंगे, अमेरिकी अंतरिक्ष यात्रियों को मंगल ग्रह पर सितारे लगाने के लिए भेजेंगे.'

ट्रंप के इन बयानों से राष्ट्रवाद और क्षेत्रीय महत्वाकांक्षा को लेकर बहस छिड़ गई है कि ये प्रस्ताव वैश्विक मंच पर अमेरिका की स्थिति को कैसे प्रभावित करेंगे. फिलहाल, दुनिया आधुनिक राजनीति में बीते युग की एक अवधारणा को फिर से जागते हुए देख रहे है.

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