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चुनाव में खंडित जनादेश के बाद पाकिस्तान में अब क्या हो रहा है?

चुनाव नतीजों से साफ है कि पाकिस्तान को त्रिशंकु संसद का सामना करना पड़ेगा. चुनावी घोषणा में काफी देरी हुई जिसके बाद वहां की कई राजनीतिक पार्टियों ने चुनाव में धांधली की शिकायत की और कुछ राजनीतिक पार्टियों ने तो विरोध प्रदर्शन भी किया.

पाकिस्तान के आम चुनावों में इमरान खान समर्थित निर्दलीय उम्मीदवारों का दबदबा. (फाइल फोटो) पाकिस्तान के आम चुनावों में इमरान खान समर्थित निर्दलीय उम्मीदवारों का दबदबा. (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली ,
  • 11 फरवरी 2024,
  • अपडेटेड 4:36 PM IST

आर्थिक संकट और नकदी की समस्या से जूझ रहे पाकिस्तान में हुए आम चुनाव के नतीजों के बाद वहां राजनीतिक संकट भी गहराता हुआ नजर आ रहा है. पाकिस्तान में गुरुवार को आम चुनाव हुए थे जिनमें 265 सीटों पर मतदान हुआ था. अब तक 264 सीटों के नतीजे घोषित कर दिए गए हैं. पाकिस्तान चुनाव आयोग (ईसीपी) ने एनए 88 सीट का परिणाम धोखाधड़ी की शिकायतों के बाद रोक दिया था. शिकायतों को निपटने के बाद इस सीट पर परिणाम की घोषणा होगी. इसके अलावा एक सीट पर एक उम्मीदवार की मौत के कारण चुनाव को स्थगित करना पड़ा था. पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में सरकार बनाने के लिए किसी दल को 265 में से 133 सीटें जीतनी होंगी. चुनाव नतीजों से साफ है कि पाकिस्तान को त्रिशंकु संसद का सामना करना पड़ेगा. चुनावी घोषणा में काफी देरी हुई जिसके बाद वहां की कई राजनीतिक पार्टियों ने चुनाव में धांधली की शिकायत की और कुछ राजनीतिक पार्टियों ने तो विरोध प्रदर्शन भी किया.

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ऐसा रहा चुनाव परिणाम 

चुनाव नतीजों पर अगर नजर डालें तो कई मामलों मे सजा काट रहे पूर्व प्रधान मंत्री इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) द्वारा समर्थित इंडिपेंडेंट उम्मीदवार ने 266 सदस्यीय नेशनल असेंबली में 101 सीटें प्राप्त करके जनमत का सबसे बड़ा हिस्सा अपने नाम किया है. इसके बाद तीन बार प्रधानमंत्री रह चुके नवाज शरीफ की पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) 75 सीटों के साथ दूसरे नंबर पर है. अगर तकनीकी रूप से देखा जाए तो नवाज की पार्टी फिलहाल संसद में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. वहीं बिलावल जरदारी भुट्टो की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी को 54 सीटें हाथ लगी है जबकि विभाजन के दौरान भारत से गए उर्दू भाषी लोगों की कराची स्थित मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट पाकिस्तान (एमक्यूएम-पी) को आम चुनाव में 17 सीटें मिलीं हैं. अन्य छोटी पार्टियों ने 12 सीटों पर जीत हासिल की है. 

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सरकार बनाने के लिए बैठकों का दौर शुरू 
 
वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान में राजनीतिक दलों ने सरकार गठन को लेकर अपने प्रयास तेज कर दिए हैं. पूर्व प्रधान मंत्री और पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) के सुप्रीमो नवाज शरीफ ने पाकिस्तान को मौजूदा कठिनाइयों से बाहर निकालने के लिए एक साथ मिलकर सरकार बनाने का आह्वान किया था जिसे शनिवार को पाकिस्तान की सेना का समर्थन मिला. पीएमएल सुप्रीमो नवाज शरीफ ने अपने छोटे भाई और पूर्व प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को इस मसले पर बांकी पार्टियों और जीते हुए उम्मीदवारों से बातचीत करने का जिम्मा सौंपा है. वह पहले ही पीपीपी के वरिष्ठ नेताओं से मिल चुके हैं. एमक्यूएम-पी का एक डेलीगेशन डॉ. खालिद मकबूल सिद्दीकी के नेतृत्व में लाहौर में है. उन्होंने शहबाज के साथ बैठक कर लिया है और नवाज शरीफ के साथ एक बड़ी बैठक हो रही है जिसमें बैठक में पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एन) के अध्यक्ष शहबाज शरीफ, मरियम नवाज और अन्य नेता भी भाग ले रहे हैं.

उधर एमक्यूएम-पी नेता का कहना है कि उनकी पार्टी का गठबंधन पीएमएल-एन के साथ सहजता के साथ चल सकता क्योंकि पीपीपी या अन्य पार्टियों के जैसा दोनों पार्टियां का कॉमपीटीसन कराची में नहीं है. इससे पहले पाक सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने भी बीते दिन सभी "लोकतांत्रिक ताकतों" को एक साथ आकार सरकार बनाने का आग्रह किया था. इस बीच पीटीआई नेता गौहर खान ने भी उनकी पार्टी द्वारा सरकार बनाने की बात कही है लेकिन देश के पॉलिटिकल एनालिस्ट का कहना है कि ऐसा कर पाना उनके लिए संभव नहीं है. इसके अलावा आज पीपीपी नेता आसिफ अली जरदारी एक बैठक कर सकते हैं जिसमें इस बात पर चर्चा होगी की फिलहाल की प्रस्तावित गठबंधन कैसे काम करेगी. 

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ऐसे पीटीआई में शामिल हो सकते हैं जीते हुए निर्दलीय उम्मीदवार  

दूसरी ओर पाकिस्तान इंस्टीट्यूट ऑफ लेजिस्लेटिव डेवलपमेंट एंड ट्रांसपेरेंसी (PILDAT) के प्रमुख ने यह भी बताया की यदि पीटीआई से जीते हुए उम्मीदवार फिर से पीटीआई में शामिल होना चाहें तो ऐसा संभव है लेकिन यह एक लंबा रास्ता होगा, साथ ही इसके लिए पार्टी के पास चुनाव चिन्ह होना चाहिए. पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट और पाकिस्तान चुनाव आयोग ने पीटीआई के निशान क्रिकेट बैट के उपयोग पर रोक लगा दी थी जिसके बाद पीटीआई उम्मीदवारों को निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरना पड़ा था. इसलिए, अगर वे फिर से पीटीआई में शामिल होना चाहते हैं, तो पार्टी को इंट्रा-पार्टी चुनाव करावाना होगा और अपना सिम्बल या कोई अन्य निशान वापस लेना होगा. 
 

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