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शानदार फिल्मों का वो चस्का कि North Korea के तानाशाह ने एक्ट्रेस को ही करवा लिया अगवा

अस्सी का दशक था, जब दक्षिण कोरिया की मशहूर एक्ट्रेस चोउ-अन-हि को हांगकांग में बिजनेस डील के बहाने बुलाकर अगवा कर लिया गया. होश में आने पर वे दुश्मन देश की कैद में थीं. वहां उनसे फिल्में बनाने को कहा गया. उन्हें न सोने की इजाजत थी, न बीमार होने की. बस, ऐसी फिल्में बनानी थीं, जिनसे नॉर्थ कोरिया सबकी नजर में हीरो बन जाए.

उत्तर कोरिया दुनिया के सबसे आइसोलेटेड देशों में से है, जहां से खबरें मुश्किल से बाहर आ पाती हैं. सांकेतिक फोटो (Getty Images) उत्तर कोरिया दुनिया के सबसे आइसोलेटेड देशों में से है, जहां से खबरें मुश्किल से बाहर आ पाती हैं. सांकेतिक फोटो (Getty Images)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 07 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 12:48 PM IST

उत्तर कोरिया से खबर आ रही है कि वहां दक्षिण कोरियाई सिनेमा देखने वाले दो युवकों को मौत की सजा मिली. कथित तौर पर उन्हें सबके सामने एक मैदान में मारा गया ताकि बाकियों को भी सबक मिले. एक ओर तो इस देश में वेस्ट और दक्षिण कोरिया से इतनी नफरत दिखती है, दूसरी तरफ किम जोंग के ही पिता ने एक साउथ कोरियाई एक्ट्रेस और उनके डायरेक्टर पति को अगवा करवा लिया था ताकि नॉर्थ कोरिया में भी शानदार फिल्में बन सकें. 

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इंटरनेशनल स्तर की फिल्में चाहते थे

बात 1966 की है, जब किम जोंग इल उत्तर कोरिया के आर्ट डिवीजन के डायरेक्टर बन गए. इल को फिल्मों का भारी शौक था. शुरुआत में वे ऐसी फिल्में बनवाते, जिसमें उनके खानदान की तारीफें हों. धीरे-धीरे इल इससे ऊबने लगे. वे चाहते थे कि उनके देश में ऐसी फिल्में बनें, जिसे पश्चिम भी देखे. मजेदार बात है कि इल को पश्चिम से खासी नफरत थी, और देश में अमेरिकी या साउथ कोरियाई फिल्मों पर बैन था. 

किम जोंग इल को फिल्मों को भारी शौक था, और उनकी लाइब्रेरी में उस दौर में 15 हजार से ज्यादा विदेशी फिल्में थीं. सांकेतिक फोटो (Getty Images)

अगवा करने का आइडिया सूझा

कोरियाई मामलों के जानकार लेखक ब्रेडली के मार्टिन ने अपनी किताब 'द लविंग केयर ऑफ फादरली लीडर' में इल के गुस्से का जिक्र किया है. इल फिल्म बनाने वालों को सजा देने लगे क्योंकि वे वेस्ट जैसी फिल्में नहीं बना पा रहे थे. फिर उन्हें एक नया तरीका सूझा. क्यों ने दक्षिण कोरिया के ही किसी फिल्म डायरेक्टर और किसी हीरोइन को उठा लिया जाए ताकि उनके यहां भी उम्दा मूवीज बन सकें. 

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बिजनेस डील के बहाने बुलाया गया

उस दौर में चोउ-अन-हि साउथ कोरियन फिल्मों का सबसे बड़ा नाम थीं. उन्हें एक फिल्म डील के बहाने हांगकांग बुलाया गया, जहां एक स्पीड बोट उनका इंतजार कर रही थी. यहीं से उन्हें अगवा किया गया और नॉर्थ कोरिया की एक इमारत में कैद कर लिया गया. ये जनवरी 1978 की बात है. 

बढ़िया कमरे में बढ़िया खाना मिलता, लेकिन बाहर जाने की नहीं थी इजाजत

बाद में बचकर भागी एक्ट्रेस ने एक ब्रिटिश डॉक्युमेंट्री 'द लवर्स एंड द डिस्पॉट' में बताया कि उन्हें एक आलीशान इमारत में कैद रखा गया था, जिसे बाकी लोग बिल्डिंग नंबर 1 कहते. शुरुआत में उन्हें बाहर भी नहीं निकलने दिया गया. कुछ रोज बाद इल खुद आए और उन्हें अपने देश की सारी जरूरी चीजें दिखाने ले गए. बकौल एक्ट्रेस तानाशाह कुछ इस तरह से बात करता था, मानो वे अपहरण करके नहीं, बल्कि अपनी मर्जी से उनके देश आई हों. 

दक्षिण कोरियाई एक्ट्रेस को प्योंगयांग की आलीशान इमारत में कैद करके सालों तक रखा गया. सांकेतिक फोटो (AFP)

कुछ समय बाद हीरोइन के पास एक प्राइवेट ट्यूटर आया, जिसने उन्हें नॉर्थ कोरियाई लीडरों की उपलब्धियां बतानी शुरू कीं. इल चाहते थे कि एक्ट्रेस सबकुछ समझ जाए और उसी हिसाब से नई फिल्में बनाई जाएं. 

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पूर्व पति भी थे कैद में

ये तो हुआ हीरोइन को अगवा करने का चैप्टर, लेकिन इसका दूसरा हिस्सा भी है. एक्ट्रेस को पता ही नहीं था कि उसी देश के एक हिस्से में उनके पूर्व पति शिन संग ओके को भी पकड़कर रखा गया है. पूर्व पति साउथ कोरिया के नामी फिल्म डायरेक्टर थे. वे भी उठाकर लाए जा चुके थे, लेकिन अलग कैदखाने में थे. अफसर ये पक्का करते कि दोनों की कहीं भी मुलाकात न हो, जब तक कि वे फिल्में बनाने को राजी न हो जाएं. 

कैद के पूरे पांच सालों बाद दोनों को एक पार्टी में मिलाया गया

अब तक दोनों ही इतना थक चुके थे कि उत्तर कोरिया के लिए फिल्में बनाने को राजी थे. यहीं से असली मुश्किल शुरू हुई. डायरेक्टर और एक्ट्रेस दोनों को इल की पर्सनल फिल्म लाइब्रेरी में भेज दिया गया. वहीं एक छोटे कमरे में वे रहते. दोनों को आदेश मिला कि वे रोज 4 फिल्में देखकर उनके बारे में लिखें और नई स्क्रिप्ट तैयार करनी शुरू करें. 

शिन संग ओके साठ के दौर में दक्षिण कोरिया के सबसे नामी फिल्म डायरेक्टर हुए करते. (Getty Images)

इस तरह की फिल्में बनने लगीं

डाक्युमेंट्री में एक्ट्रेस ने बताया कि अगले लगभग 2 साल के दौरान दोनों को रात में मुश्किल से 3 घंटे सोने मिलता. बीमार होने पर उन्हें आराम करने की इजाजत तक नहीं थी. आखिरकार दोनों ने मिलकर इतने से वक्त में 17 फिल्में बनाई. ज्यादातर में किम जोंग इल के परिवार का बखान था. कुछ अलग तरह की फिल्में भी बनीं, जैसे सुपरनेचुरल चरित्रों पर बेस्ड. और सबसे मजेदार ये था कि उन फिल्मों में रोमांस भी था, जो कि तब नॉर्थ कोरियाई फिल्मों में एकदम वर्जित था. 

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इन सभी फिल्मों को इंटरनेशनल स्तर पर उतारने की कोशिश भी चलती रही. किसी को शक न हो, इसलिए तानाशाह ने प्रेस कॉफ्रेंस में दोनों से ये भी कहलवाया कि वे अपनी मर्जी से अपना देश छोड़कर नॉर्थ कोरिया में रह रहे हैं और फिल्में बना रहे हैं.

इंटरनेशनल फिल्म बनाने का झांसा देकर भागे

आखिरकार साल 1986 में इस कपल को भागने का मौका मिल सका. दोनों विएना में नॉर्थ कोरियाई फिल्म का एक कंसेप्ट लेकर पहुंचे थे. वहां चौबीसों घंटे उनके आसपास किम के सिक्योरिटी गार्ड्स रहते. हालांकि किसी तरह से उन्हें चकमा देकर दोनों बच निकले और वहां से सीधा यूएस एंबेसी पहुंचे, जहां से होते हुए अमेरिका में शरण ली. 

नॉर्थ कोरियाई फिल्मों में अमेरिका को खलनायक की तरह दिखाया जाता है. सांकेतिक फोटो (Pixabay)

दोनों पर गबन का लगा दिया आरोप

दूसरी तरफ बौखलाए हुए उत्तर कोरिया ने स्टेटमेंट जारी किया कि दोनों ही अपनी मर्जी से उनके यहां आए थे और पैसों का भारी हेरफेर करने के बाद झूठी कहानियां बनाकर भाग निकले. हालांकि शायद ही किसी ने इस बात पर भरोसा किया हो क्योंकि तत्कालीन तानाशाह इल का फिल्मों को लेकर जुनून लगभग सब जानते थे.

भले ही साउथ कोरियाई एक्ट्रेस और डायरेक्टर कुछ वक्त ही रहे हों, लेकिन उन्होंने जो फिल्में बनाईं, उसे देखकर नॉर्थ कोरियन लोगों ने भी फिल्में बनाना सीख लिया. लगभग 3 दशक तक उत्तर कोरियाई फिल्म इंडस्ट्री को देख चुके अमेरिकी लेखक जोहेंस शौनेर ने अपनी किताब 'नॉर्थ कोरियन सिनेमा- ए हिस्ट्री' में दावा किया कि उसके बाद बनी हर फिल्म पर इन्हीं दोनों की छाप मिलती है. 

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अपने नेताओं को सबकुछ मानने का चलन नॉर्थ कोरिया समेत लगभग सारे कम्युनिस्ट देशों में दिखता रहा. सांकेतिक फोटो (AFP)

अमेरिका बनता है खलनायक

उत्तर कोरिया अमेरिका को अपना सबसे बड़ा दुश्मन मानता है, ये बात वहां की फिल्में देखकर भी समझ आ जाएंगी. असल में होता ये है कि वहां की लगभग हर मूवी में कोई न कोई विलेन होता है, जो अमेरिकी होता है. अक्सर यहां के फिल्म डायरेक्टर अमेरिकी स्टूडेंट्स को भारी पैसों का लालच देकर अपनी फिल्मों में खलनायकी करवाते हैं. जापान भी उनकी हिट लिस्ट में रहता है. 

किम परिवार का गुणगान 

एक और बात जो वहां की कमोबेश सारी फिल्मों में होती है, वो है किम परिवार के पुरुषों का बखान. वो भी सीधे-सीधे नहीं, घुमा-फिराकर. जैसे किसी फिल्म में पहाड़ पर चढ़ने की प्रतियोगिता है, जिसमें किसी कमजोर इंसान ने भी हिस्सा लिया. वो पहाड़ पर चढ़ने से पहले ही हारने लगेगा कि तभी उसे रास्ते में कार के टायर दिखेंगे. ये किम जोंग की कार के निशान हैं. कमजोर शख्स उसे छुएगा और खुशी से रोते हुए ही सारा पहाड़ मिनटों में चढ़ जाएगा. 
 

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