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कोका-कोला, डाइट कोक में मिले इस चीज से हो सकता है कैंसर! WHO उठाने वाला है बड़ा कदम

एस्पार्टेम दुनिया के सबसे आम कृत्रिम स्वीटनर्स में शामिल है. इसका इस्तेमाल कोका-कोला, डाइट सोडा से लेकर मार्स एक्स्ट्रा च्यूइंग गम और चाय, जूस के ब्रांड स्नैपल के कुछ ड्रिंक्स में किया जाता है. इसे लेकर अगले महीने विश्व स्वास्थ्य संगठन बड़ा फैसला लेने वाली है.

अधिक डाइट कोक का सेवन खतरनाक हो सकता है (Photo- Reuters) अधिक डाइट कोक का सेवन खतरनाक हो सकता है (Photo- Reuters)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 30 जून 2023,
  • अपडेटेड 9:01 PM IST

डाइट कोक में इस्तेमाल किए जाने वाला दुनिया के सबसे आम कृत्रिम स्वीटनर्स में से एक एस्पार्टेम (Aspartame) संभावित रूप से कैंसर पैदा करता है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने मामले की जानकारी रखने वाले दो सूत्रों के हवाले से बताया है कि अगले महीने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) इसे कैंसर पैदा करने वाला कृत्रिम स्वीटनर घोषित करने वाला है.

एस्पार्टेम कोका-कोला, डाइट सोडा से लेकर मार्स एक्स्ट्रा च्यूइंग गम और चाय, जूस के ब्रांड स्नैपल के कुछ ड्रिंक्स में इस्तेमाल किया जाता है. सूत्रों ने बताया कि डब्ल्यूएचओ की कैंसर अनुसंधान शाखा और इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (IARC) एस्पार्टेम को 'संभवतः मनुष्यों में कैंसर पैदा करने वाला' के रूप में लिस्टेड करेंगे.

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IARC ने इस महीने की शुरुआत में बाहरी विशेषज्ञों की एक बैठक बुलाई थी जिसका मकसद एस्पार्टेम को लेकर अब तक छपे साक्ष्यों के आधार पर इस बात का आंकलन करना था कि इसमें संभावित खतरा है भी या नहीं.

IARC ने मीटिंग के बाद अपने निष्कर्ष में इस बात पर कुछ नहीं कहा कि कोई व्यक्ति किसी प्रोडक्ट की कितनी मात्रा सुरक्षित रूप से सेवन कर सकता है. कोई व्यक्ति किसी प्रोडक्ट का कितनी मात्रा इस्तेमाल कर सकता है, इसकी सलाह राष्ट्रीय नियामकों के साथ-साथ WHO की एक विशेषज्ञ समिति करती है जिसे JECFA (the Joint WHO and Food and Agriculture Organization's Expert Committee on Food Additives) करती है.

IARC के पूर्व में किए गए आंकलन का असर

हालांकि, इससे पहले जब भी IARC ने किसी उत्पाद के इस्तेमाल को लेकर उपभोक्ता से चिंता जताई है, उस प्रोडक्ट को कानूनी पचड़े में फंसना पड़ा है. इसकी चिंताओं ने कई प्रोडक्ट्स को अपनी रेसिपी में बदलाव करने तक के लिए बाधित कर दिया है. इसे लेकर IARC की आलोचना भी होती रही है कि इसके आंकलन उपभोक्ताओं को भ्रमित कर सकते हैं.

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मिलावट पर डब्ल्यूएचओ की समिति JECFA भी इस साल एस्पार्टेम के इस्तेमाल की समीक्षा कर रही है. इसकी बैठक जून के अंत में शुरू हुई और यह अपना फैसला उसी दिन सुनाएगी जिस दिन IARC अपना फैसला सार्वजनिक करेगा यानी 14 जुलाई को.

1981 से ही JECFA का कहना रहा है कि एक दिन में एस्पार्टेम की एक निश्चित मात्रा का सेवना करना सुरक्षित है. उदाहरण के लिए, 60 किलोग्राम वजन वाला एक युवा व्यक्ति अगर हर दिन 12-36 कैन डाइट सोडा पीता है, तब उसकी सेहत को खतरा होता है. JECFA के इस बात को यूरोप और अमेरिका के राष्ट्रीय नियामक भी मानते हैं.

IARC के एक प्रवक्ता ने रॉयटर्स को बताया कि IARC और JECFA दोनों के ही फैसले एक-दूसरे के पूरक हैं यानी दोनों एक-दूसरे के बात को आगे बढ़ाने की काम करते हैं. IARC ने एस्पार्टेम में संभावित कैंसर को समझने के लिए पहला मौलिक कदम उठाया वहीं, JECFA एस्पार्टेम के खतरों का मूल्यांकन करती है. यह निर्धारित करती है कि एस्पार्टेम की किसी खास मात्रा को लेने पर जोखिम का स्तर क्या रहेगा.

आगामी फैसले को लेकर डरी हुई है इंडस्ट्री

हालांकि, रॉयटर्स ने अमेरिका और जापान के राष्ट्रीय नियामकों के पत्र को देखा है जिसके अनुसार, फूड इंडस्ट्री और नियामकों को इस बात का डर है कि दोनों संस्थाओं के फैसले को एक ही समय में सामने लाना भ्रमित करने वाला हो सकता है.

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जापान के स्वास्थ्य, श्रम और कल्याण मंत्रालय के एक अधिकारी नोजोमी टोमिता ने 27 मार्च को डब्ल्यूएचओ के उप निदेशक जुजसन्ना जैकब को लिखे एक पत्र में कहा, 'हम दोनों निकायों से जनता के बीच किसी भी भ्रम या चिंता से बचने के लिए एस्पार्टेम की समीक्षा में मिलकर काम करने के लिए कहते हैं.'

पत्र में दोनों निकायों से आह्वान किया गया कि वो अपनी फैसलों को एक ही दिन जारी करें, जैसा कि अब हो भी रहा है.

जब IARC के फैसले के बाद कंपनी को कोर्ट ले गए उपभोक्ता

IARC के एस्पार्टेम पर आगामी फैसले का बड़ा असर हो सकता है. साल 2015 में इसकी समिति ने कहा था कि ग्लाइफोसेट 'संभवतः कैंसर पैदा करने वाला' है. लेकिन बाद के सालों में यूरोपीय खाद्य सुरक्षा प्राधिकरण (EFSA) जैसे अन्य निकायों ने इसका विरोध किया था, बावजूद इसके कंपनियां अभी भी IARC के फैसले के प्रभाव को महसूस कर रही हैं. 

IARC के फैसले के बाद ही कई उपभोक्ताओं ने जर्मनी की कंपनी Bayer पर आरोप लगाया था कि ग्लासोफेट मिले उसके खरपतवारनाशी के कारण उन्हें कैंसर का शिकार होना पड़ा. उपभोक्ता कंपनी को कोर्ट तक ले गए और उससे हर्जाने की मांग की. कंपनी ने 2021 में कोर्ट में तीसरी बार अपील की थी कि उसके प्रोडक्ट से लोगों को कैंसर होने के पर्याप्त सबूत नहीं है लेकिन उसकी अपील को कोर्ट ने खारिज कर दिया था.

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IARC की आलोचना

IARC के फैसलों को अनावश्यक चिंता पैदा करने के लिए भी आलोचनाओं का शिकार होना पड़ा है. इसने पहले अपने एक आकलन में रात भर काम करने और रेड मीट का सेवन करने को 'संभवतः कैंसर पैदा करना वाला' कहा था. इसने यह भी कहा था कि मोबाइल फोन का इस्तेमान करना एस्पार्टेम के सेवन करने जैसा ही 'संभवतः कैंसर पैदा' करता है.

इंटरनेशनल स्वीटनर्स एसोसिएशन (ISA) के महासचिव फ्रांसिस हंट-वुड कहते हैं, 'IARC कोई खाद्य सुरक्षा निकाय नहीं है और एस्पार्टेम की उनकी समीक्षा वैज्ञानिक रूप से व्यापक नहीं है. उनकी यह समीक्षा के लिए जो शोध है, उसकी भी विश्वसनीयता नहीं है.' उनका कहना है कि IARC के रिव्यू को लेकर गंभीर चिंताएं हैं जो उपभोक्ताओं को गुमराह कर सकती है.

एस्पार्टेम पर कई अध्ययन हो चुके हैं. पिछले साल, फ्रांस में 100,000 युवाओं पर हुए एक शोध में देखा गया था कि जो लोग बड़ी मात्रा में कृत्रिम मिठास का सेवन करते हैं, जिसमें एस्पार्टेम भी शामिल है, उनमें कैंसर का खतरा थोड़ा अधिक था. साल 2000 में इटनी के रामाजिनी इंस्टीट्यूट ने अपने अध्ययन में बताया था कि चूहों में कुछ कैंसर एस्पार्टेम से जुड़े थे. 

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