
हेलिकॉप्टर दुर्घटना में ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की मौत होने के बाद अगला राष्ट्रपति कौन होगा इसे लेकर लोगों के मन में जिज्ञासा है. ईरान के 85 वर्षीय सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई के उत्तराधिकारी माने जा रहे रईसी की अकास्मिक मृत्यु का प्रभाव मध्य पूर्व में सबसे शक्तिशाली पदों में से एक के भविष्य पर भी पड़ेगा. ईरानी संविधान का अनुच्छेद 131 कहता है कि यदि राष्ट्रपति का उनके कार्यकाल के दौरान निधन हो जाता है, तो पहला उपराष्ट्रपति अस्थायी राष्ट्रपति पद ग्रहण करता है, जो सर्वोच्च नेता की पुष्टि के अधीन है.
वर्तमान में मोहम्मद मोखबर ईरान के प्रथम उपराष्ट्रपति हैं. यदि ईरानी संविधान के अनुसार जाएं तो वही इब्राहिम रईसी के उत्तराधिकारी होंगे. लेकिन उनकी राष्ट्रपति पद पर नियुक्ति सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई की मंजूरी पर निर्भर करेगी. इसके अतिरिक्त, प्रथम उपराष्ट्रपति, संसद अध्यक्ष और न्यायपालिका प्रमुख वाली एक परिषद को अधिकतम 50 दिनों की अवधि के भीतर एक नया राष्ट्रपति चुनाव आयोजित कराना होगा. 1 सितंबर, 1955 को जन्मे मोखबर को रईसी की तरह सर्वोच्च नेता अली खामेनेई के करीबी के रूप में देखा जाता है.
सर्वोच्च नेता खामेनेई के करीबी माने जाते हैं मोखबर
इब्राहिम रईसी को 2021 में ईरान का राष्ट्रपति चुने जाने के बाद मोहम्मद मोखबर पहले उपराष्ट्रपति बने थे. मोखबर ईरानी अधिकारियों की उस टीम का हिस्सा थे, जिन्होंने पिछले वर्ष अक्टूबर में मॉस्को का दौरा किया था और रूस की सेना को सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलों और ड्रोन की आपूर्ति करने पर सहमति व्यक्त की थी. इस टीम में ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के दो वरिष्ठ अधिकारी और सुप्रीम नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के एक अधिकारी भी शामिल थे. मोखबर ने ईरान के सर्वोच्च नेता खामेनेई से जुड़े एक इंवेस्टमेंट फंड 'सेटाड' (Setad) का नेतृत्व भी किया है. खुद खामनेई ने 2007 में उन्हें यह जिम्मेदारी सौंपी थी.
परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइल गतिविधियों में कथित संलिप्तता के लिए 2010 में यूरोपीय संघ ने मोहम्मद मोखबर पर प्रतिबंध भी लगाया था. अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने 2013 में सेटाड और उसकी देखरेख वाली 37 कंपनियों को प्रतिबंधित किया था. सेटाड का पूरा नाम सेटाड इजराय फरमाने हजरते इमाम (इमाम के आदेश को अमलीजामा पहनाने वाला मुख्यालय) है, जिसकी स्थापना इस्लामिक गणराज्य के संस्थापक, खामेनेई के पूर्ववर्ती, अयातुल्ला रुहोल्लाह खुमैनी द्वारा जारी एक आदेश के तहत की गई थी. इस आदेश में 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद के वर्षों में लावारिस संपत्तियों को बेचने और इससे होने वाली आय का बड़ा हिस्सा दान करने को कहा गया.
सर्वोच्च नेता ही ईरान में अंतिम शासक है
प्रथम उपराष्ट्रपति मोहम्मद मोखबर की प्रशासन पर भी अच्छी पकड़ है. वह वर्तमान में एक्सपीडिएंसी डिस्कर्नमेंट काउंसिल के सदस्य भी हैं. इसके पहले वह सिना बैंक में बोर्ड के अध्यक्ष और खुजेस्तान प्रांत के डिप्टी गवर्नर रह चुके हैं. उनके पास डॉक्टरेट की दो डिग्रियां हैं. हालांकि, अयातुल्ला अली खामेनेई की मंजूरी के बाद ही राष्ट्रपति पद पर उनकी नियुक्ति का रास्ता साफ होगा. ईरान में सर्वोच्च नेता 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद स्थापित एक पद है, जिसे शिया इस्लामी धर्मशास्त्र में वेलायत-ए फकीह के नाम से भी जाना जाता है. सर्वोच्च नेता ही ईरान में अंतिम शासक है और देश से संबंधित सभी प्रमुख निर्णय लेने के लिए जिम्मेदार होता है. यानी ईरान में सर्वोच्च नेता ही हेड ऑफ स्टेट और कमांडर इन चीफ होता है.
ईरान में कार्यकारी प्रमुख होता है राष्ट्रपति
ईरान में लागू इस्लामिक कानून के मुताबिक सिर्फ पुरुष ही सर्वोच्च नेता बन सकते हैं. यह पद शिया धर्मशास्त्री को ही मिलता है, जो कम से कम अयातुल्ला के पद पर होना चाहिए. ईरान में राष्ट्रपति, देश का कार्यकारी प्रमुख होता है और हर चार साल में चुनाव प्रक्रिया के द्वारा चुना जाता है. राष्ट्रपति सरकार को नियंत्रित करता है. इस पद पर नियुक्त व्यक्ति अपनी राजनीतिक पृष्ठभूमि और ताकत के आधार पर, राज्य की नीति और अर्थव्यवस्था पर काफी प्रभाव जमा सकता है. अयातुल्ला अली खामेनेई से मोहम्मद मोखबर की नजदीकियों को देखते हुए यह कह सकते हैं कि ईरान का अगला राष्ट्रपति बनने के लिए उनकी राह में काई बाधा नहीं है.