
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपनी सरकार के पतन के बाद पहली बार प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने अपने देश में गृह युद्ध जैसे हालात पैदा करने के लिए अमेरिका को जिम्मेदार ठहराया है. अपने करीबी सहयोगियों के माध्यम से मीडिया को भिजवाए एक संदेश में हसीना ने आरोप लगाया है कि अमेरिका को सेंट मार्टिन द्वीप नहीं सौंपने के कारण उन्हें सत्ता से बेदखल होना पड़ा. उन्होंने कहा है, 'मैंने इस्तीफा दे दिया, ताकि मुझे लाशों का ढेर नहीं देखना पड़े. मैं सत्ता में बनी रह सकती थी यदि मैंने सेंट मार्टिन द्वीप की संप्रभुता अमेरिका के सामने समर्पित कर दी होती.' अब सवाल उठता है कि आखिर अमेरिका सुदूर बंगाल की खाड़ी में स्थित एक छोटे से द्वीप के पीछे क्यों पड़ा है और इसे हासिल करने से उसे क्या फायदा होने वाला है?
दरअसल, सेंट मार्टिन द्वीप बंगाल की खाड़ी के उत्तरपूर्वी भाग में एक छोटा (केवल 3 वर्ग किमी क्षेत्रफल) आइलैंड है, जो कॉक्स बाजार-टेकनाफ प्रायद्वीप (Teknaf Peninsula) के सिरे से लगभग 9 किमी दक्षिण में है, और बांग्लादेश के सबसे दक्षिणी छोर का निर्माण करता है. हजारों साल पहले, यह द्वीप टेकनाफ प्रायद्वीप का ही विस्तारित हिस्सा हुआ करता था. टेकनाफ प्रायद्वीप का कुछ हिस्सा बाद में जलमग्न हो गया और इस प्रकार उसका सबसे दक्षिणी हिस्सा बांग्लादेश की मुख्य भूमि से अलग हो गया और एक द्वीप बन गया. इस द्वीप को सबसे पहले 18वीं शताब्दी में अरब के व्यापारियों ने बसाया था. उन्होंने इसका नाम 'जजीरा' रखा था.
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ब्रिटिश शासन के दौरान इस द्वीप का नाम चटगांव के तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर के नाम पर सेंट मार्टिन द्वीप रखा गया. स्थानीय लोग इस द्वीप को बंगाली भाषा में 'नारिकेल जिंजिरा' कहते हैं, जिसका अंग्रेजी में मतलब है 'कोकोनट आइलैंड'. यह बांग्लादेश का एकमात्र कोरल आइलैंड (मूंगा द्वीप) है. अमेरिका 9 किलोमीटर लंबे और 1.2 किलोमीटर चौड़े द्वीप पर इसलिए कब्जा चाहता है, ताकि वह यहां एयर बेस बना सके, जो उसे बंगाल की खाड़ी और हिंद महासागर में अपना प्रभुत्व स्थापित करने में सक्षम बनाएगा. सेंट मार्टिन द्वीप जैव विविधता, पर्यावरण, मत्स्य पालन, पर्यटन सहित कई कारणों से महत्वपूर्ण है. जियो-पॉलिटिक्स में भी इस क्षेत्र का बहुत अधिक महत्व है.
सेंट मार्टिन द्वीप का है रणनीतिक महत्व
सेंट मार्टिन की भौगोलिक स्थिति ऐसी है, जहां दुनिया में कहीं से भी समुद्र मार्ग के द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है. अतः यह एक महत्वपूर्ण जलमार्ग है. रणनीतिक दृष्टिकोण से देखें तो सेंट मार्टिन द्वीप से बंगाल की खाड़ी और आसपास के पूरे समुद्री इलाके पर नजर रखी जा सकती है. इस दृष्टि से सेंट मार्टिन बांग्लादेश के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. वहीं, दक्षिण एशिया यह सुनिश्चित करता है कि जियो-पॉलिटिक्स में शक्ति का संतुलन बना रहे. बंगाल की खाड़ी दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया के बीच एक पुल का काम कर रही है. परिणामस्वरूप, यह क्षेत्र व्यापार मार्गों के जरिए जियो-पॉलिटिक्स में देशों के साथ संबंध स्थापित करने के लिए बहुत सुविधाजनक है.
अचानक युद्ध की स्थिति में इस क्षेत्र से संपर्क स्थापित करना आसान होगा. इसलिए शक्तिशाली देश सेंट मार्टिन द्वीप की ओर देख रहे हैं. इन्हीं व्यापारिक और रणनीतिक कारणों से चीन और अमेरिका यहां अपना दबदबा बनाना चाहते हैं. और चूंकि भारत खुद बंगाल की खाड़ी के पास स्थित देश है, इसलिए अपना हित सुरक्षित रखने में सेंट मार्टिन द्वीप का उसके लिए भी काफी रणनीतिक महत्व है. अमेरिका की दिलचस्पी का कारण यही है कि अगर वह इस द्वीप पर कब्जा कर लेता है, तो यहां से पूरे क्षेत्र को नियंत्रित कर सकता है, जिसमें चीन और भारत भी शामिल हैं.
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आसान भाषा में समझें तो चीन और भारत एशिया महाद्वीप के दो सबसे शक्तिशाली देश हैं. दोनों आर्थिक और व्यापारिक रूप से दुनिया में काफी महत्व रखते हैं, और आने वाले समय में इन देशों का प्रभाव और बढ़ने वाला है. अमेरिका खुद को दुनिया का पावर सेंटर बनाए रखने के लिए चीन और भारत दोनों को नियंत्रित करना चाहेगा. इस काम के लिए उसे इस रीजन में एक जगह चाहिए, जहां वह अपना सेटअप लगा सके. इसीलिए उसकी नजर बांग्लादेश के सेंट मार्टिन द्वीप पर है. जियो-पॉलिटिक्स के विशेषज्ञ कहते रहे हैं कि अमेरिका और ब्रिटेन सहित कई पश्चिमी देश बांग्लादेश, म्यांमार और यहां तक कि भारत के कुछ हिस्सों को लेकर एक ईसाई राज्य बनाने की साजिश रच रहे हैं.
हसीना ने किया था बड़ी साजिश का खुलासा
शेख हसीना ने भी कुछ समय पहले कहा था कि बांग्लादेश और म्यांमार का कुछ हिस्सा लेकर 'पूर्वी तिमोर जैसा एक ईसाई देश' बनाने की साजिश चल रही है. हालांकि, उन्होंने भारत का नाम लेने से परहेज किया था. उन्होंने यह भी कहा था कि एक व्हाइट मैन (अंग्रेज) ने उन्हें इस साल 7 जनवरी को हुए बांग्लादेश के आम चुनावों में बिना किसी परेशानी के जीत दिलाने की पेशकश की थी, बशर्ते कि वह किसी फॉरेन कंट्री को बांग्लादेश क्षेत्र में अपना एयर स्ट्रिप स्थापित करने की अनुमति दें. यहां फिर से, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री ने उस 'व्हाइट मैन' या उसके देश के बारे में नहीं बताया था.
तब शेख हसीना ने सेंट मार्टिन द्वीप का नाम लिए बिना कहा था, 'प्राचीन काल से ही खाड़ी और हिंद महासागर के रास्ते व्यापारिक गतिविधियां होती रही हैं. कई लोगों की नजर इस जगह पर है. यहां कोई विवाद और टकराव नहीं है. मैं ऐसा नहीं होने दूंगी. और यह भी मेरे अपराधों में से एक है.' अब हसीना के करीबी अवामी लीग के कुछ नेताओं ने भी ढाका में सत्ता परिवर्तन के लिए अमेरिका को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने आरोप लगाया है कि अमेरिकी राजनयिक चीन के खिलाफ पहल करने के लिए शेख हसीना पर दबाव डाल रहे थे. आवामी लीग के नेताओं ने अमेरिकी राजदूत पीटर हास पर बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) का पक्ष लेने का आरोप लगाया है, जिन्होंने जुलाई में अपना कार्यकाल पूरा किया था.
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सेंट मार्टिन द्वीप पर करीब 3700 निवासी हैं
सेंट मार्टिन यूनियन परिषद इस द्वीप पर प्रशासनिक कामकाज देखता है. इसमें 9 गांव/क्षेत्र हैं. द्वीप के लगभग 3,700 निवासी मुख्यत: मछली बेचकर जीवन यापन करते हैं. यहां की मुख्य फसलें चावल और नारियल हैं. अक्टूबर और अप्रैल के बीच, पड़ोसी क्षेत्रों के मछुआरे अपनी पकड़ी गई मछलियों को द्वीप के अस्थायी थोक बाजार में लाते हैं. हालांकि, अन्य खाद्य पदार्थों का आयात बांग्लादेश और म्यांमार से होता है. आइलैंड के केंद्र और दक्षिण में मुख्य रूप से खेत और अस्थायी झोपड़ियां हैं, अधिकांश स्थायी संरचनाएं उत्तरी हिस्से में बनी हैं. बंगाल की खाड़ी में बरसात के मौसम में खतरनाक परिस्थितियों के कारण, सेंट मार्टिन द्वीप मुख्य भूमि (टेकनाफ) से कट जाता है. यहां के निवासियों के पास टेकनाफ जाने की कोई गुंजाइश नहीं बचती.
द्वीप बिजली के लिए सौर ऊर्जा पर निर्भर है
सेंट मार्टिन द्वीप तक पहुंचने का एकमात्र रास्ता समुद्र ही है. कॉक्स बाजार और टेकनाफ से नावें और फेरियां (ज्यादातर पर्यटकों के लिए) चलती हैं. यह बांग्लादेश का सबसे दक्षिणी हिस्सा है, जो कॉक्स बाजार शहर से 120 किमी दूर बंगाल की खाड़ी में स्थित है. 1991 में आए तूफान के बाद से बांग्लादेश नेशनल ग्रिड से सेंट मार्टिन द्वीप पर बिजली की आपूर्ति नहीं हो रही है. अधिकांश होटल रात 11 बजे तक जेनरेटर चलाते हैं, क्योंकि उसके बाद जनरेटर चलाने की अनुमति नहीं है. इसलिए सौर ऊर्जा पर निर्भरता है, जो पूरे द्वीप में लोकप्रिय है. द्वीप पर मोटर वैन या गाड़ियां नहीं चलतीं. पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश की तरह यहां भी हाथ रिक्शा प्रचलित है. द्वीपर पर कंक्रीट से बनी सड़कें हैं.
अपडेटः शेख हसीना के बेटे ने किया रिपोर्ट्स का खंडन, कहा- उन्होंने कोई बयान नहीं दिया
पूर्व पीएम शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद ने उन रिपोर्ट्स का खंडन किया है, जिनमें शेख हसीना के हवाले से कहा गया था कि, बांग्लादेश संकट में अमेरिका का हाथ है.
The recent resignation statement attributed to my mother published in a newspaper is completely false and fabricated. I have just confirmed with her that she did not make any statement either before or since leaving Dhaka
— Sajeeb Wazed (@sajeebwazed) August 11, 2024शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद ने X पर पोस्ट में लिखा कि, 'हाल ही में एक अखबार में मेरी मां के नाम से प्रकाशित इस्तीफे का बयान पूरी तरह से गलत और मनगढ़ंत है. उन्होंने ढाका छोड़ने से पहले या बाद में कोई बयान नहीं दिया है.'