
अमेरिका में इस साल 5 नवंबर को राष्ट्रपति चुनाव होना है. उससे पहले एक बड़े राजनीतिक घटनाक्रम में राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अगला चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है. एक बयान में बाइडेन ने कहा कि उन्होंने पार्टी के हित में यह फैसला लिया है. बहुत संभावना है कि कमला हैरिस आगामी चुनाव में पूर्व राष्ट्रपति और रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप का सामना करने के लिए डेमोक्रेटिक उम्मीदवार होंगी. अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या वह ट्रंप को टक्कर दे पाएंगी और जो बाइडेन के हटने से अमेरिकी चुनाव कितना बदल जाएगा? हम इन सवालों के जवाब आपको पांच पॉइंट्स में समझा रहे हैं...
1. भले ही जो बाइडेन ने राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी के लिए कमला हैरिस का समर्थन किया है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उन्हें डेमोक्रेटिक पार्टी का भी समर्थन मिल गया है. उनकी उम्मीदवारी पर अंतिम फैसला अगले महीने शिकागो में होने वाले पार्टी के कन्वेंशन में होगा. इस वर्ष की शुरुआत में आयोजित डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति पद की प्राइमरी के दौरान, बाइडेन ने 19-22 अगस्त के कन्वेंशन में सभी प्रतिनिधियों में से लगभग 95% का समर्थन हासिल किया था. जो बाइडेन के समर्थन को देखते हुए इन प्रतिनिधियों द्वारा हैरिस का समर्थन करने की संभावना है. इस तरह वह राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी हासिल करने की दौड़ में डेमोक्रेटिक पार्टी के अन्य नेताओं- कैलिफोर्निया के गवर्नर गेविन न्यूजॉम, मिशिगन के गवर्नर ग्रेचेन व्हिटमर और पेंसिल्वेनिया के गवर्नर जोश शापिरो सहित अन्य नेताओं से काफी आगे हैं.
2. कमला हैरिस अगर डेमोक्रेटिक पार्टी की राष्ट्रपति उम्मीदवार बन भी जाती हैं, फिर भी उनके लिए डोनाल्ड ट्रंप को चुनौती देना इतना आसान नहीं होगा. डोनाल्ड ट्रंप के साथ 27 जून को हुई डिबेट में जो बाइडेन का प्रदर्शन काफी कमजोर रहा था. इसके बाद से ही ये अटकलें लगाई जाने लगी थीं कि अगर ट्रंप को चुनौती देनी है तो डेमोक्रेटिक पार्टी को अपना उम्मीदवार बदलना पड़ेगा. हालांकि, हालिया सर्वेक्षणों से जो संकेत मिलते हैं उसके मुताबिक डोनाल्ड ट्रंप के सामने कमला हैरिस भी बहुत बड़ी चुनौती पेश करती नहीं नजर आतीं. हैरिस समर्थकों का तर्क है कि अब जब बाइडेन रेस से बाहर हो गए हैं तो आने वाले दिनों में ट्रंप और हैरिस के बीच डिबेट होगी. और सर्वेक्षणों के आंकड़े बदल सकते हैं. हालांकि डोनाल्ड ट्रंप ने यह कहकर कि 'जो बाइडेन की तुलना में कमला हैरिस को हराना और आसान है', उन्होंने डेमोक्रेटिक पार्टी और कमला हैरिस दोनों पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने की कोशिश की है.
3. उदाहरण के लिए, पिछले सप्ताह जारी इकोनॉमिस्ट/यूगोव सर्वे (Economist/YouGov Survey) में 41 से 43 प्रतिशत लोगों ने माना कि बाइडेन ट्रंप से हार जाएंगे. वहीं कमला हैरिस के लिए 39 प्रतिशत से 44 प्रतिशत लोगों ने यह माना कि वह डोनाल्ड ट्रंप से हार जाएंगी. लेकिन एक तर्क यह भी है कि एशिया-अफ्रीका मूल के वोटर्स के बीच कमला हैरिस खासी लोकप्रिय हैं. डेमोक्रेटिक पार्टी के समर्थक उन्हें प्यार से 'मेल ओबामा' भी कहते हैं. उपराष्ट्रपति हैरिस गोरों की तुलना में ब्लैक अमेरिकियों के बीच भी काफी लोकप्रिय हैं. इसमें भारतीय मूल के लोग भी शामिल हैं, क्योंकि हैरिस की जड़ें खुद भारत से जुड़ी हैं. उनकी मां डॉ. श्यामला गोपालन तमिलनाडु की थीं. महिलाओं के बीच भी वह काफी सराही जाती हैं.
4. कमला हैरिस बनाम डोनाल्ड ट्रंप के बीच मुकाबले का विश्लेषण करना जल्दबाजी होगी. हैरिस आज से पहले राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार नहीं रही हैं. सीबीएस न्यूज के लिए हाल ही में हुए YouGov पोल में ट्रंप को बाइडेन पर 5 अंकों की बढ़त और हैरिस पर 3 अंकों की बढ़त दी गई. दो चीजें हैं जिनसे कमला हैरिस को फायदा होना चाहिए. एक यह है कि आर्थिक मोर्चे पर सुधार हुआ है, देश की मुद्रास्फीति में गिरावट आई है और लोगों की वास्तविक आमदनी बढ़ी है. दूसरी बात यह है कि, चुनाव तक बाइडेन लगभग 82 वर्ष के हो चुके होंगे, कमला हैरिस तब तक केवल 60 वर्ष की होंगी. डोनाल्ड ट्रंप 78 वर्ष के हैं. इसलिए बढ़ती उम्र और खराब स्वास्थ्य का जो मुद्दा बाइडेन के लिए खिलाफ जा रहा था, वह कमला हैरिस के पक्ष में होगा.
5. फिर भी, ऐसे व्यक्ति को राष्ट्रपति उम्मीदवार नामांकित करना जिसका प्राइमरी (उम्मीदवारी के लिए पार्टी के अंदर चुनाव) में टेस्ट न हुआ हो, बहुत जोखिम भरा है. जब हैरिस 2020 में राष्ट्रपति पद के लिए रेस में थीं, तो उन्होंने डेमोक्रेटिक पार्टी की प्राइमरी से पहले ही अपना नामांकन वापस ले लिया था. हालांकि, जो बाइडेन की बढ़ती उम्र और उनका स्वास्थ्य मतदाताओं के लिए बड़ी चिंता का विषय था, और वह तमाम सर्वेक्षणों में पहले से ही डोनाल्ड ट्रंप से पीछे चल रहे थे. ऐसे में एक नए उम्मीदवार पर दांव लगाना डेमोक्रेट के लिए एक समझदारी भरा कदम साबित हो सकता है. सर्वेक्षणों में बाइडेन को ट्रंप के सामने हारते दिखाया जा रहा था, जबकि पेंसिल्वेनिया, नेवादा, विस्कॉन्सिन, मिशिगन और एरिजोना जैसे राज्यों में अमेरिकी सीनेट के सर्वेक्षण से पता चलता है कि डेमोक्रेटिक उम्मीदवार जीत रहे हैं, और बाइडेन की तुलना में बहुत बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं. तो शायद कहा जा सकता है कि डेमोक्रेट्स के लिए जो बाइडेन की उम्मीदवारी ही सबसे बड़ी समस्या थी, जो नए कैंडिडेट के साथ ठीक हो सकती है.
पेंसिल्वेनिया की रैली में डोनाल्ड ट्रंप पर हुए जानलेवा हमले ने उनके प्रति सहानुभूति की लहर पैदा की है. इसके अलावा वह 27 जून की डिबेट में बाइडेन पर भारी पड़े थे, जिसके बाद उनके पक्ष में हवा बनी हुई है. हालांकि, कमला हैरिस के आधिकारिक तौर पर डेमोक्रेटिक उम्मीदवार बनने के बाद ट्रंप के साथ उनकी डिबेट चुनाव की दिशा तय करेगी. फिलहाल ट्रंप मजबूत नजर आते हैं, लेकिन हैरिस के मैदान में आने के बाद मुकाबला जरूर दिलचस्प होगा.