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बात सिर्फ रिपब्लिक डे की नहीं, आसियान के सहारे चीन की चाल पर अंकुश लगाना PM मोदी का लक्ष्य!

असल में दक्षिण- पूर्व एशिया में चीन का प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है. यह सामरिक लिहाज से भारत के लिए चिंता की बात है.

दिल्ली में आसियान-भारत मैत्री रजत जयंती सम्मेलन का आयोजन दिल्ली में आसियान-भारत मैत्री रजत जयंती सम्मेलन का आयोजन
दिनेश अग्रहरि/कृतिका बनर्जी
  • नई दिल्ली,
  • 25 जनवरी 2018,
  • अपडेटेड 2:14 PM IST

पिछले साल मनीला में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आसियान के सभी 10 सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों को भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया. गणतंत्र दिवस के समारोह में 10 राष्ट्राध्यक्षों को चीफ गेस्ट बनाना एक तरह का रिकॉर्ड तो है ही, यह इसलिए भी खास है कि इस साल भारत-आसियान दोस्ती के 25 साल पूरे हो रहे हैं. जानकारों का मानना है कि दक्षिण-पूर्व एशिया में चीन के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए पीएम मोदी का यह एक सोचा-समझा दांव है.

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गौरतलब है कि दस आसियान देशों ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाइलैंड और वियतनाम के राष्ट्राध्यक्ष दिल्ली में आयोजित आसियान-भारत मैत्री रजत जयंती सम्मेलन में शामिल होने के लिए भी आए हैं.

असल में दक्षिण-पूर्व एशिया में चीन का प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है. यह सामरिक लिहाज से भारत के लिए चिंता की बात है. पिछले साल मनीला में आसियान सम्मेलन में पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा था, 'भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी आसियान और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के क्षेत्रीय सुरक्षा ढांचे में इसके केंद्रीय महत्व को को ध्यान में रखकर बनाई गई है.'  

पीएम मोदी जिस क्षेत्रीय सुरक्षा ढांचे की बात कर रहे थे, वह भारत और आसियान दोनों के लिए महत्वपूर्ण है. भारत के लिए चिंता यह है कि किस तरह से अपनी सीमाओं की रक्षा की जाए और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में ज्यादा सामरिक साझेदारी तथा समुद्री सहयोग कायम किया जाए, ताकि चीन के विस्तारवादी रणनीति पर अंकुश लगाया जा सके.

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आसियान के कई देश जैसे वियतनाम, फिलीपींस, मलेशिया और ब्रुनेई का दक्षिण चीन सागर में चीन से समुद्री सीमा को लेकर विवाद चलता रहा है. ऐसे में भारत के लिए खास मौका है कि वह इस मसले पर चीन के सामने अपने को एक संतुलन बना सकने वाली ताकत की तरह पेश करे.

पीएम मोदी ने पिछले साल नवंबर में मनीला में आयोजित सम्मेलन में कहा था, 'आसियान को भारत इस बात का भरोसा देता है कि हम एक ऐसे नियम आधारित क्षेत्रीय सुरक्षा ढांचे को लगातार सपोर्ट करेंगे, जो कि क्षेत्रीय हितों और शांतिपूर्ण विकास के लिए सबसे उपयुक्त हो.

साल 2012 में भारत ने आसियान के साथ अपने रिश्तों को आगे बढ़ाते हुए उसे अपना सामरिक साझेदार बना लिया था. 8 अगस्त, 1967 को इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर और थाईलैंड ने साथ मिलकर दक्षिण पूर्व एशियाई देशों का समूह यानी आसियान का गठन किया था हालांकि तब इस बात का अनुमान नहीं था कि यह संस्था जल्द ही अपनी खास पहचान बना लेगी. अब तक आसियान के 31 शिखर सम्मेलन हो चुके हैं.

आसियान का दायरा 44 लाख स्क्वायर किमी में फैला है, जो क्षेत्रफल के लिहाज से दुनिया का 3 फीसदी एरिया कवर करता है. इस संगठन में 63 करोड़ से ज्यादा की आबादी रहती है.

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